मनिष कुमार//
समय के अभाव से गुस्साते परिवार-रिश्तेदार हैं
साथ ही ना अच्छा घर ना कार है
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!
नेता-मंत्री हो या पुलिस-अधिकारी
सारे करते घपले-घोटाले और भ्रष्टाचार हैं
वैसे पेशे को करते ललकार हैं
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं !
टूटे हो जूते या फटा हो शर्ट, परवाह नहीं करते
क्योंकि हमारे जाने से रैली, धरना या कार्यक्रमों में मचता हाहाकार है
अब क्या कर सकते साहब पेशे से हम पत्रकार हैं!
चीजों को जानते हुए भी नहीं बोलते या नहीं लिखते
तो ये ना समझें कि हम नासमझ गवार हैं
परत दर परत खोल के,
सांप भी मार दें और लाठी भी ना तोड़े
हम उतने समझदार हैं
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!
अमीर-गरीब से हमें फर्क नहीं पड़ता
सबको दिलाते उसका अधिकार हैं
बेबाक और निष्पक्ष अंदाज में,
समाज एवं राष्ट्रहित ही हमारा आधार है
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!
पैसों की खातिर खबरों से इमान बेचते
वैसे पीले कलम के सिपाही को,
बिरादरी का देते दुत्कार है
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!
बाकी के तीनों स्तंभ सच्चाई से अपना काम करें
उसी निगरानी के लिए,
स्तंभ के रूप में मिला स्थान चार है
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!
ज्यादातर स्वभाव से हम होते मिलनसार है
पर जब पानी सर से गुजरे
तब दुश्मनों के दुश्मन और यारों का यार हैं
अरे भाई पेशे से हम पत्रकार हैं!
परिस्थिति चाहे कोई भी हो
दिन हो या रात हो, बोर्डर हो आर्डर हो
खाना हो या जेल खाना हो, बिलकुल नहीं घबराते
अपने काम को हमेशा मानते शानदार हैं
हा-हा-हा...क्योंकि पेशे से हम पत्रकार है और सिर्फ पत्रकार है!
मनिष कुमार
पत्रकारिता छात्र,
कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस पटना।