मनोज कुमार झा //
विज्ञापन ख़बरों की तरह
और ख़बरें विज्ञापनों की तरह
अख़बार में देश-दुनिया का हाल
कुछ इसी तरह
नँगाझोर बाज़ारवाद के इस दौर में
आदमी को मानो क़त्ल कर
उसकी बोटी-बोटी का स्वाद
चखता-चखाता है अख़बार
जनता के दुश्मनों के हाथ पूँजी पर पलता
बहुत ही गन्दी चालें चलता है अख़बार
अख़बार का छपते ही रद्दी में बदल जाना
नँगाझोरी का दारुण सच है
मीडिया सेल्समैनों की चाल बड़ी विकट है
अब जनता का अख़बार कौन निकालेगा !