हिंदी के सभी प्रमुख दैनिक अख़बारों के मुख पृष्ठ ढके हैं .......
चंद्रेश्वर //
बीत रही जो तिथि वो तेईस जनवरी है
दो हज़ार बीस की
हिंदी के सभी प्रमुख दैनिक अख़बारों के
मुख पृष्ठ ढके हैं
एक कार्पोरेट के जन्म शताब्दी वर्ष के
महँगे...चमकीले विज्ञापनों से
गोया तेईस जनवरी को पैदा हुआ था
एक महान देशभक्त के रूप में
ये कार्पोरेट ही
किसी प्रमुख अख़बार के
किसी पृष्ठ पर
दो शब्द भी नहीं छपे हैं
'नेता जी' के लिए
एक सच्चे देश नायक 'नेता जी' की
जन्म तिथि के दिन
ये विज्ञापन कर रहा है कोशिश
उनकी स्मृतियों को पोंछने की
बीती रही जो तिथि
वो एक विकट तिथि है
एक अँधेरे दौर की
खेल जारी है पूँजी
बाज़ार और कार्पोरेट की दुनिया का
विज्ञापन ढँक रहे हैं चेहरे
असली देश नायकों के
जनता बेख़बर है
कम लोग बचे हैं
अपनी स्मृतियों के साथ
कोई जैसे ही करता है
बात असहमति की
करार दे दिया जाता है
देशद्रोही
ये एक ऐसा दौर है
जब असली और नक़ली की जंग में
लाली और हरियाली दिख रही है
नक़ली चेहरों पर ही !