डॉ. विनीत उत्पल/ वक्त बदल रहा है, मीडिया बदल रहा है, मीडिया तकनीक बदल रही है, मीडिया के पाठक और दर्शक की रुचि, स्थिति और परिस्थिति भी बदल रही है। ऐसे में मीडिया अध्ययन, अध्यापन और कार्य करने वालों को खुद में बदलाव लाना आवश्यक है। इसके लिए मीडिया के मिजाज को समझना और समझाना आव…
Blog posts : "मीडिया पुस्तक समीक्षा "
वक्त के साथ बदलते मीडिया से साक्षात्कार
पत्रकार और पत्रकारिता से जुड़े सवालों के उत्तरों की तलाश
अजय बोकिल/ पुस्तक ‘जो कहूंगा सच कहूंगा’ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली (आईआईएमसी) के महानिदेशक, पत्रकार, शिक्षाविद प्रो. (डाॅ.) संजय द्विवेदी के साक्षात्कारों का ऐसा संकलन है, जो उनकी ‘मन की बात’ का परत दर परत खुलासा करता है। यह मीडिया का एक मीडिया विशेषज्ञ के साथ सार्थक संवाद है…
खेल पत्रकारिता की बारीकियां सिखाती एक पुस्तक
लोकेन्द्र सिंह/ “खेल में दुनिया को बदलने की शक्ति है, प्रेरणा देने की शक्ति है, यह लोगों को एकजुट रखने की शक्ति रखता है, जो बहुत कम लोग करते हैं। यह युवाओं के लिए एक ऐसी भाषा में बात करता है, जिसे वे समझते हैं। खेल वहाँ भी आशा पैदा कर सकता है, जहाँ सिर्फ निराशा हो। यह नस्ल…
पत्रकारिता से कई अपेक्षा रखती डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' की पुस्तक 'पत्रकारिता और अपेक्षाएँ"
अनिता दीपक शर्मा / डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' की पुस्तक 'पत्रकारिता और अपेक्षाएँ' अपने नाम को सार्थक करने के साथ-साथ पाठकों की अपेक्षाओं पर भी पूरी तरह खरी उतरी है। लेखन से ज्ञात हुआ कि पत्रकारिता का इतिहास और आज के समय की पत्रकारिता में ज़मीन-आसमान का अंतर आ चुका है। आज के समय…
नागरिक पत्रकारिता की आवश्यकता को रेखांकित करती पुस्तक
मीडिया शिक्षक डॉ. पवन सिंह मलिक के सम्पादन में है पुस्तक
लोकेन्द्र सिंह/ सूचनाओं का आदान-प्रदान करना हम सबका मानव स्वभाव है। इस प्रवृत्ति का एक ही अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति के भ…
संभावना और चुनौतियों के बीच मूल्यानुगत मीडिया का आग्रह
लोकेंद्र सिंह/ सक्रिय पत्रकारिता और उसके शिक्षण-प्रशिक्षण के सशक्त हस्ताक्षर प्रो. कमल दीक्षित की नयी पुस्तक ‘मूल्यानुगत मीडिया : संभावना और चुनौतियां’ ऐसे समय में आई है, जब मीडिया में मूल्यहीनता दिखाई पड़ रही है। मीडिया में मूल्यों और सिद्धांतों की बात तो सब कर रहे हैं, लेकि…
पत्रकारिता के दार्शनिक आयाम का आधार है 'आदि पत्रकार नारद का संचार दर्शन'
लोकेन्द्र सिंह। भारत में प्रत्येक विधा का कोई न कोई एक अधिष्ठाता है। प्रत्येक विधा का कल्याणकारी दर्शन है। पत्रकारिता या कहें संपूर्ण संचार विधा के संबंध में भी भारतीय दर्शन उपलब्ध है। देवर्षि नारद का संचार दर्शन हमारे आख्यानों में भरा पड़ा है। हाँ, यह और बात है कि वर्तमा…
दिल्ली में उर्दू पत्रकारिता
शाहिदुल इस्लाम की उर्दू पत्रकारिता से सम्बंधित पुस्तक ‘दिल्ली में असरी उर्दू सहाफ़त‘,पर बिहार के जाने माने लेखक श्री जाबिर हुसैन जी का एक आलेख…
‘कम्युनिटी रेडियो’: संचार माध्यम के लिए अहम पुस्तक
समीक्षा- संजय कुमार। नया ज्ञानोदय के सम्पादक लीलाधर मंडलोई ने रेडियो पत्रकारिता पर पत्रकार मनोज कुमार की सद्यः प्रका…
मीडिया के चर्चित चेहरों से मुलाकात कराती एक पुस्तक
लोकेंद्र सिंह/समीक्षक। हम जिन्हें प्रतिदिन न्यूज चैनल पर बहस करते-कराते देखते हैं। खबरें प्रस्तुत करते हुए देखते हैं। अखबारों और पत्रिकाओं में जिनके नाम से प्रकाशित खबरों और आलेखों को पढ़कर हमारा मानस बनता है। मीडिया गुरु और लेखक संजय द्विवेदी द्वारा संपादित…
