‘पीबी-शब्द’ के माध्यम से समाचार सामग्री लोगो-मुक्त और क्रेडिट की आवश्यकता नहीं, मीडिया संगठनों के लिए साइन अप और उपयोग करने के लिए मार्च 2025 तक निःशुल्क…
Blog posts : "feature"
पं.माधवराव सप्रे: हिंदी के विस्मृत महानायक
26 वर्षों की उनकी पत्रकारिता और साहित्य सेवा ने मानक रचे
(153 वीं वर्षगांठ (19 जून) पर विशेष)
प्रो. संजय द्विवेदी/ पंडित माधवराव स…
मीडिया के लिए ‘वॉचडॉग’ की भूमिका में सोसायटी
हिन्दी पत्रकारिता दिवस (30 मई ) पर विशेष
प्रो. मनोज कुमार/ पत्रकारिता के इतिहास में हमें पढ़ाया और बताया जाता है कि पत्रकारिता सोसायटी के लिए ‘वॉच डॉग’ की भूमिका में है लेकिन बदलते समय में अब सोसायटी पत्रकारिता…
‘यह सुधार-समझौतों वाली मुझको भाती नहीं ठिठोली’
माखनलाल जी की जयंती पर विशेष (4 अप्रैल)
-प्रो. (डा.) संजय द्विवेदी/ पं. माखनलाल चतुर्वेदी और उनकी संपूर्ण जीवनयात्रा, आत्मसमर्पण के खिलाफ लड़ने वाले संपादक की यात्रा है। रचना और संघर्ष की भावभूमि पर खड़ी…
नागर समाज से समुदाय का रेडियो
13 फरवरी,विश्व रेडियो दिवस पर विशेष
मनोज कुमार/ कभी नागर समाज के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक होने वाला रेडियो आज समुदाय के रेडियो के रूप में बज रहा है। समय के विकास के साथ संचार के माध्यमों में परिवर्तन आया है और उनके समक्ष विश्व…
वेब पत्रकारिता ने महिलाओं के लिए खोले हैं संभावनाओं के दरवाजे
डॉ. लीना/ हेमंत कुमारी देवी वर्ष 1888 में इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली महिलाओं की पत्रिका- ‘सुगृहिणी’ की संपादक बनी थीं। जब देश अंग्रेजी हुकुमत के फंदे में था और महिलाओं में निरक्षरता बहुत ज्यादा थी, यहां तक कि अच्छे घरों की महिलाओं में भी साक्षरता की कमी थी, ऐसे में किसी महिला का आगे…
डिजिटल क्रांति से हिंदी को मिली नई पहचान
हिंदी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचा…
सकारात्मक पत्रकारिता, सकारात्मक भारत
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बाँध कर हुआ है। एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ…
बाबा साहेब ने पत्रकारिता को बताया सामाजिक न्याय का माध्यम
लोकेन्द्र सिंह/ बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर का व्यक्तित्व बहुआयामी, व्यापक एवं विस्तृत है। उन्हें हम उच्च कोटि के अर्थशास्त्री, कानूनविद, संविधान निर्माता, ध्येय निष्ठ राजनेता और सामाजिक क्रांति एवं समरसता के अग्रदूत के रूप में जानते हैं। सामाजिक न्याय के लिए उनके …
इक अखबार बिन सब सून
29 जनवरी पर विशेष
मनोज कुमार/ भारत का संविधान पर्व दिवस 26 जनवरी जनवरी को परम्परानुसार अखबारों के दफ्तरों में अवकाश रहा लिहाजा 27 जनवरी को अखबार नहीं आया और इक प्याली चाय सूनी-सूनी सी रह गयी. 28 तारीख को वापस चाय की प्याली में ताजगी आ गयी क्योंकि अखबा…
पत्रकारिता के पारस 'रमेश नैयर'
प्रो. संजय द्विवेदी/ उच्च स्तरीय पत्रकारिता की बात चले या पत्रकारिता के मानक मूल्यों की, हमें ऐसे बहुत कम लोग याद आते हैं, जिन्होंने इन्हें बचाने-बढ़ाने के लिए पूरे मनोयोग व समर्पण भाव के साथ काम किया। समकालीन हिंदी पत्रकारिता के ऐसे ही सशक्त हस्ताक्षरों में स…
न्यू इंडिया के निर्माण के लिए नेताजी के विजन को अपनाने की जरुरत : विक्रम दीश
भारतीय जन संचार संस्थान में 'शुक्रवार संवाद' कार्यक्रम का आयोजन
