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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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उर्दू आबादी की आवाज को उठाता है उर्दू पत्रकारिता

बिहार उर्दू अकादमी की ओर से उर्दू पत्रकारिता-कल, आज और कल विषय पर चर्चा

पटना । बिहार उर्दू अकादमी की ओर से उर्दू पत्रकारिता-कल, आज और कल विषय पर 17 अप्रैल पटना में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये वरीय पत्रकार एसएम अशरफ फरीद ने कहा कि पत्रकारिता की माध्यम से ही उर्दू आबादी की आवाज प्रशासन से लेकर सरकार तक सुनी जाती है। अगर उर्दू अखबार नहीं निकले तो उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होने कहा कि कम संसाधान के बावजूद उर्दू अखबार का निकालना एक संघर्ष करने की तरह है। फरीद  ने कहा कि इसमें कई तरह की समस्याएं आती हैं।
बिहार उर्दू अकादमी की ओर से उर्दू पत्रकारिता-कल, आज और कल  के दौरान आलेख पढ़ने के लिए तीन सत्र हुए। हरेक सत्र में पत्रकारों ने इस विषय पर अपने अपने आलेख पढे । वसीम राशिद ने अपने आलेख में कहा कि उर्दू अखबारों को अकलियतों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक समस्याओं को सरकार और प्रशासन के सामने लाने की जरूरत है। हैं। उर्दू के जाने माने पत्रकार  रेहान गनी ने गुलाम सरवर की पत्रकारिता पर चर्चा करते हुयव कहा कि उर्दू पत्रकारिता को और धारदार बनाने कि जरूरत है। वही फारूक अरगली ने कहा कि बिहार में उर्दू पत्रकारिता का विकास हो रहा है। हालांकि और विकास की जरूरत है ।

विषय पर अशरफ अस्थानवी ने कहा कि हमें बिहार के उन पत्रकारों को याद करने की जरूरत है जो आज नहीं  है । अब्दुल कादिर ने कहा कि पत्रकारों को जोश और जज्बे से बचने की जरूरत है और जनहित में कम करने की जरूरत है। डॉ. मंसूर खोश्तर ने कहा कि पत्रकारों की मानसिकता में रचनात्मक सोच आया है जो पत्रकारिता के लिए शुभ संकेत हैं। इसे और मजबूत करने की जरूरत है । महफूज आलम ने कहा कि अकलियतो की समस्याओं को उठाने में टीवी पत्रकारिता भी पीछे नहीं है। जावेद अहमद ने सामुदायिक पत्रकारिता पर विस्तार से चर्चा किया। 

नवाब अतिकुज्जमां ने कहा कि उर्दू पत्रकारिता भी व्यापार होता जा रहा है। आबिद अनवर ने ग्लोबलाइजेशन और उर्दू मीडिया पर चर्चा करते हुए कहा कि उर्दू पत्रकारिता को आधुनिक तकनीकी संसाधनों को अपनाना होगा। इस मौके पर खुर्शीद हाशमी, डॉ. अबरार रहमानी, खुर्शीद परवेज सिद्दीकी, अनवारूल्लाह, फैजान अहमद, शहबाज आलम, डॉ. जावेद हयात, रियाज अजीमाबादी आदि ने अपने विचार रखे। आखिर में अकादमी के सचिव मुश्ताक अहमद नूरी ने अतिथियों का शुक्रिया अदा किया। 

 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना