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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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Blog posts August 2015

मीडिया के दरबार में इंद्राणी की फंतासी

भगवान न करें कि आपके साथ ऐसा हो, अगर हो भी जाए तो कवरेज का अधिकार के तहत आप भी पूरा मज़ा लीजिए !

रवीश कुमार। इंद्राणी मुखर्जी की गिरफ्तार…

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हिंदी पर केंद्रित "समागम" का नया अंक

शोध पत्रिका"समागम"  का नया सितंबर अंक हिंदी पर केंद्रित है। इसमें भोपाल में होने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन के मद्देनजर विशेष सामग्री हैं। इस अंक का संपादन हिंदी की सुपरिचित साहित्यकार डॉ उर्मिला शिरीष ने किया है।…

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सोशल मीडिया में टिप्पणी देकर समीक्षक बनिए

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ समीक्षक का काम टिप्पणी करना होता है। उसकी समझ से वह जो भी कर रहा है, ठीक ही है। मैं यह कत्तई नहीं मान सकता, क्योंकि टिप्पणियाँ कई तरह की होती हैं। कुछेक लोग उसे पसन्द करते हैं, बहुतेरे नकार देते हैं। पसन्द और नापसन्द करना…

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मीडिया सत्ता के हक में लामबंद

जनता अब मजे के लिए अखबार पढ़ती है/ मीडिया अब मनोरंजन का सर्वोत्तम माध्यम है...

पलाश विश्वास / कौन अखबार किस भाषा में बात कर रहा है,पाठक से बेहतर जानता नही…

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हरिभूमि की जूठन खाने पर उतरा दैनिक भास्कर

रायपुर/ खुद को देश का सबसे तेज समाचार पत्र होने का दावा करने वाला दैनिक भास्कर पुरानी व प्रकाशित खबर फ्रंट पेज पर छाप रहा है। ताजा मामला दैनिक भास्कर के रायपुर संस्करण के फ्रंट पेज पर 20 अगस्त, 2015 को प्रकाशित समाचार शीर्षक -एसीबी की छापेमारी के खिलाफ आईएएस एसोसिएशन का मोर्चा है। यह…

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पत्रकारिता की कल और आज की तस्वीर

मासिक पत्रिका ‘‘ साहित्य अमृत’’ इस बार मीडिया विशेषांक

संजय कुमार / नई दिल्ली से साहित्य एवं संस्कृति का संवाहक मासिक पत्रिका ‘‘ साहित्य अमृत’’ अपने प्रकाशन के 20 वर्ष पूरे होने पर मी…

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मुम्बई प्रेस क्लब ने की पत्रकार को धमकी की निंदा

मुम्बई। मुम्बई प्रेस क्लब ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, दबंग दुनिया के वरिष्ठ पत्रकार श्रीनारायन तिवारी को जान से मारने की धमकी देने की निंदा की है और दोषी को तत्काल गिरफ्तार करने की महाराष्ट्र सरकार से मांग की है।…

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सर का शौर्य, साहब का शोक....!!

तारकेश कुमार ओझा / आज का अखबार पढ़ा तो दो परस्पर विरोधाभासी खबरें मानों एक दूसरे को मुंह चिढ़ा रही थी। पहली खबर में एक बड़ा राजनेता अपनी बिरादरी का दुख – दर्द बयां कर रहा था। उसे दुख था कि जनता के लिए रात – दिन खटने वाले राजनेताओं को लोग धूर्त और बेईमान समझते हैं। उनक…

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गजल संग्रह ‘एहसास’ का लोकार्पण 24 को

पटना। बिहार के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री राम लषण ‘रमण’ कुमारी स्मृति और राहुल वर्मा ‘अश्क’ रचित गजल संग्रह ‘एहसास’ का लोकार्पण 24 अगस्त को पटना के बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, कदम कुआं, पटना के सभागार में शाम 4 बजे करेंगे।…

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"दलित दस्तक" के बाद वेब चैनल "नेशनल दस्तक" लांच करेंगे अशोक दास

इसमें दो सेक्शन होंगे, एक खबरों का तो दूसरा विडियो का

मासिक पत्रिका "दलित दस्तक" के तकरीबन चार वर्षों के सफल संपादन/प्रकाशन के बाद इसके संपादक अशोक दास अब वेब चैनल लांच करने की तैयारी में हैं। वेब चैनल का नाम…

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गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब ने भारत छोड़ो आन्दोलन की वर्षगांठ पर मनाया सम्मान समारोह

