डॉ. विनीत उत्पल/ संजय द्विवेदी महज एक नाम है। वह नाम नहीं, जिसके आगे प्रोफेसर या डॉक्टर लगा हो। वह नाम नहीं, जिसके बाद महानिदेशक या कुलपति लगा हो। यह नाम है ऐसे शख्स का, जो समाज के एक तबके से लेकर किसी संस्थान या फिर राष्ट्र की तकदीर बदलनी की क्षमता रखता है। वह राख की एक छोटी…
Blog posts : "पुस्तक समीक्षा"
कुछ तो लोग कहेंगे...लोगों का काम है कहना
‘मीडिया को जो लोग चला रहे हैं, वे दरअसल मीडिया के लोग नहीं हैं’
संत समीर/ आजकल आमतौर पर जिस तरह के साक्षात्कार हमें पढ़ने को मिलते हैं, यदि उनके भीतर की परतों को पहचानने की कोशिश करें तो कम ही साक्षात्कार मिलेंगे जो सही मायने में सच का साक्षात् करा पाते हों। आत्मश्लाघा इस दौर के साक्षात्कारों की आम बात है। असुविधाजनक प्रश्नों से बचकर निकल लेना या ग…
पत्रकारिता से साहित्य में चली आई ‘न हन्यते’
इंदिरा दांगी/ आचार्य संजय द्विवेदी की नई किताब 'न हन्यते' को खोलने से पहले मन पर एक छाप थी कि पत्रकारिता के आचार्य की पुस्तक है और दिवंगत प्रख्यातों के नाम लिखे स्मृति-लेख हैं, जैसे समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ करते ही हैं; लेकिन पुस्तक का पहला ही शब्द-चित्र…
पत्रकारिता की शक्ति को बताने वाली दस्तावेजी पुस्तक है ‘रतौना आन्दोलन : हिन्दू-मुस्लिम एकता का सेतुबंध’
लाजपत आहूजा के संपादन में इस पुस्तक को लिखा है, लेखक लोकेन्द्र सिंह, दीपक चौकसे और परेश उपाध्याय ने
डॉ. गजेन्द्र सिंह अवास्या/ …
आत्मीयता से ओत-प्रोत स्मृतियां
पुस्तक समीक्षा/ प्रो. कृपाशंकर चौबे/ प्रो. संजय द्विवेदी की उदार लोकतांत्रिक चेतना का प्रमाण उनकी सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘न हन्यते’ है। ‘न हन्यते' पुस्तक में दिवंगत हुए परिचितों, महापुरुषों के प्रति आत्मीयता से ओत-प्रोत संस्मरण और स्मृति लेख …
समकालीन भारत को समझने की कुंजी है ‘भारतबोध का नया समय’
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी की नई पुस्तक
प्रो. कृपाशंकर चौबे/ जनसंचार के गंभीर अध्येता प्रो. संजय द्विवेदी की नई पुस्तक ‘भारतबोध का नया समय’ का पहला ही निबंध इ…
राजनीति का संदर्भ ग्रंथ है “लोकतंत्र का स्पंदन”
पत्रकार अभिमनोज की अभिनव पहल है उनकी यह पुस्तक
प्रदीप द्विवेदी / आधुनिक पत्रकारिता में समाचार विश्लेषक की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है. प्रमुख राष्ट्रीय समाचार विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार- …
‘राष्ट्रवाद और मीडिया’ पर स्पष्ट दृष्टिकोण पैदा करती पुस्तक
सुरेश हिंदुस्थानी/ राष्ट्रवाद सदैव से चर्चा एवं आकर्षण का विषय रहा है। आज के परिदृश्य में तो यह और अधिक चर्चित है। सब जानना चाहते हैं कि आखिर राष्ट्रवाद क्या है? राष्ट्रवाद पर इतनी बहस क्यों होती है? क्यों कुछ लोग राष्ट्रवाद का विरोध करते हैं? राष्ट्रवाद और मीडिया के…
"पैसा ही पैसा" जीवन की सच्चाई के करीब
संजय कुमार /पुस्तक चर्चा/ पैसा ही पैसा माधुरी सिन्हा की सद्यः प्रकाशित पुस्तक है जिसे पटना के प्रकाशक नोवेल्टी एंड कंपनी में प्रकाशित किया है. जैसा कि पुस्तक का शीर्षक है ‘पैसा ही पैसा’ तो यह एक ऐसे गरीब बच्चे की कहानी है इसका जीवन गरीबी में व्यतीत हुआ. माधुरी…
अच्छी तरह से जानते हैं हत्यारे
अरविंद भारती की किताब “वे लुटेरे हैं
शहंशाह आलम/ यह विदा कहने का वक़्त है।
इसलिए हे राजन, आप चौंके अथवा चीहुँकें अथवा विस्मय में न पड़ें।…
ढाई हजार वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने पर्यावरण सुरक्षा का मर्म समझा
