लेकिन विज्ञापन देने के मामले में निश्चित दिशा निर्देशों का पालन करने में कोई कोताही नहीं बरती जाती
नयी दिल्ली/ सरकार ने आज कहा कि विज्ञापन नीति में पिछले वर्ष किये गये संशोधनों के कारण असल में छप रहे अखबारों पर कोई आंच नहीं आयेगी जबकि नाममात्र के लिए छप रहे अखबारों का पता लग जायेगा और क्षेत्रीय तथा भाषाई अखबारों को उनका वाजिब हक दिया जायेगा।
सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू आज राज्यसभा में पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे. यहां उन्होंने कहा कि अखबारों को दिये जाने वाले विज्ञापनां के बारे में एक निश्चित नीति है, जो दिशानिर्देशों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि विज्ञापन देने के निश्चित मानक हैं जिनके आधार पर अखबारों का विज्ञापन दिये जाते हैं। अखबारों की प्रतियों की बिक्री संख्या इसका एक मुख्य कारक है। विज्ञापन देने के मामले में निश्चित दिशा निर्देशों का पालन करने में कोई कोताही नहीं बरती जाती। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे अखबारों की संख्या काफी है जो नाममात्र के लिए छप रहे हैं। इनका पता लगाने के लिए अखबारों की प्रसार संख्या से जुडी संस्था के साथ बैठक बुलाई गयी है । विभिन्न प्रिंटिंग प्रेस के आर्डरों की भी समीक्षा की जा रही है । जैसे लखनऊ की एक प्रिंटिंग प्रेस से 60 अखबारों के संस्करण छपने की बात कही जा रही है इसकी जांच की जायेगी। उन्होंने कहा कि राजधानी दिल्ली से ही 977 अखबार निकलते हैं , उत्तर प्रदेश से 2324 , राजस्थान से 675 और मध्य प्रदेश से 616 अखबार निकाले जा रहे हैं।
श्री नायडू ने स्पष्ट किया कि असल में छपने वाले अखबारों पर किसी तरह की आंच नहीं आयेगी और उन्हें उनके हक के विज्ञापन मिलेंगे। क्षेत्रीय और भाषाई अखबारों को भी विज्ञापन के मामले में उनका हक दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही एक समीक्षा बैठक होने वाली है जिसमें इन अखबारों को तरजीह दिये जाने के बारे में चर्चा की जायेगी।