छतरपुर/ भारत देश को आजादी दिलाने वाले प्रत्येक स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के परिवार के उत्तराधिकारियों, सदस्यों को भारत सरकार एवं  प्रदेश सरकार को विशिष्ट नागरिक का दर्जा देकर उनका स्वाधीनता दिवस पर सम्मान करना चाहिए । साथ ही जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश में जीवित बचे है उनके स्वा…

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वट वृक्ष से लेकर रेंड़ तक लहलहा रहे फेसबुक जंगल में

रीता विश्वकर्मा /  जब कोई मेच्योर वैज्ञानिक किसी चीज का इजाद करता है तब वह विश्व के कल्याण की परिकल्पना करके ही ‘स्टेप्स’ उठाता है। हालाँकि सभीं वस्तु के दो पहलू होते हैं, इसी तरह हर इजाद की गई चीज सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों परिणाम देती है। सिक्के के दो पहलू- हेड …

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स्वतंत्र भारत में खबरों की आजादी...!!

तारकेश कुमार ओझा / आजादी के बाद से खबरचियों यानी मीडिया के क्षेत्र में भी आमूलचूल परिवर्तन आया है। पहले मीडिया से जुड़े लोग फिल्म निदेशकों की तरह हमेशा पर्दे के पीछे ही बने रहते थे। लेकिन समय के साथ  इतना बदलाव आया है कि अब इस क्षेत्र के दिग्गज बिल्कुल किसी सेलीब्रिटी…

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बाहुबली' और 'बजरंगी भाईजान ' का ब्राह्मणवादी नजरिया

राजेश कुमार/ आजकल इन दोनों फिल्मो ने भारतीय दर्शको के बीच ग़दर काट रखा है। ये लोगो के जेब और दिमाग दोनों पर जमकर हाथ साफ़ कर रहे है।  मुन्नी के गोरे रंग को देखकर करिश्मा का पिता कहता है कि जरूर यह लड़की किसी ब्राह्मण की होगी और जब मुन्नी को गोश्त खाते देखता है तो कहता है कि यह ल…

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राजेन्द्र माथुर की गैरहाजिरी के 25 साल

जन्मदिन 8 अगस्त पर विशेष लेख

मनोज कुमार / किसी व्यक्ति के नहीं रहने पर आमतौर पर महसूस किया जाता है कि वो होते तो यह होता, वो होते तो यह नहीं होता और यही खालीपन राजेन्द्र माथुर के जाने के बाद लग रहा है। यूं तो 8 अगस्त को राजेन्द्र म…

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प्रेस क्लब किसी एक की बपौती और भूमिधरी नहीं

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/  हम दो हमारे कोई नहीं ‘समीक्षा’ को छोड़कर। आप तनिक भी तरस मत खाइए। यह परिवार नियोजनी नारा अब काफी परिवर्तित हो चुका है। पहले था- बस दो या तीन बच्चे होते हैं घर में अच्छे, तदुपरान्त हम दो हमारे दो- बावजूद इसके जनसंख्या वृद्धि प…

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वर्तमान की भौतिकवादी मीडिया

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/  मीडिया जगत से जुड़े लोग कुछ उस तरह के हो गए हैं जैसे पुराने समय में एक राज्य का महामंत्री। शायद इस कहानी को अधिकाँश लोग नहीं सुने होंगे। उस कहानी का सार यहाँ प्रस्तुत करना आवश्यक हो गया है। कहानी के अनुसार उक्त राज्य में अकाल…

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आखिर ऐसे अनर्गल साहित्य की अहमियत क्या है

यदि ये पुस्तकें इतनी ही प्रभावशाली होतीं तो आज पूरे देश में गली-गली फर्ऱाटेदार अंग्रेज़ी बोलने वाले, डॉक्टर, इंजीनियर, गीतकार- संगीतकार, गायक, मैकेनिक आदि नज़र आते !…

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दीनदयाल जी की याद दिलाती एक किताब

लोकेन्द्र सिंह/  भारतीय जनता पार्टी के प्रति समाज में जो कुछ भी आदर का भाव है और अन्य राजनीतिक दलों से भाजपा जिस तरह अलग दिखती है, उसके पीछे महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तपस्या है। दीनदयालजी के व्यक्तित्व, चिंतन, त्याग और तप का ही प्रतिफल है कि आज भारतीय जनता पार्ट…

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अखबार के साथ रोटी फ्री बांटना शुरु करें अब!

अखबार अब बिक नहीं सकते चाहे कोई और जुगत कर लो क्योंकि अखबारों की रुह का कत्ल हो चुका है और कातिल भी वे ही हैं जो मसीहा भी हैं…

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सम्पादक

डॉ. लीना