अमित आनंद / होली आ रही है.... टारगेट पूरा करो वरना......
स्थिति यह है कि पूरे दिन संवाददाता खबरों की तलाश से ज्यादा विज्ञापन की तलाश में व्यतीत कर रहे हैं !
अखबार के आतंक के कारण जिला स्तर के सरकारी पदाधिकारी, कर्मचारी और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह विज्ञापन देने का दवाब दिया जा रहा है। और वे खामोशी से सबकुछ सह रहे हैं।
अब खबरों की विश्वसनीयता ??? ...... ....
अखबार के आतंक के कारण जिला स्तर के सरकारी पदाधिकारी, कर्मचारी और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह विज्ञापन देने का दवाब दिया जा रहा है। और वे खामोशी से सबकुछ सह रहे हैं।
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