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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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कमसारनामाः कमसार व बार का अक्स

एम. अफसर खां सागर /कमसारनामा में सुहैल खां ने गाजीपुर के संक्षिप्त इतिहास के साथ-साथ सकरवार वंश के क्रम में यहां के भूमिहार ब्राहमणों, कमसार के पठानों और राजपूतों की चार सौ अस्सी साल के  वंशावली तथा इतिहास को संकलित करने का अनूठा काम किया है। सुहैल खां ने प्रस्तुत पुस्तक में भारत में इस्लाम के प्रसार और नरहरदेव राय के इस्लाम को स्वीकार करने की परिस्थितियों एवं परिप्रेक्ष को पुख्ता ढ़ंग से पेश किया है। वंशावली का संकलन व प्रमाणित प्रस्तुति बेहद दुरूह व चुनौतीपूर्ण काम है जिसको सुहैल खां ने बहुत ही सहज व सरल ढ़ंग से कमसार के सभी गांवों के प्रत्येक आदमी के लगभग बीस पुश्तों तक संकलित किया है साथ ही कमसार के ऐतिहासिक पुरूषों की जीवनी भी पेश किया है। इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि पुस्तक में उन गांवों का भी उल्लेख किया गया है जहां कमसारवंश की रिश्तेदारियां कायम हैं। लेखक इन सभी चीजों को प्रमाणित करने के लिए ग्रंथ में कमसार से सम्बंधित दुर्लभ दस्तावेज, मानचित्र व फोटोग्राफ सुलभ करायें हैं।

लेखक ने कमसार क्षेत्र के मुसलमान, भूमिहार ब्राहमण व राजपूत सभी के सभी किस तरह सकरवार मूल से जुड़े हैं और एक ही स्त्रोत के हैं, इसपर प्रकाश डाला है। प्रस्तुत पुस्तक सकरवार गोत्र और वंश के लोगों के बीच आपसी रिश्तों पर छाई धुंध को मिटाने का प्रयास करती दिखती है। पुस्तक के जरिए सकरवार वंश की नई पीढ़ी अपनी संस्कृति, इतिहास और उसकी श्रेष्ठ परम्पराओं को जानने व संरक्षित करने का नये ढ़ंग से उपक्रम करेगी।

लेखक ने पुस्तक के जरिए सकरवार वंश की महत्ता व कमसार के विद्वानों, कवियों सूफियों, प्राचीन मस्जिदों, मन्दिरों, भवनों, फारसी दस्तावेज व ऐतिहासिक पुरूषों को रेखांकित किया है।

कमसारनामा के जरिए सुहैल खां ने गाजीपुर जिले के साथ ही उसके आस-पास के इलाके में आबाद हिन्दू-मुसलमानों के बीच पारस्परिक पहचान, अजनबीपन तथा सौहार्द के लिए मजबूत सेतु निमार्ण का प्रयास किया है। लेखक का भागीरथी प्रयास एवं निष्ठा सराहनीय है। पुस्तक सकरवार वंश के बीती पीढ़ीयों को जिन्दा रखने का सुन्दर प्रयास है। पुस्तक कमसार के इतिहास के प्रति न केवल जिज्ञासा जगायेगी बल्कि भविष्य में शोध का स्त्रोत भी बनेगी।

पुस्तक- कमसारनामा  

लेखक- सुहैल खां

प्रकाशक- जरनिगार, वाराणसी

वितरक- दारूल सुहैल, हुसैनाबाद, दिलदारनगर, गाजीपुर, उ0प्र0, 232326

मूल्य- 500 रूपये (सजिल्द)।

समीक्षा- एम. अफसर खां सागर, लेखक व पत्रकार - 08081110808 

mafsarpathan@gmail.com

 

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डॉ. लीना