नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को संपादक पद पर नियुक्ति के लिए बाध्य होना पड़ा है। अदालती फैसले को देखते हुए, मंत्रालय ने आखिरकार सुधीर हिलसायन को नियुक्त कर लिया है।
श्री हिलसायन ने अपना कार्यभार ग्रहण किया। श्री हिलसायन भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से प्रशिक्षित पत्रकार और दलित विषयों के जाने-माने जानकार हैं। वे फाउंडेशन की अंबेडकर सम्पूर्ण वाङमय परियोजना से बतौर सम्पादक जुड़े रहने के अलावा, दलित विषयों से जुड़ी कुछेक पत्रिकाओं के भी संपादक रहे हैं।
गौरतलब है कि मंत्रालय के अधीनस्थ डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन से प्रकाशित पत्रिका सामाजिक न्याय संदेश में सम्पादक का पद 2006 से ही खाली था। जिसके लिए मंत्रालय ने 8 जून 2009 को इंटरव्यू किया, मगर किसी की नियुक्ति नहीं की। इस दौरान, पत्रिका का प्रकाशन भी ठप्प रहा। लेकिन मंत्रालय किसी न किसी बहाने नियुक्ति को टालता रहा जिसके बाद श्री हिलसायन ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्री हिलसायन के दावे को सही मानते हुए मंत्रालय को उन्हें पिछले दिसम्बर में, चार सप्ताह के भीतर नियुक्त करने का निदेश दिया। अदालत ने स्वीकार किया कि 2009 में मंत्रालय द्वारा गठित चयन समिति द्वारा इंटरव्यू के बाद बनाई गई योग्यता सूची में हिलसायन का नाम सबसे ऊपर था। अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी की है कि सम्पादक पद के रिक्त होने के कारण सामाजिक न्याय संदेश और अम्बेडकर फाउंडेशन का काम प्रभावित हो रहा था जो न फाउंडेशन के हित में है और न ही जनहित में। अदालत ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था यह दी है कि किसी भी सरकारी संस्थान में खाली पद पर नियुक्ति के लिए चयनित उम्मीदवार को बिना किसी उचित कारण के नियुक्त नहीं किया जाना गैर-न्यायोचित है।