आरजेएस का 15 दिवसीय 'सकारात्मकता का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव'
नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा है कि संवाद की सकारात्मक शक्ति ही …
आरजेएस का 15 दिवसीय 'सकारात्मकता का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव'
नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा है कि संवाद की सकारात्मक शक्ति ही …
विनीत कुमार / आज दि इंडियन एक्सप्रेस ने मुख्य पृष्ठ पर वरिष्ठ पत्रकार कोमी कपूर का संस्मरण प्रकाशित किया है. आज से 50 साल पहले जो आपाकाल लागू किया है, तब क्या स्थिति रही ? कपूर ने इसी आपातकाल पर “Emergency” शीर्षक से पूरी किताब भी लिखी है जिसे लेकर पिछले दिनों बनी फ़िल्म में ठी…
परकाया प्रवेश जैसा है बाल साहित्य का लेखन- प्रो.संजय द्विवेदी
भोपाल। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी का कहना है कि बाल साहित्य का लेखन 'परक…
प्रख्यात पत्रकार प्रदीप सरदाना के पत्रकारिता में 50 वर्ष, स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित
नयी दिल्ली। ‘’बहुत लोग आते हैं, बहुत चले जाते हैं। ल…
लेकिन मुझे हर वक़्त एक संपादक का साथ चाहिए
विनीत कुमार/ संपादक जैसी अब कोई संस्था बची नहीं है. संपादक अब सब मैनेजर हो गए हैं. मार्केटिंगवालों के आगे संपादक की चलती कहां है ? सेल्फ पब्लिशिंग के दौर में संपादक क…
अखिलेश कुमार/ आमलोगों के बीच हकीकत बयां करने का माध्यम पहले समाचारपत्र तथा रेडियो और बाद के दिनों में टेलीविजन रहा है। जबकि हाल के वर्षों में सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा और अभिव्यक्ति की आजादी के साथ सुचनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम भी साबित हुआ है। …
हिंदी पत्रकारिता के 200 साल
प्रो.संजय द्विवेदी/ कोलकाता से 200 साल पहले जब पं.युगुलकिशोर शुक्ल ने हिंदी का पहला पत्र 30 मई,1826 को प्रारंभ किया होगा, तो उन्होंने यह सोचा भी न होगा कि हिंदी पत्रकारिता देश की आवाज बन जाएगी। वह…
डॉ. लीना