संघ को तरजीह
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास/ कारपोरेट मीडिया ने मेहनतकशों के हकहकूक के मुद्दों से किनारा कर लिया है।मजीठिया देने से परहेज करने वाले बड़े मीडिया घरानों की दिलचस्पी मेहनतकशों के हकहकूक में हो नहीं सकती क्योंक मीडिया में अब ज्यादातर लोग ठेके पर हैं और वहां नर्क की दशा सबसे ज्यादा खराब है। इसलिए बड़े अखबार जनता का हित और राष्ट्र को होने वाले नुकसान का हवाला और आंकड़े देते हुए इस औद्योगिक हड़ताल का घनघोर विरोध करके मेहनतकशों के खिलाफ जनता को भरसक भड़काने की कोशिश की।
मीडिया के इस जनविरोधी कार्यक्रम के बावजूद हड़ताल देश भर में अभूतपूर्व कामयाब रही। आर्थिक सुधारों के खिलाफ, विनिवेश और निजीकरण के खिलाप और श्रम कानूनों के खात्मे के खिलाफ नवउदारवादी जमाने में यह शायद पहली राष्ट्रव्यापी हड़ताल है, जिसका असर पूरे देश में हुआ।
मीडिया ने कवरेज करते हुए हिंसा और राजनीतिक मुद्दो को तरजीह दी और इसे राजनीतिक शक्तिप्रदर्शन में तब्दील करने में कामयाबी हासिल की। बंगाल में हिंसा की वजह भी यही है। हड़ताल के मुद्दों को सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बावजूद हड़ताल हो गयी तो राम मंदिर, कश्मीर जैसे मुद्दों को नये सिरे से उछालने की कवायद शुरु हो गयी है।
सनसनीखेज सेक्स के साथ मीडिया ने आरएसएस चिंतन बैठक को हड़ताल और मेहनतकशों के हकहकूक के मुकाबले तरजीह दी है,जो शर्मनाक है।
गौर करें:-
नईदिल्ली में अपनी राजनीतिक मुश्किलों को हल करने और संगठन को और मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकजुट हुए। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर का मसला उठाया। मामले में यह कहा गया कि राम मंदिर के मामले में लोगों के बीच संदेश ठीक नहीं जा रहा है। ऐसे में बात को पाजिटिव तरीके से बात आगे बढ़ाई जाने की जरूरत है। ऐसे में लोगों को गलतफहमी हो सकती है। मिली जानकारी के अनुसार संघ के सभी नेता इसमें शामिल हैं। संघ के सरसंघ चालक डाॅ. मोहन भागवत ने कहा कि 3 दिवसीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने की संभावना भी है। संगठन के बड़े पदाधिकारियों की बैठक में कई मसलों पर विचार मंथन किया जा सकता है। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित केंद्रीय मंत्रियों की भागीदारी भी आवश्यक मानी जा रही है। बैठक में बहुचर्चित धारा 370 के मसले पर भी चर्चा की गई। यही नहीं केंद्र सरकार के विभिन्न मसलों जैसे जाति, वन रैंक वन पेंशन आदि को लेकर भी चर्चा की गई। आरएसएस के 93 प्रमुख पदाधिकारियों और उनके पंद्रह सहयोगियों की समन्वय बैठक के अंतर्गत इन सभी मसलों पर एक समाधान हासिल होने को आवश्यक माना जा रहा है।