अधिकारियों से 24 घंटे काम लेने का फरमान जारी
सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए पीआईबी को किया सतर्क
रोशन/ एसएनबी / नई दिल्ली। धीरे-धीरे कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार आम चुनावों की तैयारियों की तरफ बढ़ रही है। केंद्र सरकार के कार्यक्रमों व उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया और सरकार के बीच कड़ी का काम करने वाले पीआईबी को चौकस किया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों से कहा है कि पीआईबी के अधिकारियों से 24 घंटे काम लिया जा सकता है। मंत्रालयों से अपनी अपनी उपलब्धियों का पुलिंदा तैयार करने को भी कहा गया है, जिसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय राज्यवार एक किताब के रूप में प्रकाशित करेगा।
मनीष तिवारी के सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनने के बाद से ही मंत्रालय हलचल में आ गया है। तिवारी ने हाल में पीआईबी में तैनात भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों की बैठक लेकर उनके कामकाज की समीक्षा की थी। उन्होंने सरकारी उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार युद्धस्तर पर करने को कहा और आम जनता से जुड़ी योजनाओं को जनता तक प्रभावशाली तरीके से पंहुचाने के गुर भी बताए। मनीष तिवारी स्वयं कुछ सालों से कांग्रेस के प्रवक्ता हैं। वह अपने अनुभव सरकारी प्रवक्ताओं को बता रहे थे। उसके बाद सूचना एवं प्रसारण सचिव उदय कुमार वर्मा ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों को एक पत्र लिखा। इसमें लिखा गया गया है कि सभी मंत्रालय, खासकर वे मंत्रालय जिनका संबंध सीधे तौर पर आम जनता से जुड़ी योजनाओं से है, पीआईबी के अधिकारियों का अधिक से अधिक उपयोग करें। ये अधिकारी 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने आगे लिखा है कि हर मंत्रालय से पीआईबी का कोई न कोई अधिकारी जुड़ा है। इन अधिकारियों को हर बैठक में शामिल करें। यहां तक कि संसदीय प्रश्नों की ब्रीफिंग में भी पीआईबी के अधिकारी को संबंधित मंत्री के साथ बिठाएं। प्रचार-प्रसार से जुड़े कार्यक्रम से पहले पीआईबी के अधिकारी की मदद लें। सचिव ने भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारियां और काम करने के घंटे भी बढ़ा दिए हैं, लेकिन अधिकारियों की कार्य संस्कृति पर ध्यान नहीं दिया।
पीआईबी जैसी महत्वपूर्ण मीडिया यूनिट 48 प्रतिशत अधिकारियों की कमी के साथ चल रही है। एक अधिकारी के पास तीन-चार मंत्रालयों के प्रचार का जिम्मा है। पीआईबी मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन का खर्चा केवल उप सचिव और ऊपर के अधिकारियों को देता है। इससे नीचे के अधिकारियों को अपनी जेब से ही खर्चा उठाना पड़ता है। वित्त मंत्रालय की आपत्ति के बाद निचले स्तर के अधिकारियों को मोबाइल का खर्चा देना बंद कर दिया गया है। पीआईबी के अधिकारियों को मनोरंजन खर्च के तौर एक हजार रुपए मिलते थे, वे भी मंत्रालय ने बंद कर दिए हैं।
ग्रुप ए के अधिकारियों को समयबद्ध प्रमोशन नहीं मिल रहा है, तो दूसरी बड़ी समस्या भारतीय सूचना सेवा के ग्रुप बी अधिकारियों की है। छठे वेतन आयोग ने इनका वेतनमान सीसीएस सेवा के अधिकारियों से कम कर दिया है। यह पहला मौका होगा जबकि जब किसी अधिकारी का पीए उससे बड़ी हैसियत में होगा। ये अधिकारी 20- 22 साल तक प्रमोशन का इंतजार करते-करते बूढ़े हो जाते हैं। वेतनमान की विसंगति दूर करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय व वित्त मंत्रालय के बीच 2008 से ही फाइलें भेजीं और रिजेक्ट की जा रही हैं। मनीष तिवारी की बैठक में अधिकारियों ने इन मसलों को उठाया था, पर उन्होंने ठोस आासन नहीं दिया। ( saabhar-http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=9)