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 मीडियामोरचा

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दरअसल राहुल कँवल, इंडिया टुडे ने आपको धोखे में रखा

विनीत कुमार/ पिछले दिनों इंडिया बनाम भारत को लेकर इंडिया टुडे चैनल पर राहुल कँवल ने जो कार्यक्रम पेश किया, उसे लेकर मैंने एक पोस्ट लिखी. उस पोस्ट पर जितनी प्रतिक्रिया आयी, उनमें से एक पढ़ते हुए लगा कि टिप्पणी करनेवाले अभय ( Abhai Srivastava) ने यह समझा कि स्टूडियो में बैठकर राहुल कँवल, देवदत्त पटनायक और संजीव सान्याल से बातचीत कर रहे थे जिसने कि सान्याल और पटनायक के बीच बहस का रूप ले लिया. अजय की तरह बाक़ी दर्शकों का ऐसा समझना स्वाभाविक ही है क्योंकि राहुल कँवल, इंडिया टुडे ने ऐसी प्रस्तुति दी कि धोखा होना स्वाभाविक ही है. उपर से जिस तरह से एक्सक्लूसिव की पट्टी लगायी तो लगा कि सच में कुछ तीर मार लेनेवाला काम कर रहे हों. इस संबंध में पटनायक ने ट्विटर पर विस्तार से लिखा है.

मैंने कई बार रेड एफएम, एनडीटीवी इंडिया और अलग ज़जीरा को उनके सवालों के अनुसार क्रम से ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड करके अपने जवाब भेजे हैं. मेल के जरिए वो सवाल भेजते हैं या फिर उधर से बताते है कि आप जो बोल रहे हो, यहां हम रिकॉर्ड कर रहे हैं और उसके बाद वो एक-एक करते सवाल करते जाते हैं. यह काम ख़त्म होने के बाद जॉकी-एंकर की सवाल की शक़्ल में पैच लगाते हैं जिसके बाद ऐसा लगता है कि उधर वो सवाल कर रहे हैं और इधर मैं जवाब दे रहा हूं जबकि मैंने शो से बहुत पहले प्रोड्यूसर के सवालों के अनुसार क्रम से जवाब दे रहा होता हूं जिनमें से कई बार वो एक-दो ही सवालों के जवाब शामिल करते हैं. बाक़ी को मेरी तस्वीर के साथ व्ऑइस ओवर करके चला देते हैं. यह मीडिया के भीतर एकदम कॉमन पैटर्न है. लेकिनराहुल  कँवल ने इंडिया बनाम भारत को लेकर जो कार्यक्रम प्रस्तुत किया, उसमें इस तरह से स्पिन देने की कोशिश करते नज़र आए कि दर्शकों को लगे कि सान्याल और पटनायक आपस में गुत्थम-गुत्थी करने में लगे हों. चैनल को असल फ़ायदा तो इसी बात में है जबकि दोनों ने अलग-अलग समय में एक-दूसरे से अलग रहकर पूछे गए सवालों का जवाब रिकॉर्ड करने भेजे.

चैनल एक नहीं, पचहत्तर तरीके से या तो धोखे में रखते हैं या फिर धोखा खा जाने की संभावना पैदा करते हैं. इस कार्यक्रम से पहले भी हम दर्शक जानते हैं कि दोनों साथ स्टूडियो में भी होते तो तू-तू-मैं-मैं नहीं करते. दोनों एक-दूसरे से सहमत होते हुए भी शालीन बने होते क्योंकि दोनों इस विषय के अध्येता हैं, न्यूज एंकर नहीं. यह अलग बात है कि सान्याल की लिगेसी काम से कहीं अधिक सत्ता के साथ होने से है. मैं कोई नहीं बात नहीं बता रहा, आप सब जानते हैं. हां ये इस तरह से प्रोडक्शनवाली बात शायद आपमें से बहुत लोगों के लिए नया हो या आप अवगत न हो तो आगे टीवी देखते हुए ग़ौर करेंगे.

स्क्रीनशॉटः देवदत्त पटनायक ट्विटर टाइमलाइन

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सम्पादक

डॉ. लीना