Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

जनकल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अहम: मयंक अग्रवाल

पीआईबी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना द्वारा जिला के मीडियाकर्मियों के लिए एकदिवसीय कार्यशाला - “वार्तालाप” का आयोजन

अररिया/ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की प्रमुख मीडिया इकाई, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), पटना द्वारा अररिया जिले में आज एकदिवसीय क्षेत्रीय मीडिया कार्यशाला – “वार्तालाप” का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार सूदन सहाय, टाईम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार एल. पी नायक, प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार तथा अररिया जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष मो. परवेज आलम, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), पटना के अपर महानिदेशक मयंक कुमार अग्रवाल, निदेशक दिनेश कुमार और सहायक निदेशक संजय कुमार ने संयुक्त रूप से दीप-प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन पीआईबी, पटना के सूचना सहायक पवन कुमार सिन्हा तथा भुवन कुमार ने किया। इस कार्यशाला में अररिया जिला मुख्यालय के वरिष्ठ पत्रकारों के साथ-साथ अनुमंडल और प्रखंड स्तर के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य मीडिया से जुड़े मीडियाकर्मियों ने भाग लिया। बिहार में क्षेत्रीय मीडिया कार्यशाला- वार्तालाप का यह 9वां आयोजन है। इससे पूर्व यह नवादा, गया, मुजफ्फरपुर, आरा, कैमूर, औरंगाबाद, नालंदा तथा जहानाबाद जिलों में आयोजित किया गया।  
 
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कार्यशाला के मुख्य अतिथि पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार सूदन सहाय ने कहा कि मीडियाकर्मी राजनीति और प्रशासन का हिस्सा नहीं बनें क्योंकि ऐसी प्रवृति एक पत्रकार के रूप में हमारे क्षरण की शुरूआत होती है। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि मीडिया जैसे पेशे को अपनाने से पूर्व अपने लक्ष्य तय करें। 
 
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कार्यशाला के विशिष्ठ अतिथि टाईम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार एल. पी नायक ने कहा कि वार्तालाप भारत सरकार  और जिलास्तरीय पत्रकारों के बीच मौजूद रिक्तता को कम करने का बेहतर प्रयास है तथा इस प्रयास का स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी जनकल्याणकारी योजनाओं की सफलता के लिए जरूरी है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों से समन्वय स्थापित किए जाएं ताकि ग्रामीण स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन का सही रिपोर्ट सरकार को प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि पूर्व की काफी सारी योजनाएं इसलिए सफल नहीं हो सकी क्योंकि ग्रामीण स्तर के पत्रकारों द्वारा उठाए गए सवाल पर ध्यान नहीं दिया गया। श्री नायक ने कहा कि सामान्य तौर पर वर्तमान में राजनीतिक मसलों पर फीडबैक लेने की व्यवस्था बनी हुई है लेकिन बेहतर यह होगा कि अब स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विषयों पर फीडबैक लेने की भी व्यवस्था बने। उन्होंने यह भी कहा कि पीआईबी द्वारा एक ऐसे सेल की भी व्यवस्था किया जाए जहां राज्य के प्रत्येक जिलों से फीडबैक कलेक्शन की व्यवस्था हो। उन्होंने ग्रामीण पत्रकारों की मौजूदा चुनौतियों पर भी चर्चा की। 
 
कार्यशाला के विशिष्ठ अतिथि तथा प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार व अररिया जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष मो. परवेज आलम ने कहा कि हम पत्रकारों को पीआईबी के प्रयासों का लाभ उठाना चाहिए क्योंकि सूचना उपलब्धता के मामले में पीआईबी द्वारा किए गए कार्यों के बाद मीडियाकर्मियों की भूमिका शुरू होती है। उन्होंने अररिया जिलों में क्रियान्वित हो रही योजनाओं उज्ज्वला योजना, मनरेगा, कौशल विकास तथा शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा करते हुए कहा कि इन योजनाओं का वास्तविक लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अररिया एस्पीरेशनल जिलों में शामिल है लेकिन इसका लाभ तभी मिल सकेगा जब जिले के मीडियाकर्मी इस अवसर का लाभ लेने के लिए सजग रहेंगे। 
 
इससे पूर्व विषय प्रवेश संबोधन के दौरान पीआईबी, पटना  के अपर महानिदेशक, मयंक कुमार अग्रवाल ने कहा कि वार्तालाप का मुख्य उद्येश्य ही दिल्ली या अन्य महानगरों से बाहर निकलकर देश के जिलों में कार्यरत पत्रकारों से संवाद स्थापित करना है ताकि हमारे सामूहिक लक्ष्य जनता के कल्याण के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों को गति दी जा सके। उन्होंने कहा कि अररिया सामाजिक सूचकों में काफी पिछड़ा जिला माना जाता है अतः जरूरी है कि हम सब सामूहिक प्रयास से इस जिलों के विकास में योगदान करें। श्री अग्रवाल ने कहा कि निश्चित रूप से जिलों में अवसंरचनागत विकास परिलक्षित हो रहे हैं लेकिन वास्तविक विकास सामाजिक विकास है इसलिए जरूरी है कि जिलों के पत्रकार विकास पत्रकारिता को अपनाएं। उन्होंने कार्यशाला में शामिल मीडियाकर्मियों से आग्रह कि वे केंद्र व राज्य की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं विशेष तौर पर जन-धन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत योजना, स्किल इंडिया  तथा वित्तीय समावेशन के लिए किए जा रहे विभिन्न पहलों के बारे में लोगों को बताएं ताकि आमलोग इन योजनाओं से लाभान्वित हो सके। उन्होंने मीडियाकर्मियों  अपील करते हुए कहा कि वे सजग होकर लिखें तथा समाज में जागरूकता के विस्तार में योगदान दें। 
 
