प्रसार भारती के नए चेयरपर्सन ए. सूर्यप्रकाश वरिष्ठ अंग्रेजी पत्रकार हैं और दिल्ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फेलो भी रह चुके हैं। उनसे प्रसार भारती के नए और संभावित स्वरूप पर बातचीत की पूनम पाण्डे ने:
प्रसार भारती के चेयरपर्सन बने तो आपके राइट विंग के करीबी होने पर बड़ी आलोचना हुई...
पिछले 60 सालों से दिल्ली में दो विचार ही चल रहे हैं- नेहरूवादी या मार्क्सवादी। जिन लोगों ने अब तक देश के इंटलेक्चुअल स्पेस पर कब्जा किया हुआ था, वे चाहते हैं कि सब लेफ्ट विंग के हों। क्या डेमोक्रेटिक देश में आप सिर्फ लेफ्ट विंग के होने की इजाजत देते हैं/ मैं लेफ्ट विंग का नहीं हूं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं राइट विंग का बन जाता हूं। मैं लेफ्ट की तरफ झुकाव वाला होता तो क्या तब भी यह न्यूज बनती। मुझे दुख हुआ कि कुछ रिपोर्टों में मुझे राइट विंग कॉलमनिस्ट बताया गया, लेकिन डेमोक्रेसी स्टडी में किए गए मेरे काम को पूरी तरह नजरअंदाज किया। मैं दो किताबें लिख चुका हूं और तीसरी पाइप लाइन में है। कोई राइट विंग का है तो क्या यह असंवैधानिक है?
आप कैसा मीडिया चाहते हैं?
मैं 1975-77 में बंगलूरु में रिपोर्टर था। स्टेट असेंबली कवर करता था। रिपोर्ट फाइल करता था फिर यह कॉपी वैन से इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के पास जाती थी। उसमें काट-छांट होती थी और सेंसर होकर कॉपी वापस आती थी जिसे हम पब्लिश करते थे। मेरी पॉलिटिक्स बस इतनी है कि मैं देश को फिर कभी वैसी सिचुएशन में नहीं देखना चाहता। मैं 43 साल मीडिया में रहा। मैं बहुत स्ट्रॉन्ग और वाइब्रेंट मीडिया चाहता हूं। डेमोक्रेसी के विकास के लिए यह जरूरी है।
डीडी न्यूज में एंकर और स्क्रिप्ट की गलतियों को लेकर हाल में काफी विवाद हुए हैं...
हम इसमें सुधार पर काम कर रहे हैं। मैं अपने टीवी और प्रिंट का पूरा एक्सपीरियंस इस असाइनमेंट में लगाऊंगा। हमें डीडी न्यूज में और डीडी नैशनल की प्रोग्रामिंग में स्टैंडर्ड सुधारना है। मैं चाहता हूं कि डीडी न्यूज देश का टॉप क्लास न्यूज चैनल बने, जिसमें नीट-क्लीन न्यूज दिखाएं। न्यूज में पैकेजिंग का भी इश्यू है। मार्केट में मौजूद दूसरे चैनलों से तुलना करें तो कई कमियां दिखती हैं, इससे उबरने की जरूरत है। चैनल का लुक और फील चेंज करने के लिए हम काम कर रहे हैं। बेहतर स्क्रिप्टिंग, न्यूज रिपोर्टिंग की जरूरत है। बेहतर एंकर से लेकर स्टूडियो की कमियां ठीक करने पर भी हम काम कर रहे हैं।
नीट एंड क्लीन न्यूज से क्या मतलब है?
7-8 बजे जब लोग घर पहुंचते हैं, तो दिन भर की थकान के बाद कुछ रिलैक्स होना चाहते हैं। दूसरे चैनलों के प्राइम टाइम बैंड में ऐसा लगता है कि स्लैंगिंग मैच चल रहा है, जो डिस्टर्बिंग होता है। एंकर चीखते-चिल्लाते न्यूज पढ़ते हैं। 7-8 लोगों की मारामारी चल रही होती है। लोगों को न्यूज चाहिए। हम डीडी को क्वॉलिटी न्यूज चैनल बनाएंगे।
क्या आप रिक्रूटमेंट प्लानिंग भी कर रहे हैं?
प्रसार भारती एक्ट के तहत हमारा प्रसार भारती रिक्रूटमेंट बोर्ड होना चाहिए। हम सुनिश्चित करेंगे कि यह जल्द बने। हम सिस्टम में फ्रेश यंग ब्लड रिक्रूट करेंगे, क्योंकि अभी हमारे यहां एंप्लॉइज की ऐवरेज एज करीब 50 साल है, जो किसी भी मीडिया कॉरपोरेशन के लिए ठीक नहीं है। जो भी बाधाएं इसमें होंगी, हम दूर करेंगे। एक बार सिस्टम में फ्रेश ब्लड आएगा तो फिर हम प्राइवेट चैनलों का पूरी तरह मुकाबला कर सकते हैं। प्रसार भारती में बहुत टैलंट है, लेकिन हम दूसरे मीडिया ऑर्गनाइजेशंस को देखें तो वहां की ऐवरेज एज काफी कम है। हमारे यहां 90 पर्सेंट एंप्लॉई सेंट्रल गर्वनमेंट के हैं। 4000 करोड़ का हमारा बजट है जिसमें से 50 पर्सेंट यूनियन गवर्नमेंट के बजटरी सपोर्ट से आता है।
कोई फाइनेंशियल प्लानिंग, ताकि इंडिपेंडेंट हो सकें?
प्रसार भारती एक्ट में एक रिक्रूटमेंट बोर्ड है, जिसे लागू करना है। दूसरा असेस्ट ऑफ प्रसार भारती है, जो पूरा हमें ट्रांसफर होना चाहिए। वह अभी प्रोसेस में है। वहां भी कुछ काम करना है। ऐसा हुआ तो हम उन एसेस्ट को मॉनेटाइज कर सकेंगे। धीरे-धीरे हम अपने पैरों पर खड़े होंगे। ऑटोनमी ऐसे ही नहीं आएगी, हमें इंटरनल रेवेन्यू जनरेशन सुधारना होगा।
टीआरपी की दौड़ में डीडी कहीं नहीं दिखता।
मौजूदा रेटिंग सिस्टम और एजेंसी को लेकर कुछ इश्यू हैं। नया रेटिंग सिस्टम बन रहा है जो अप्रैल-मई तक आ जाएगा। तब सही अंदाजा मिलेगा कि किस चैनल को कितने दर्शक देखते हैं।
मीडिया हाउस सोशल मीडिया का यूज कर रहे हैं...
हम सोशल मीडिया स्पेस यूज करने की प्लानिंग कर रहे हैं। न्यूज के साथ हैशटैग का इस्तेमाल कर प्रोग्राम ऑनएयर करने का नया कॉन्सेप्ट है। यह दर्शक को जोड़ता है। प्रोग्रामिंग सुधारने पर काम कर रहे हैं। टॉप 12 प्रड्यूसर को हमने प्रोग्राम बनाने को इनवाइट किया है।
(साभार : नव भारत टाइम्स ,नई दिल्ली ,6दिसंबर 2014 )