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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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सामुदायिक रेडियो सही मायनों में बे आवाजों की बुलंद आवाज

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में "सामुदायिक रेडियो - बे आवाजों की आवाज" विषय पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई

मोतीहारी/ महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में कल सामुदायिक रेडियो - बे आवाजों की आवाज विषय पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई। कार्यक्रम का संयोजन स्नातक तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए अपने स्वागत उद्बोधन में कार्यक्रम निदेशक डॉ साकेत रमण, असिस्टेंट प्रॉक्टर ने सभी का अभिनंदन किया। डॉ रमण ने बताया कि आज मुख्यधारा की मीडिया में समाज के वंचितों, पिछड़े, आदिवासियों की चर्चा नहीं होती। अगर होती है तो बहुत कम। ऐसे में सामुदायिक रेडियो सही मायनों में बे आवाजों की बुलंद आवाज बनकर उभरा है। यह माध्यम अपने चरित्र में लोकतांत्रिक है और समाज को दिशा देने में सार्थक भूमिका निभाने में समर्थ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा ने समाज में कम्युनिटी रेडियो की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए इस दिशा में सार्थक पहल की सराहना की और कहा कि विभाग शीघ्र ही कम्युनिटी रेडियो शुरू करने के लिए नियमानुसार प्रयास करने जा रहा है। कार्यक्रम में सहायक आचार्य डॉ परमात्मा कुमार मिश्रा एव डॉ सुनील घोड़के ने भी विद्यार्थियों का प्रबोधन किया।

कार्यक्रम में सीएसआईसीटी के संकायाध्यक्ष प्रो. विकास पारीक ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए भविष्य की संभावनाओं को समझाया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को मीडिया क्षेत्र में सफलता के मूल मंत्र को बताया ।

कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी समन्वयक स्नातक तृतीय सेमेस्टर  की विद्यार्थी वेरोनिका राय व आकाश कुमार ने किया। निर्णायक मंडल में स्नातक तृतीय सेमेस्टर के आकाश अस्थाना, कुमार आशीष व रुचि कुमारी ने प्रतियोगिता के सभी प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया।

कार्यक्रम के असाधारण पुरस्कार के विजेता अनुपम गांगुली, प्रथम विजेता श्रुति नीरज, द्वितीय प्रकाश यशस्विनी एवं तृतीय ऋषी राज एवं एवं आयोजन समिति के सदस्य अशीष कुमार, लक्की, रवि कश्यप थे .

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना