लखनऊ। ‘रेवान्त’ का जुलाई-दिसम्बर 2013 अंक प्रकाशित होगया है । इस नये अंक में आप पढ़ सकते हैं, संपादकीय के तहत शोक को शक्ति में बदलना है तय करो, किस ओर हो तुम ? धरोहर में प्रेमचंद का 1930 में प्रकाशित ‘हंस’ के पहले अंक का संपादकीय ‘हंस-वाणी’ और राजेन्द्र यादव का 1986 में ‘हंस’ के पुर्नप्रकाशित अंक का संपादकीय ।
‘प्रत्यय’ सक्षात्कारः स्त्री लेखन और स्त्री विमर्श पर डॉ मैनेजर पाण्डेय से वार्ता। वहीं, लेख में , 21 वीं सदी के उपन्यासों में बाजारवाद और स्त्री: रविकान्त, ‘काल से होड़’ के अन्तर्गत सुभाष राय और शंभु बादल की कविताएं ।
तेजेन्द्र शर्मा, महेन्द्र भीष्म तथा दीप्ति गुप्ता की कहानियां । चन्द्रेश्वर, भगवान स्वरूप कटियार, अनामिका चक्रवर्ती, उपमा सिंह, राजकुमारी, मीनू मधुर तथा गायत्री सिंह की कविताएं । संघर्ष: इरोम शर्मिला के संघर्ष के तेरह साल: कौशल किशोरऔर टिप्पणी: रवीन्द्र वर्मा के उपन्यास ‘एक डूबते जहाज की अन्तर्कथा’ पर प्रताप दीक्षित।
पत्रिका : ‘रेवान्त’
प्रधान संपादक: कौशल किशोर
संपादक: डॉ अनीता श्रीवास्तव
एक प्रति: 25 रुपये, वार्षिक: 200 रुपये
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