किताब में 'रिपोर्टिंग की क्लास'
लोकेन्द्र सिंह / पुस्तक समीक्षा । पत्रकारिता पर यूं तो बहुत किताबें उपलब्ध हैं। पत्रकारिता के सबसे महत्वपूर्ण आयाम रिपोर्टिंग के संबंध में भी समय-समय पर अनेक किताबें आती रही हैं। इन सब किताबों के बीच …
पत्रकारिता जगत के बदलाव को रेखांकित करता पुस्तक
मीडिया: भूमंडलीकरण और समाज
पुस्तक समीक्षा / कीर्ति सिंह । पत्रकारिता जगत में काफी बदलाव आ गया है। हर पहलू में विकास हुआ है। इन्हीं विकासों को राजनीतिक विशेषज्ञ…
टेलीविजन प्रोडक्शन: अंधेरी सुरंग में जलती मशाल
अवधेश कुमार यादव/ टेलीविजन को भले ही ‘बुद्धूबक्शा‘ कहा जाता है, लेकिन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का पिछला 22 बरस इसके नाम रहा है। इस द्श्य-श्रव्य माध्यम ने अपने चमक और दमक के दम पर न केवल समाज में बदलते मूल्यों व संदर्भो को प्रतिष्ठापित किया है, बल्कि मानव जीवन को अर्थप…
सिनेमा पर एक अच्छी किताब :भारतीय सिनेमा का सफरनामा
सोशल नेटवर्किंग पर सार्थक विमर्श
डॉ. सी. जय शंकर बाबु / इंटर्नेट के विकास के साथ ही सामाजिक संबंधों-संवादों के कई रूपों, कई सुविधाओं, व्यवस्थाओं और व्यवसायों के उभरने से दुनिया में रिश्तों के कई नए जाल फैल चुके हैं । ऐसी एक नई व्यवस्था जिसमें नए संवादों की असीम संभावनाएँ उभरकर सामने आई हैं, उसे सोशल …
सीढ़ियां चढ़ता मीडिया
पुस्तक मीडिया और जन जीवन के व्यापक परिप्रेक्ष्य में ले जाने वाला
मीनाक्षी बोहरा / मीडिया पर लिखने का शुरुआती उत्साह और फैशन अब बीती बात है। अकादमिक हलकों में मीडिया अ…
नए ज़माने की पत्रकारिता
पुस्तक में पत्रकारिता के अलग अलग पहलुओं को उजागर करने वाले सभी सवालों के जबाव
इस किताब का मकसद पत्रकारों की नई पौध को वो सारी बातें बताना और पुराने लोगों को याद दिलाना, ज…
भारतीय मीडिया व साहित्य की सूचनाओं का भंडार है "पत्रकारिता कोश"
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है कोश का नाम
सूचना क्रांति के इस दौर में पत्रकारिता व साहित्य का दायरा काफी विस्तृत हो चुका है। हर दिन नए-नए समाचारपत्र व पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारंभ हो रहा है। चौबीसों घंटे पल-पल की खबरें देने के…
“न्यू मीडिया” पर केन्द्रित जन संचार विमर्श का द्वितीय अंक
इलाहाबाद। मीडिया पर राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका जनसंचार विमर्श का दूसरा अंक न्यू मीडिया पर केन्द्रित है। पत्रिका में देश के माने जाने मीडिया विशेषज्ञयों के अलावा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों के अलावा कई पत्रकारिता विषय में शोधरत विद्यार्थियों के भी शोध पत्र प्रकाशित…
पत्रकारिता से मीडिया तक
वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार की नई किताब
पुस्तक समीक्षा/अभिनव तैलंग/ वर्तमान में पत्रकारिता हाशिये पर है और मीडिया शब्द चलन में है। पत्रकारिता के गूढ़ अर्थ और मीडिया की व्यापकता को रेखांकित करत…
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- मनोज बने विधान सभा प्रेस सलाकार समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य
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- माधवन साहित्य परिचर्चा सह राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
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सम्पादक
डॉ. लीना