लेखक-पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार की पुस्तक "बौद्ध धर्म और पर्यावरण "
संजय कुमार/ वर्तमान दौर में पर्यावरण के समक्ष संकट और ग्लोबल वार्मिंग से पूरी दुनिया चिंतित है । अनेक देशों में बढ…
एक पत्रकार के रिपोर्ताजों का कोलाज
जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती है डॉ. दीनानाथ साहनी की पुस्तक ‘तीसरी बस्ती’
संजय कुमार/ पुस्तक समीक्षा/ डॉ. दीनानाथ साहनी लम्बे समय से पत्रकारिता से जुड़े ह…
दलित साहित्य आंदोलन का दस्तावेज
कैलाश दहिया / पुस्तक समीक्षा / 'समकालीन हिंदी दलित साहित्य : एक विचार-विमर्श' नाम से वरिष्ठ लेखक सूरजपाल चौहान के समय- समय पर पत्र-पत्रिकाओं में छपे लेखों- आलेखों का संग्रह है। किताब की भूमिका में लेखक ने लिखा है, 'इनका महत्त्व मुझे तब ज्ञात हुआ जब देश …
‘आरटीआई से पत्रकारिता' की विधि सिखाती एक पुस्तक
लोकेन्द्र सिंह/ भारत में सूचना का अधिकार, अधिनियम-2005 (आरटीआई) लंबे संघर्ष के बाद जरूर लागू हुआ है, किंतु आज यह अधिकार शासन-प्रशासन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जहाँ सूचनाओं को फाइल पर लालफीता बांध कर दबाने की प्रवृत्ति रही हो, वहाँ अब साधा…
स्त्री चेतना को जगाती कविताएं
एम अफसर खान 'सागर'/ सुहैल मेरे दोस्त उषा राय की पहली कविता संग्रह है। कुल चौव्वालीस (44) कविताओं का यह संग्रह स्त्री जीवन के विभिन्न रूपों को दर्शाती है, जिसमें करुणा, आक्रोश, ममता, दया और यथार्थ शामिल है। इसके साथ इस संग्रह में सामाजिक, पारिवारिक विद्रूपताओं के सरोकार भी प…
समाज से सवाल करता ‘बीमार मानस का गेह’
संजय कुमार/ अपने तेवर को लेकर चर्चित कवि-आलोचक मुसाफिर बैठा अपनी सद्यः प्रकाशित काव्य संग्रह ‘बीमार मानस का गेह’ से चर्चे में है। रश्मि प्रकाशन, लखनऊ से प्रकाशित ‘बीमार मानस का गेह’ में 38 बेहतरीन कविताओं को चार खंडों में बांटा गया है। प्रसिद्ध हिंदी आलोचक खगेन्द्र ठाकुर ने भूमिक…
राष्ट्रवाद से जुड़े विमर्शों को रेखांकित करती एक किताब
पुस्तक के संपादक हैं पत्रकार प्रो. संजय द्विवेदी
लोकेन्द्र सिंह/ देश में राष्ट्रवाद से जुड़ी बहस इन दिनों चरम पर है। राष्ट्रवाद की स्वीकार्यता बढ़ी है। उसके प्रति लोगों की समझ बढ़ी है। राष्ट्…
सजग पत्रकार की दृष्टि में मोदी-युग
रमेश नैयर/ पुस्तक ‘मोदी युग’ का शीर्षक देखकर प्रथम दृष्टया लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्तुति में धड़ाधड़ प्रकाशित हो रही पुस्तकों में एक कड़ी और जुड़ गई। अल्पजीवी पत्र-पत्रिकाओं के लेखों के साथ ही एक के बाद एक सामने आ रही पुस्तकों में मोदी सरकार की जो अखंड वंदना चल रही है, वो अब…
सामाजिक प्रतिबद्धताओं से सजा व्यंग्य संग्रह: शोरूम में जननायक
एम. एम. चन्द्रा/ अनूप मणि त्रिपाठी का पहला व्यंग्य संग्रह “शोरूम में जननायक” में लगभग तीन दर्जन व्यंग्य है. व्यंग्य संग्रह में भूमिका नहीं है, सुधी पाठक इससे अंदाज लगा सकते है कि नव लेखन के सामने आने वाली चुनौतियां कम नहीं होती. पुस्तक में भूमिका का न होना एक तरह अच्छा ही हुआ ह…
इतिहासबोध से वर्तमान विसंगतियों पर प्रहार
सागर मंथन चालू है
समीक्षक: एम् एम् चन्द्रा/ व्यंग्य की दुनिया में चार पीढ़ी एक साथ सक्रिय है. यह व्यंग्य क्षेत्र के लिए शुभ संकेत है. मैं व्यक्तिगत तौर पर इस बात का खंडन करता हूँ कि व्यंग्य के लिए यह समय अन्धकार का समय है या चरणवं…
नवीनतम ---
- डॉक्टरेट की मानक उपाधि से सम्मानित किये गए "सच की आवाज़" के सम्पादक
- घोर संक्रमणकाल से गुज़रता भारतीय मीडिया
- तो यह सूची भी जायज है..
