प्रो. संजय द्विवेदी/ वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज उनसे कभी बिसराया नहीं गया। वे अपनी हनक, आवाज की ठसक, भरपूर दोस्ताने अंदाज और प्रेम को बांटकर राजपुत्रो…
Blog posts : "संस्मरण"
रचना, सृजन और संघर्ष से बनी थी पटैरया की शख्सियत
बेमिसाल शिक्षक और जनसरोकारों के लिए जूझने वाली योद्धा थीं वे
दविंदर कौर उप्पल होने के मायने
प्रो. संजय द्विवेदी / माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिस…
प्रो.कमल दीक्षितः उन्होंने हमें सिखाया जिंदगी का पाठ
प्रो. संजय द्विवेदी (महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली)/ मेरे गुरू, मेरे अध्यापक प्रो. कमल दीक्षित के बिना मेरी और मेरे जैसे तमाम विद्यार्थियों और सहकर्मियों की दुनिया कितनी सूनी हो ज…
हक के प्रेमी का यूं अचानक चले जाना
हकदार के संस्थापक व जुझारू पत्रकार पन्नालाल प्रेमी का 22 अक्तूबर को निधन
ताराराम गौतम/ देश भर में दलित पत्रकारिता में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले साप्ताहिक अख…
यह सुधार समझौतों वाली मुझको भाती नहीं ठिठोली
पं. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती (4 अप्रैल,1889) पर विशेष
प्रो. संजय द्विवेदी/ पं.माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम हैं, जिसे छोड़कर हम पूरे नहीं हो सकते…
उनकी आंखों में था एक समृद्ध लोकजीवन का स्वप्न
नहीं रहे पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार पं. श्यामलाल चतुर्वेदी
प्रो. संजय द्विवेदी/ भरोसा नहीं होता कि पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार- साहित्यकार प…
साहित्य, राजनीति और पत्रकारिता के एक सूर्य का अस्त होना
मनोज कुमार/ मन आज व्याकुल है। ऐसा लग रहा है कि एक बुर्जुग का साया मेरे सिर से उठ गया है। मेरे जीवन में दो लोग हैं। एक दादा बैरागी और एक मेरे घर से जिनका नाम इस वक्त नहीं लेना चाहूंगा।…
'पाठकों के पत्र' वाला कॉलम तब बहुत लोकप्रिय होता था
एक था अखबार ( खण्ड-दो)
दिनेश चौधरी/ जिस अखबार के दफ़्तर में चौबीसों घण्टे कर्फ्यू लगा रहता था और जहाँ घड़ी की टिक-टिक साफ सुनाई पड़ती थी, मुझे बतौर प्रशिक्षु 'पाठकों के पत्र' एडिट करने का जिम्मा दिया गया। साथ में सम्पादकीय पृष्ठ की कुछ सामग्री और कुछ…
एक था अखबार!
जरा घड़ी भर ठहरकर यह सोच लें कि जब आपकी दिमागी खुराक सेठ प्रजाति के लोग तय करें तो उस खुराक में जहरीले तत्वों की मात्रा कितनी होगी?…
मुज्जफर हुसैनः हम तुम्हें यूं भुला ना पाएंगें
13 फरवरी की रात हुआ है वरिष्ठ पत्रकार – स्तंभकार श्री हुसैन का निधन
संजय द्विवेदी/ मुंबई की सुबह और शामें बस ऐसे ही गुजर रही थीं। एक अखबार की नौकरी, लोकल ट्रेन के धक्के,…
तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है
हरीश बर्नवाल। 10 दिसंबर 2005 की घटना है। उन दिनों मैं स्टार न्यूज में कार्यरत था। मुंबई के जुहू तारा रोड स्थित रोटरी सेंटर में एक कार्यक्रम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। इस कार्यक्रम के दो हीरो थे। एक निदा फाजली, जिनकी किताब का विमोचन था और दूसरा मैं, जिसे अखिल भारतीय अमृ…
सुधीर तैलंग को याद करते हुए..
मनोज कुमार/ सुधीर तुम तो कमजोर निकले यार.. इत्ती जल्दी डर गए.. अरे भई कीकू के साथ जो हुआ.. वह तुम्हारे साथ नहीं हो सकता था.. ये बात ठीक है कि…
छात्रों को खुद बताई थी अपनी ईमेल आइडी...!!
तारकेश कुमार ओझा / साधारण डाक और इंटरनेट में एक बड़ा फर्क यही है कि डाक से आई चिट्ठियों की प्राप्ति स्वीकृति या आभार व्यक्त करने के लिए भी आपको खत लिखना और उसे डाक के बक्से में डालना पड़ता है। लेकिन इंटरनेट से मिलने वाले संदेशों में इसका जवाब देने या अग्रसारित करने क…
कस्तूरचंद गुप्त: मध्यप्रदेश की पत्रकारिता की पाठशाला
9 अगस्त पुण्यतिथि पर
राजेन्द्र अग्रवाल/ मिशन से प्रोफेशन में बदलने वाली पत्रकारिता का जब जब उल्लेख होता है तब तब कस्तूरचंद गुप्त का स्मरण सहज ही हो जाता है। अपने समय के प्रतिबद्ध पत्रकार श्री गुप्त पूरे जीवनकाल पत्रकारिता को समाजसेवा…
जिंदादिल अंदाज और बेबाकी के लिए बहुत याद आएंगें देवेंद्र कर
(रायपुर के दैनिक अखबार ‘आज की जनधारा’ के संपादक-प्रकाशक देवेंद्र कर का रविवार एक सड़क दुर्धटना में निधन हो गया, यह लेख उनकी स्मृति में)…
सब्जी बाज़ार में मिले दीनानाथ जी...और कहा - तरकारी में बज्जर पड़ा रे !
