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सुंदरचंद ठाकुर लिखित उपन्यास "पत्थर पर दूब" का लोकार्पण

नवभारत टाइम्स के संपादक हैं श्री ठाकुर

मुंबई । हिंदी साहित्य में भारतीय सेना और सैन्य जीवन के आंतरिक तथा अन्य पहलुओं पर बहुत कम लिखा गया है। सभी बड़े रचनाकारों ने इस क्षेत्र को साहित्य से दूर रखा लेकिन युवा कवि-पत्रकार और कथाकार सुंदरचंद ठाकुर इस अछूते विषय पर उपन्यास लिखकर हिंदी साहित्य जगत के लिए बड़ा काम किया है। यह उपन्यास हिंदी साहित्य का पहला प्रामाणिक दस्तावेज़ है। ये विचार हिंदी के प्रख्यात वरिष्ठ कवि विष्णु खरे ने सुंदरचंद ठाकुर के उपन्यास "पत्थर पर दूब" के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। साहित्यिक-सांस्कृति संस्था "लोकमंगल" की ओर से मुंबई के हरिराम अग्रवाल सभागृह में आयोजित लोकार्पण समारोह में विष्णु खरे ने आगे कहा कि अंग्रेजी तथा अन्य विदेशी भाषाओं में फौज तथा युद्ध पर महानतम उपन्यास लिखे गए लेकिन हमारा हिंदी साहित्य इससे खाली है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने "उसने कहा था" में इस पर कहानी लिखी और आज वह महानतम कहानियों में है।

लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ कथाकार जगदम्बा प्रसाद दीक्षित ने कहा कि "पत्थर पर दूब" एक भारतीय सैनिक कमांडो की ऐसी प्रेम कथा है जो फौजी जीवन की अंदरूनी तथा बाहरी दुनिया से हमें रूबरू कराती है। यह उपन्यास दो हिस्सों में समान्तर चलता है -एक उसका प्रेम का पक्ष और दूसरा फौज की कठिन दुनिया। यह इस उपन्यास की बड़ी खूबी है। उपन्यास के नायक कमांडो विक्रम सिंह के संवेदनशील चरित्र को बेहद सहज और सजग ढंग से जीवंत किया गया है। वरिष्ठ कवि विजय कुमार ने उपन्यास पर चर्चा करते हुए कहा कि "पत्थर पर दूब" एक जेनुइन उपन्यास है। मुंबई में आतंकी हमलों की त्रासदी, फौज की अंदरूनी तथा बाहरी दुनिया प्रेम के कोमल प्रसंगों के साथ यह उपन्यास अपनी प्रामाणिकता दर्ज करता है।

इस अवसर पर कथाकार सुधा अरोड़ा, ओमा शर्मा तथा मराठी साहित्यकार जयंत पवार ने भी उपन्यास में शामिल विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उपन्यासकार तथा नवभारत टाइम्स के संपादक सुंदरचंद ठाकुर ने उपन्यास लिखने की प्रक्रिया तथा अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला तथा उपन्यास अंश का पाठ किया। लोकार्पण वरिष्ठ कवि विष्णु खरे ने किया और उसकी पहली प्रति "लोकमंगल" के ट्रस्टी कन्हैयालाल सराफ को भेंट की। कार्यक्रम का सफल संचालन युवा कवि व अमर उजाला के मुंबई ब्यूरो हरि मृदुल ने किया। अपने चुटेले अंदाज़ में कन्हैयालाल सराफ ने उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया। इस साहित्यिक समारोह में वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल, व्यंग्यकार यज्ञ शर्मा, कवि कैलाश सेंगर, मुंबई विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. करूणाशंकर उपाध्याय, लोकमंगल के विकास सराफ, आदि सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मुंबई से आफताब आलम

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सम्पादक

डॉ. लीना