पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और समाज विज्ञानी प्रफुल्ल बिदवई का 66 साल की उम्र में हॉलैंड के एम्सटर्डम में निधन हो गया. बीबीसी ने अकादमिसियन अचिन विनायक के हवाले से खबर दी है कि उनकी मौत गले में भोजन फंस जाने की वजह से हुई. बिदवई पर्यावरण, वैश्विक न्याय और शांति विषय पर लिखते थे. उनके लेख देश-दुनिया के तमाम अखबारों में प्रकाशित होते थे. उन्होंने बीबीसी के लिए भी काफ़ी लिखा है.
वेबसाइट प्रफुल्ल बिदवई डॉट ओआरजी के मुताबिक़ वो इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च, सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑन एजुकेशन और नेशनल बुक ट्रस्ट के सदस्य रह चुके थे. वे राजनीतिक अर्थशास्त्र, पर्यावरण, टिकाऊ विकास, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और परमाणु विषय पर कई किताबों के सह लेखक थे.
1949 में जन्मे बिदवई ने आईआईटी बांबे से विज्ञान और प्रौद्योगिकी, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी.
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने फेसबुक पर लिखा है कि पत्रकार-लेखक भाई प्रफुल्ल बिदवई के आकस्मिक निधन की बुरी खबर ने स्तब्ध कर दिया। कुछ माह पहले ही एक मित्र के घर रात्रि-भोज पर उनसे मुलाकात हुई थी। बहुत सारे नये मुद्दों पर बात हुई। उनके लेखन से मेरा परिचय टाइम्स आफ इंडिया के दिनों से है। उन दिनों वह टाइम्स में वरिष्ठ सहायक संपादक थे और मैं नवभारत टाइम्स में संवाददाता के रूप में काम कर रहा था। भारतीय पत्रकारिता में प्रफुल्ल का उल्लेखनीय अवदान है। उनके निधन से हम सब आहत हैं। हमारी श्रद्धांजलि।