रश्मि रंजन//
सोचती हूँ.......
क्या है हमारे विचारों में
क्या है हमारे शब्दों में
क्या है हमारी खबरों में
धर्म/ जाति/ पैसा.....
और भी बहुत कुछ......
भ्रांति, अराजकता, शक्ति
सामर्थ्य युक्त हिंसक- भीड़
शब्दों और वाक्यों की.....
भाषा का उघड़ा हुआ रूप
लेखनी से बहता हुआ मवाद
और
भावनाओं से रिसता हुआ रक्त
अर्थहीन, संवादहीन, सन्देशहीन.....
वाह...
मनाएँ आओ, जश्न-ऐ- आजादी
विचारों, शब्दों और वाक्यों की.....