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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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शर्म करो ऐ सर्वे वालो!

एक एजेंसी ने फिर सर्वे किया है. फिर एक अनर्थ. इस अर्थ में नहीं कि भावी प्रधानमंत्री उस ने उन नरेन्द्र मोदी को बता दिया है जो आज के राजनीतिक परिपेक्ष्य में खुद भाजपा के भी प्रधानमंत्री प्रत्याशी नहीं हैं. बल्कि इस लिए कि ये सर्वे सर्वेक्षण के मूल सिद्धांतों के भी खिलाफ है.

किसी भी सर्वे का मूल सिद्द्धांत ये है कि वो उस के सही समय पर किया जाएगा. उस समय जब उस तरह की कोई व्यापारिक या राजनीतिक प्रक्रिया जारी हो. मिसाल के तौर पर आज ऐसे किसी सर्वे का कोई मतलब ही नहीं है कि सूर्य पर जाने के लिए विमान कैसे हों और उस की टिकट कितने की हो. या ये कि क्या सभी साम्यवादी देश सोवियत और सभी पूंजीवादी देश अमेरिकी संघ में मिल जाएँ. इस लिए सब से पहली खामी तो यही है कि ये सर्वे हुआ ही गलत समय पर है और गलत तरीके से भी जब वो हुआ है तो ये शंका उठनी भी स्वाभाविक है कि उस का असल मकसद क्या है. सर्वे अगर सिर्फ देश की स्थितियों, घोटालों, प्राथमिकताओं, समस्याओं और जनभावनाओं पर भी होता तो बात समझ में आ सकती थी. लेकिन करीब करीब डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री तक पे फ़तवा दे देना, ये कुछ ज़्यादा ही हो गया है.

मज़े की बात ये है कि इंडिया टुडे जैसी पत्रिका ने इस सर्वेक्षण को दिखाने और जंचाने के लिए उस नील्सन का सहारा लिया है जो अतीत में खुद अपनी विश्वसनीयता का बैंड बजा चुकी है. यकीन न हो तो नीचे दिया उस का सर्वे देख लें. इस सर्वे में नील्सन ने कहा था कि पहले से चार ज़्यादा सीटों के साथ सरकार भाजपा की बनेगी. अन्य चौदह से घट कर सिर्फ दो रह जाएंगे. अब पता नहीं इन दो में उस ने निर्दलीयों के अलावा बसपा को भी गिना था या नहीं. पच्चास प्रतिशत लोग उस के हिसाब से जिन खंडूरी को मुख्यमंत्री बना रहे थे, वे दूर दूर तक कहें नज़र नहीं आये. बल्कि खुद चुनाव हार गए. और जिन हरक सिंह रावत को वह कांग्रेसियों में अव्वल बता रहा था मुख्यमंत्री तो क्या, मंत्री बनने में भी समय लगा. ये सर्वे उस ने उत्तराखंड के हाल ही के चुनाव के लिए दिया था. आप भी देख लीजिये.

Star-News Opinion poll released today suggests that BJP is on its way back in Uttarakhand, while Congress will make big improvements in its tally since 2007 polls.
Uttarakhand will go to polls on 30th Jan with voting in 70 constituencies from 13 districts of Uttarakhand. BJP won the majority in 2007 with 34 seats while Congress emerged second with 21 seats. In the build-up to 2012 Uttarakhand elections, BJP had to change the CM candidate owing to corruption charges. Congress failed to project its CM candidate and this may cost them some valuable votes.
Star News Opinion Poll suggests that BJP will gain 4 seats this time and end with 39 while Congress will gain double than BJP, but will still remain second with 29 seats. the tally of “Others” will reduce from 14 to just 2. However, the Star News poll shows that there is a difference of just 1% votes in their survey. 1% is a very narrow margin because these opinion polls are conducted ona very limited user base. So, the final result could very well be hugely different than what is being projected now.
For the post of CM, 50% voters voted in favour of the current CM from BJP, Khanduri. 20% voted for Harak Singh Eawat while 16% still prefer N D Tiwari.

नील्सन के उस निष्कर्ष को सही होता मान कर भाग भाग कर मर गई थी स्टार न्यूज़ की टीम. और जब नतीजे आए उलट, सरकार बन गई भाजपा की बजाय कांग्रेस की तो लानत मलामत तो खुद स्टार प्रबंधन ने भी की थी अपने संपादकीय विभाग की. इंडिया टुडे उन से भी ज़्यादा ढीठ निकला. स्टार ने सर्वे कम से कम चुनाव के दौरान तो किया था. इंडिया टुडे ने वो सोते से उठने के बाद सपना टूटने से भी पहले कर दिया है. पता नहीं किस गणन या समीकरण से उसे लगता है कि चुनाव तो देश में अब होने ही वाले हैं. और उसे अगर लगता है कि चुनाव समय से पहले नहीं होंगे और फिर भी उसने सर्वे सर्व कर दिया है तो उन पे बलिहारी जाना चाहिए.

और फिर दिया और किया क्या है नील्सन-इंडिया टुडे ने. वो बहुत महत्वपूर्ण है. वे कहते हैं कि न तो बहुमत यूपीए को मिल रहा है, न एनडीए को ही मिलेगा. ये भी कि यूपीए को वोट तो एनडीए के 28 प्रतिशत के मुकाबले दो ज़्यादा 30 प्रतिशत मिलेंगे. लेकिन प्रधानमंत्री चाहेंगे लोग नरेन्द्र मोदी को. ये समझ में नहीं आया कि जब लोग प्रधानमंत्री चाह ही नहीं रहे कांग्रेस में से किसी को उन के बराबर तो मत प्रतिशत फिर भी उन्हें ही अधिक क्यों मिल रहा है?...एक कहावत है कि बुआ के अगर दाढ़ी होती तो क्या वो ताया न होती. कल्पनाओं पे सोचना, लिखना और निष्कर्ष निकालते चले जाना अपने आप में किसी मूर्खता से कम नहीं. मगर फिर भी आप संभावनाओं की बात करें तो क्या एक संभावना ये नहीं है कि मोदी का नाम लेते हो नितीश कुमार की जदयू भाग खड़ी होगी. शरद यादव संयोजक नहीं रहंगे एनडीए के तो शायद कुछ घटक और टूटें उस के और न भी टूटें तो अकेले जदयू के भी वोट कम नहीं होंगे एनडीए को सत्ता से वंचित कर देने में?

इस लिए अब असली सवाल. आखिर होते ही क्यों हैं ऐसे सर्वे जिन का कोई मतलब और जिन्हें करने वालों की कोई विश्वसनीयता नहीं है. आप तो जैसे पाकिस्तान में बैठे हो. एक मुहीम चला दी है आपने सोशल साइट्स पे. पुराने और कहीं के फोटो आप ने नए और असम के बता के छाप दिए हैं. भगदड़ मच गई है. आपका काम हो गया है. दड़बे में आग लगा जमालो दूर खड़ी है. सर्वे ने देश में अशांति फैला सकने वाली अनिश्चितता का माहौल खड़ा कर दिया है. आपके सर्वे का पता नहीं, मगर मकसद की असलियत बाहर आ गई है. आप एक बार फिर नंगे हो गए हो!

(जर्नलिस्ट कम्युनिटी डॉट कॉम से)

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सम्पादक

डॉ. लीना