नई दिल्ली,/ "भारत के लोगों के मन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक अलग स्थान है। भारत की सभ्यता और संस्कृति से प…
स्वामी विवेकानंद ने समाचारपत्रों को बनाया वेदांत के प्रसार का माध्यम
लोकेन्द्र सिंह / स्वामी विवेकानंद सिद्ध संचारक थे। उनके विचारों को सुनने के लिए भारत से लेकर अमेरिका तक लोग लालायित रहते थे। लेकिन हिन्दू धर्म के सर्वसमावेशी विचार को लेकर स्वामीजी कहाँ तक जा सकते थे? मनुष्य देह की एक मर्यादा है। भारत का विचार अपने वास्तविक एवं उदात्त रूप …
दूरदर्शन: समाचार, संस्कार व संतुलन की पाठशाला
15 सितंबर 1959 को शुरू हुआ था दूरदर्शन
डॉ. पवन सिंह/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा हमारी आँखों के सामने आ जाता …
हिन्दी बने राष्ट्र भाषा
“हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है।“
डॉ. सौरभ मालवीय/ ये शब्द बहुभाषाविद और आधुनिक भारत में भाषाओं का सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषा वैज्ञानिक जॉर्ज अब्राहम …
गौरवशाली इतिहास को समेटे एक परिसर
आईआईएमसी के 58 वें स्थापना दिवस, 17 अगस्त पर विशेष
प्रो.संजय द्विवेदी/ भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) ने अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे कर लिए हैं। किसी भी संस्था के लिए यह गर्व का क्…
ज़िम्मेदारी व समय की मांग है 'सिटिज़न जर्नलिज़्म'
डॉ. पवन सिंह मलिक/ सिटिज़न जर्नलिज़्म शब्द जिसे हम नागरिक पत्रकारिता भी कहते है आज आम आदमी की आवाज़ बन गया है। यह समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए, संबंधित विषय को कंटेंट के माध्यम से तकनीक का सहारा लेते हुए अपने लक्षित समूह तक पहुंचाने का एक ज़ज्बा है। वर्तमान में नागरि…
अभिव्यक्ति का शानदार मंच सिटिज़न जर्नलिज्म
अनिता गौतम/ सिटिज़न जर्नलिज़्म, यह सिर्फ शब्द भर नहीं बल्कि व्यक्ति समाज, देश और दुनिया की जरूरत है। इस अंग्रेजी शब्द का मूल अनुवाद संभवतः नागरिक पत्रकारिता हो परंतु अलग अलग आयाम में फिट बैठता यह शब्द आम अवाम की मजबूत आवाज बन चुका है। देश दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक …
दीनदयाल उपाध्याय: भारतीय पत्रकारिता के पुरोधा
25 सितंबर, जयंती पर विशेष
पवन सिंह मलिक/ किसी ने सच ही कहा है कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मौत को गले लगा लेते हैं। उन्हीं में से एक नाम है दीनदयाल उपाध्याय का। जिन्होंने अपनी पूरी …
दूरदर्शन: समाचार, संस्कार व संतुलन की पाठशाला
15 सितंबर दूरदर्शन दिवस पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा हमारी आँखों के सामने आ…
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- वह बोलना भूल गए हैं!
- सत्ता से असहमत यूट्यूबर्स के लद जाएंगे दिन !
- और मीडिया का मुँह, विज्ञापन देकर बंद किया जाता रहा है
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टिप्पणी--
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
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AnonymousJune 6, 2023
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AnonymousApril 5, 2023
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AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना