दक्षिण एशिया में महिला पत्रकारों की स्थिति पर रिपोर्ट जारी
नयी दिल्ली/ केंद्रीय महिला एवम् बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मीडिया में महिला पत्रकारों के साथ भेदभाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस पेशे में अधिकतर महिलाएं अपने दफ्तर में यौन प्रताड़ना की शिकार होती हैं लेकिन कई तो इसकी शिकायत भी नहीं कर पाती हैं। श्रीमती ईरानी ने शनिवार को यहां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर दक्षिण एशिया में महिला पत्रकारों की स्थिति पर रिपोर्ट जारी करते हुए यह बात कही। यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया महिला नेटवर्क और भारतीय जनसंचार संस्थान ने मिलकर तैयार किया है।
श्रीमती ईरानी ने रिपोर्ट में किये गए सर्वेक्षण के आंकड़ों के हवाले से कहा कि महिला पत्रकारों को भेदभाव ही नहीं बल्कि यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है और उन्हें नौकरी की सभी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में शामिल 87 प्रतिशत महिला पत्रकार मीडिया से और 17 प्रतिशत मनोरंजन क्षेत्र की हैं। 2.99 प्रतिशत महिला पत्रकारों को पेंशन मिल पाती है। 1.49 प्रतिशत को साल में बोनस मिल पाता है तो 2 प्रतिशत को एलटीसी। केवल 17 प्रतिशत को ही मातृत्व अवकाश मिल पाता है। 42 प्रतिशत महिला पत्रकारों को नौकरी की सभी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। 44 प्रतिशत से कम महिलाओं को ही बराबर काम की सुविधा मिल पाती है।
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट हमारे समाज का आईना है जिससे पता चलता है कि महिलाओं की क्या स्थिति है। उन्होंने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट को मीडिया हाउस के सभी मालिकों और नियोक्ताओं के पास भेजा जाना चाहिए ताकि वे जान सकें कि महिलाओं की उनके दफ़्तर में क्या हालत है जिससे वे महिलाओं के साथ न्याय कर सकें। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट तो महानगरों के पत्रकारों की है लेकिन हमें क्षेत्रीय मीडिया में काम कर रही महिलाओं की स्थिति के बारे में भी एक रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए।
श्रीमती ईरानी ने कहा कि हमें महिलाओं की स्थिति पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव का भी अध्ययन करना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि विज्ञापन और फिल्मों तथा धारावाहिकों में महिलाओं की छवि किस तरह बनाई जा रही है। उन्होंने मीडिया के क्षेत्र में एक शीर्ष महिला पत्रकार की स्मृति में एक पीठ स्थापित करने का सुझाव दिया और इसके लिए पीआईबी से नाम भी मांगा।
समारोह में दक्षिण एशिया नेटवर्क की संयोजक वीणा सीकरी ने कहा कि गत पांच साल से यह रिपोर्ट तैयार की जा रही थी। यह रिपोर्ट नौ देशों के पत्रकारों के सर्वेक्षण पर आधारित है। स्वागत भाषण पीआईबी के प्रधान महानिदेशक के एस धतवलिया ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन भारतीय जनसंचार की प्रो. अनुभूति यादव ने दिया। श्रीमती यादव ने इस रिपोर्ट को हर दो चार साल पर अपडेट करते रहने की मांग की और शोध कार्य को निरंतर होते रहने का भी सुझाव दिया।