कार्यशाला में स्वागत संबोधन के दौरान मौजूद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए पीआईबी, पटना के निदेशक, दिनेश कुमार ने कहा कि हम संक्रमण के दौर से गुजर रहें हैं तथा ऐसे समय में हमें सजगता के साथ पत्रकारिता करनी चाहिए।
 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीआईबी, पटना के सहायक निदेशक, संजय कुमार ने कहा वार्तालाप शब्द की बुनियाद पर हम कई समस्याओं का हल कर सकते हैं। खबरों के चयन को लेकर जागरूक रहने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान दौर में सामाजिक सरोकार से ज्यादा अपराध या राजनीति की खबरों को जगह मिलती है। उन्होंने मीडियाकर्मियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे केंद्र व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में योगदान करें।
 
इस अवसर पर हिन्दुस्तान के ब्यूरो चीफ ब्रजेश मोहन ने कहा कि किसी भी योजना की सफलता के लिए जरूरी है कि सकारात्मक नीयत से नीति निर्माण हो। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि विकास का वास्तविक विकेंद्रीकरण भी हो ताकि, सरकार के प्रयास का प्रतिफल आमजन को मिल सके। कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ जितेंद्र कुमार ने कहा कि पत्रकारों को प्रयास हो कि खबर खुद खबर न बन जाए। उन्होंने कहा कि खबर निर्माण के दौरान हम संवेदनशील रहें। इस अवसर पर रोजनामा राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो चीफ मो. फिरोज आलम ने कहा कि जिले खबरों के प्रसार में अत्यधिक राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण वास्तविक सूचना आमजन तक नहीं पहुंच पाता है। उन्होंने कहा कि सरकारी मंसूबों को लोगों तक पहुंचाने के लिए बेहतर होगा कि प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर सूचना केंद्र बनाए जाएं। अपने संबोधन में उन्होंने जिले के बाढ़ पीड़ितों को मिलने वाली सहायता राशि में हेरफेर पर भी चर्चा की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए ईटीवी के ब्यूरो चीफ सतीश कुमार मिश्र ने कहा कि जिले में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण में हो रही गड़बड़ियों पर चर्चा करते हुए कहा कि जिले कई ऐसे गांव या पंचायत हैं जिसे स्थानीय प्रशासन द्वारा अपने-अपने परिभाषा के मुताबिक ओडीएफ घोषित कर दिया गया। सहारा टीवी के ब्यूरो चीफ मो. मुर्शिद राजा ने कहा कि वर्तमान में ऐसी सोच बन गई है कि पत्रकारों के प्रयासों को ही गलत मान लिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले में एमएसजीवी योजनाएं का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाया तो उसके लिए स्थानीय प्रशासन ही जिम्मेदार है। आकाशवाणी के संवाददाता गौतम सिंह सहगल ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मीडिया बाजारवाद का शिकार है यही कारण है कि कई बार खबरों के चयन में जनकल्याण का ध्यान नहीं रखा जाता। उन्होंने कहा कि हम मीडियाकर्मी प्रयास करें कि हमारे कार्यों का लाभ आमजन तक पहुंचे। संवाद वेब पोर्टल के अफ्फान कामिल ने सोशल मीडिया और सामाजिक जिम्मेदारियों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया तीव्र पहुंच की क्षमता रखता है इसलिए सूचनाओं के प्रसार में इसके प्रयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया के गलत प्रयोग रोकने के लिए विभिन्न कानूनी धाराओं के बारे में भी जानकारियां साझा किया। कार्यशाला को रोजनामा इंकलाब के अब्दुल गनी तथा भारत-नेपाल पत्रकार समन्वय समिति के सदस्य तथा सहारा टीवी के पंकज रणजीत ने भी संबोधित किया। 
 
इससे पूर्व उद्घाटन सत्र के दौरान पीआईबी, पटना के पवन कुमार सिन्हा द्वारा पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया, जिसके माध्यम से प्रतिभागी मीडियाकर्मियों को पीआईबी के मुख्य कार्यों, प्रणालियों, संगठनात्मक संचरना, विशेष सेवाओं, पीआईबी की वेबसाईट इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई।  खुला सत्र के दौरान कई पत्रकारों ने चर्चा में भाग लिया। समापन सत्र के दौरान उपस्थित प्रतिभागियों ने कार्यशाला के आयोजन, महत्व एवं उपयोगिता के संबंध में अपने विचार लिखित फीडबैक के रूप में पीआईबी, पटना को सौंपे।

(PIB, PATNA)

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना