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मीडियामोरचा

___________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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Blog posts : "feature"

हिन्दी बने राष्ट्र भाषा

“हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है।“

डॉ. सौरभ मालवीय/ ये शब्द बहुभाषाविद और आधुनिक भारत में भाषाओं का सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषा वैज्ञानिक जॉर्ज अब्राहम …

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गौरवशाली इतिहास को समेटे एक परिसर

आईआईएमसी के 58 वें स्थापना दिवस, 17 अगस्त पर विशेष

प्रो.संजय द्विवेदी/ भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) ने अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे कर लिए हैं। किसी भी संस्था के लिए यह गर्व का क्…

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ज़िम्मेदारी व समय की मांग है 'सिटिज़न जर्नलिज़्म'

डॉ. पवन सिंह मलिक/ सिटिज़न जर्नलिज़्म शब्द जिसे हम नागरिक पत्रकारिता भी कहते है आज आम आदमी की आवाज़ बन गया है। यह समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए, संबंधित विषय को कंटेंट के माध्यम से तकनीक का सहारा लेते हुए अपने लक्षित समूह तक पहुंचाने का एक ज़ज्बा है। वर्तमान में नागरि…

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अभिव्यक्ति का शानदार मंच सिटिज़न जर्नलिज्म

अनिता गौतम/ सिटिज़न जर्नलिज़्म, यह सिर्फ शब्द भर नहीं बल्कि व्यक्ति समाज, देश और दुनिया की जरूरत है। इस अंग्रेजी शब्द का मूल अनुवाद संभवतः नागरिक पत्रकारिता हो परंतु अलग अलग आयाम में फिट बैठता यह शब्द आम अवाम की मजबूत आवाज बन चुका है। देश दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक …

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दीनदयाल उपाध्याय: भारतीय पत्रकारिता के पुरोधा

25 सितंबर, जयंती पर विशेष  

पवन सिंह मलिक/ किसी ने सच ही कहा है कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मौत को गले लगा लेते हैं। उन्हीं में से एक नाम है दीनदयाल उपाध्याय का। जिन्होंने अपनी पूरी …

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दूरदर्शन: समाचार, संस्कार व संतुलन की पाठशाला

15 सितंबर दूरदर्शन दिवस पर विशेष

डॉ. पवन सिंह मलिक/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा हमारी आँखों के सामने आ…

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याद किए जाएंगे उर्दू पत्रकार मौलवी बाकर अली

बिहार उर्दू मीडिया फोरम 16 सितंबर को उनकी शहादत दिवस मनायेगा

पटना/ इतिहास गवाह है कि पत्रकारिता ने दुनिया की बड़ी बड़ी क्रांत्रियों को जन्म दिया. कई शासकों का तख्ता पलट किया. जब देश में स्वतंत्रत…

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डिजीटल अम्ब्रला के नीचे शासन और सरकार

हुई करोड़ों की बचत!

मनोज कुमार/ क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि पेपरलेस वर्क कर कोई विभाग कुछ महीनों में चार करोड़़ से अधिक की राशि बचा सकता है? सुनने में कुछ अतिशयोक्ति लग सकती है लेकिन यह सौफीसदी सच है कि ऐसा हुआ है. यह उपलब्धि जनसम्पर्क संचालन…

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पत्रकारिता की उजली परंपरा के वाहक

स्वदेश समूह के प्रधान संपादक राजेंद्र शर्मा की हीरक जयंती पर (18 जून) पर विशेष

प्रो.संजय द्विवेदी/ उनका हमारे बीच होना उस उम्मीद और आत्मविश्वास…

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कम्युनिटी रेडियो : सुन और सुना रहे हैं आदिवासी समुदाय

विश्व रेडियो दिवस 13 फरवरी पर विशेष

मनोज कुमार/ मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में कम्युनिटी रेडियो की गूंज सुनाई दे रही है. राज्य के सुदूर आदिवासी अंचलों के आठ जिलों में कम्युनिटी रेडियो की स्थापना की गई है. इन रेडियो स्टेशनों…

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कैलेंडर के साथ जिंदगी भी बदल जाए तो बेहतर

प्रो. संजय द्विवेदी/ यह साल जा रहा है, बहुत सी कड़वी यादें देकर। कोरोना और उससे उपजे संकटों से बने बिंब और प्रतिबिंब आज भी आंखों में तैर रहे हैं और डरा रहे हैं। यह पहला साल है, जिसने न जाने कितने जानने वालों की मौत की सूचनाएं दी हैं। पहले भी बीमारियां आईं, आपदाएं आईं …

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‘प्रताप बाबा’

गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती 26 अक्टूबर पर विशेष  

ज़िया हसन।  कलम की ताकत हमेशा से ही तलवार से अधिक रही है और ऐसे कई पत्रकार हैं, जिन्होंने अपनी कलम से सत्ता तक की राह बदल दी। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने …

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कुलपति नहीं, मैं मीडिया शिक्षक रहना चाहता हूं: प्रोफेसर सुरेश

मनोज कुमार/ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश मध्यप्रदेश की पत्रकारिता, खासकर मध्यप्रदेश की पत्रकारिता शिक्षा में भले ही अनचीन्हा नाम हो सकता है लेकिन देश और दुनिया की पत्रकारिता और पत्रकारिता शिक्षा में सुप्रतिष्ठित नाम है…

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पत्रकारिता में शुचिता, नैतिकता और आदर्श के हामी दीनदयाल

पं. दीनदयाल उपाध्याय जयंती 25 सितम्बर पर विशेष  

लोकेन्द्र सिंह / पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीतिज्ञ, चिंतक और विचारक के साथ ही कुशल संचारक और पत्रकार भी थे। उनके पत्रकार-व्यक्तित्व पर उतना प्रकाश …

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61 साल का हुआ दूरदर्शन

15 सितंबर 1959 को प्रारंभ, पहले ‘टेलीविजन इंडिया’  नाम था  

डॉ. पवन सिंह मलिक/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी प…

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सौ साल का हुआ "आज"

1920 में 5 सितंबर को शुरू हुआ “आज” समाचार पत्र सौ साल बाद भी निरंतर प्रकाशित हो रहा है, पटना से भी 41 वर्षों से निकल रहा है

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गौरवशाली इतिहास को समेटे एक परिसर

आईआईएमसी के 56 वें स्थापना दिवस (17 अगस्त) पर विशेष

प्रो. संजय द्विवेदी/ भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) ने अपने गौरवशाली इतिहास के 56 वर्ष पूरे कर लिए हैं। किसी भी संस्था के लिए यह गर्व का क्…

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पत्रकारिता को कलंकित करते ये आधुनिक टी वी एंकर्स

अतिथियों के साथ भी इस लहजे से बात करते हैं, गोया उसे बुलाया ही अपमानित करने के लिए है

तनवीर जाफ़री/ प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे सम्मान विजेता तथा द…

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पत्रकारिता की रीढ़ की हड्डी है आंचलिक पत्रकारिता

30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष 

मनोज कुमार/ कल्पना कीजिए कि आपके शरीर में रीढ़ की हड्डी ना हो तो आपका जीवन कैसा होगा? क्या आप सहज जी पाएंगे? शायद जवाब ना में होगा। वैसे ही पत्रकारिता की रीढ़ की हड्डी आंचलिक पत्रकारिता …

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मीडिया विद्यार्थियों ने दोसौ से अधिक वीडियो कार्यक्रम बनाये

लॉकडाउन में भी नहीं थमी विद्यार्थियों की रचनात्मकता

भोपाल/  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपने पत्रकारीय अभिव्यक्ति के माध्यम से कोरोना वायरस के खिलाफ द…

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सम्पादक

डॉ. लीना