- उपराष्ट्रपति ने खोजी पत्रकारिता के लगभग विलुप्त होने पर चिंता व्यक्त की
- मीडिया अध्ययन विभाग में उन्मुखीकरण व हिंदी दिवस कार्यक्रम का आयोजन
- डिजिटल क्रांति से हिंदी को मिली नई पहचान
- पं.विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी साहित्य अलंकरण से सम्मानित किए गए प्रो.संजय द्विवेदी
- 'सकारात्मक मीडिया' से होगा 'सुंदर दुनिया' का निर्माण: प्रो. संजय द्विवेदी
- चैनल क्या सूचना के स्तर पर आपको समृद्ध कर रहा है
- दरअसल राहुल कँवल, इंडिया टुडे ने आपको धोखे में रखा
- डीडी स्पोर्ट्स अब डीडी स्पोर्ट्स एचडी
- प्रथम विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी साहित्य अलंकरण प्रो.संजय द्विवेदी को
- फेक न्यूज से बचाव के लिए जरूरी है 'मीडिया साक्षरता' : प्रो. द्विवेदी
- 28- 29 अक्टुबर को होगा डब्ल्यूजेएआई का दो दिवसीय वेब मीडिया समिट सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव
- सट्टेबाजी के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विज्ञापन न दे मीडिया
- पत्रकारिता और जनसंचार में एमए
- ये इसरो और भारतीय वैज्ञानिकों की शाम है, न्यूज एंकरों की नहीं
- इंदौर ने दिये भारतीय पत्रकारिता को चमकते सितारे
वर्गवार--
- feature (28)
- General (179)
- twitter (1)
- whatsapp (2)
- अपील (8)
- अभियान (9)
- अख़बारों से (2)
- आयोजन (90)
- इंडिया टुडे (3)
- खबर (1596)
- जानकारी (5)
- टिप्पणी (1)
- टीवी (3)
- नई कलम (1)
- निंदा (4)
- पत्रकारिता : एक नज़र में (2)
- पत्रकारों की हो निम्नतम योग्यता ? (6)
- पत्रिका (44)
- पुस्तक समीक्षा (44)
- पुस्तिका (1)
- फेसबुक से (200)
- बहस (12)
- मई दिवस (2)
- मीडिया पुस्तक समीक्षा (20)
- मुद्दा (495)
- लोग (8)
- विरोधस्वरूप पुरस्कार वापसी (6)
- विविध खबरें (556)
- वेकेंसी (14)
- व्यंग्य (30)
- शिकायत (4)
- शिक्षा (10)
- श्रद्धांजलि (115)
- संगीत (1)
- संस्कृति (1)
- संस्मरण (31)
- सम्मान (17)
- साहित्य (99)
- सिनेमा (15)
- हिन्दी (5)
पुरालेख--
- September 2023 (13)
- August 2023 (11)
- July 2023 (15)
- June 2023 (12)
- May 2023 (13)
- April 2023 (17)
- March 2023 (21)
- February 2023 (12)
- January 2023 (15)
- December 2022 (17)
- November 2022 (22)
- October 2022 (10)
- September 2022 (21)
- August 2022 (10)
- July 2022 (19)
टिप्पणी--
-
सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
-
Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
-
Manjeet SinghJune 23, 2023
-
AnonymousJune 6, 2023
-
AnonymousApril 5, 2023
-
AnonymousMarch 20, 2023
-
Md ali khanNovember 24, 2022
सम्पादक
डॉ. लीना