वरिष्ठ पत्रकार दीनानाथ मिश्र जी की मृत्यु, नवभारत टाइम्स, पटना संस्करण के प्रथम स्थानीय संपादक रहे थे वो
नवेन्दु…
हमने लोकजीवन के दुर्लभ रचनाकार को खो दिया है
विजयदान देथा का निधन एक बड़ा आघात
कौशल किशोर / कथाक्रम के कार्यक्रम से लौटा ही था कि राजस्थानी भाषा के रचनाकार विजयदान देथा के निधन की खबर मिली। धक्का सा लगा। एक दुख से हम उबर भी नहीं पा रहे हैं कि दूसरा दुख चोट करने को तैय…
बसंत कुमार तिवारीः स्वाभिमानी जीवन की पाठशाला
संजय द्विवेदी/ छत्तीसगढ़ के जाने-माने पत्रकार और ‘देशबंधु’ के पूर्व संपादक बसंत कुमार तिवारी का न होना जो शून्य रच है उसे लंबे समय तक भरना कठिन है। वे एक ऐसे साधक पत्रकार रहे हैं, जिन्होंने निरंतर चलते हुए, लिखते हुए, धैर्य न खोते हुए,परिस्थितियों के आगे घुटने न टेकते हुए न…
याद रहेगी केपी की बेपरकी !
मशहूर लेखक और व्यंग्यकार केपी सक्सेना की 79 साल की उम्र में आज मृत्यु हो गयी। वे एक साल से जीभ के कैंसर से जूझ रहे थे और दो बार उनकी सर्जरी भी हो चुकी थी। …
एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय
मनोज कुमार / भारत वर्ष में जितने महापुरूषों ने जन्म लिया उनमें एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की गणना भारतीय महापुरूषों में इसलिये नहीं होती है कि वे किसी खास विचारधारा के थे बल्कि उन्होंने किसी विचारधारा या दलगत राजनीति से परे रहकर राष्ट्र को सर्वोपरि माना. राजन…
नवीनतम ---
- अनुवाद पर निर्भर रहना, भाषायी पत्रकारिता के साथ अन्याय
- वेब पत्रकार की हत्या की डब्ल्यूजेएआई ने की तीखी भर्त्सना
- पत्रकार की हत्या
- कोई अदृश्य ताक़त है जो हर दिन सारे न्यूज़ रूम को ख़बर दे रहा!
- पत्रकार उमाशंकर मिश्र को पुरस्कार
- भारतीय मूल्यों के आधार पर हो पत्रकारिता
- आईआईएमसी और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के बीच एमओयू
- पत्रकारों के लिए तनाव से बचना बेहद जरूरी: प्रो. संजय द्विवेदी
- सितम्बर में होगा डबल्यूजेएआई ग्लोबल वेब मीडिया समिट
- समय की मांग है 'सॉल्यूशन बेस्ड जर्नलिज्म': प्रो. संजय द्विवेदी
- विश्व में 52 प्रतिशत कृषि भूमि की स्थिति खराब
- उर्दू पत्रकारिता में शोध हेतु आईआईएमसी व एमएएनयूयू मिलकर करेंगे प्रयास
- सिनेमा ने तोड़े महिलाओं से जुड़े मिथक: शर्मिला टैगोर
- समाज के सपनों के साथ संवाद करने का माध्यम हैं फिल्में: प्रो. द्विवेदी
- खबरिया चैनल्स तोड़ रहे मर्यादाएं
- डीडी किसान ने जीता ENBA गोल्ड अवार्ड
- सरकार ने टी वी चैनल्स को दिखाया दर्पण
- 16 यूट्यूब समाचार चैनल ब्लॉक
वर्गवार--
- feature (18)
- General (179)
- twitter (1)
- whatsapp (2)
- अपील (6)
- अभियान (9)
- आयोजन (85)
- इंडिया टुडे (3)
- खबर (1478)
- जानकारी (5)
- टिप्पणी (1)
- टीवी (3)
- निंदा (4)
- पत्रकारिता : एक नज़र में (2)
- पत्रकारों की हो निम्नतम योग्यता ? (6)
- पत्रिका (44)
- पुस्तक समीक्षा (39)
- पुस्तिका (1)
- फेसबुक से (171)
- बहस (9)
- मई दिवस (2)
- मीडिया पुस्तक समीक्षा (16)
- मुद्दा (485)
- लोग (5)
- विरोधस्वरूप पुरस्कार वापसी (6)
- विविध खबरें (512)
- वेकेंसी (10)
- व्यंग्य (30)
- शिक्षा (10)
- श्रद्धांजलि (113)
- संगीत (1)
- संस्कृति (1)
- संस्मरण (24)
- सम्मान (17)
- साहित्य (97)
- सिनेमा (15)
- हिन्दी (5)
पुरालेख--
- May 2022 (16)
- April 2022 (16)
- March 2022 (20)
- February 2022 (12)
- January 2022 (15)
- December 2021 (17)
- November 2021 (12)
- October 2021 (17)
- September 2021 (21)
- August 2021 (17)
- July 2021 (21)
- June 2021 (25)
- May 2021 (30)
- April 2021 (19)
- March 2021 (31)
टिप्पणी--
-
विनोदशुक्लDecember 29, 2021
-
October 16, 2021
-
Yogita SharmaOctober 10, 2021
-
Soni kumariJune 22, 2021
-
BhoorelalMay 17, 2021
-
August 27, 2020
-
August 22, 2020
सम्पादक
डॉ. लीना