विनीत कुमार/ न्यूज चैनल देखते हुए कभी आप इस सिरे से सोचते हैं कि जिस हिन्दी ने औसत दर्जे के मीडियाकर्मी को शोहरत, दौलत और ताक़त दी, उनकी उस हिन्दी को सुनते हुए हम अपने बच्चों को ऐसी ही भाषा सीखने की सलाह दे सकते हैं ? आपकी नज़र में हिन्दी न्यूज चैनल का कोई भी एक एंकर है जिनके बारे में आप कह सकें कि इनसे हमें और हमारे बच्चों को हिन्दी सीखनी चाहिए.
देश की आज़ादी में जिस हिन्दी की बड़ी भूमिका रही है, आपको लगता है कि उस हिन्दी के बूते अपनी रोज़ी-रोटी और शान-शौक़त की चीज़ें जुटानेवाले एंकर/मीडियाकर्मी उसे इस लायक बनाने की कोशिश में रहते हैं कि जिससे इस भाषा को ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपना सकें ? वे हिन्दी बोलते हैं तो लगता है जैसे किसी को ललकार रहे हों, दुत्कार रहे हों, अपमानित कर रहे हों, धमका रहे हों ? क्या हिन्दी इसी काम के लिए है ? आपको नहीं लगता कि इतनी सुंदर और संभावनाओं से भरी भाषा को हमारे न्यूज एंकर/ मीडियाकर्मी इस अंदाज़ में बदल रहे हैं कि हम दिमाग़ी तौर पर और बंद होते चले जाएं, आक्रामक और हिंसक होने लग जाएं ?