रांची/ पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने मीडिया की तुलना अस्पताल के ब्लड बैंक की उन्होंने कहा कि मीडिया एवं कोई अन्य संचार माध्यम, अस्पताल के ब्लड बैंक की तरह है यदि अस्पताल का ब्लड बैंक ही दूषित हो जाएगा तो उस अस्पताल में कोई मरीज सुरक्षित नहीं रहेगा और न ही वहां कोई इलाज कराने जाएगा।
श्री सिन्हा कल एक हिन्दी समाचार पत्र के रांची स्थित नये कार्यालय के उदघाट्न और इलेक्ट्रानिक पेपर के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि संचार माध्यमों की भी यदि विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ दूषित हो जाएगा तो फिर लोग किस पर भरोसा करेंगे?
एक जमाने में टीवी आया तो लोगों ने यह कहना शुरु कर दिया कि अब अखबारों की कोई जरुरत नहीं होगी लेकिन आज भी लोग देखने-सुनने के बजाय पढ़ना ज्यादा पसंद करते है और जिस तरह से संचार का टेलीविजन माध्यम दूषित हुआ है उससे अखबारों पर लोगों की निर्भरता और भी बढ़ी है। वे आज भी सुबह.सुबह घंटों कई अखबार पढ़ना पसंद करते है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि आज पत्रकार बन जाना आसान है लेकिन विषय का अध्ययन नहीं होने के कारण कई बार पूछे गये कुछ बेतूके सवालों का जवाब देने का भी मन नहीं करता है लेकिन इसके बावजूद राजनेता होने के कारण ऐसा करना मुश्किल होता है। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के तौर पर अपने दिनों को याद करते हुए का कि जब वह भाप्रसे अधिकारी के रुप में कार्यरत थे तो लोग कहते थे कि आईएएस के कारण ही देश बर्बाद हो रहा है तब आईएएस की नौकरी छोड़ दी और राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद जहां भी जाते तो लोग कहते कि राजनीतिज्ञों की वजह से देश बर्बाद हो रहा है। एक बार किसी ने मुझे पत्रकार भी बनने की सलाह दी।