सतीश पेडणेकरः स्मृति शेष
निरंजन परिहार/ आईएसआईएस की कुत्सित कामवृत्ति, दुर्दांत दानवी दीवानगी और बर्बर बंदिशों की बखिया उधेड़ता इस्लामिक स्टेट की असलियत से अंतर्मन को उद्वेलित कर देने वाला लेखा-जोखा दुनिया के सामने रखनेवाले पत्रका…
सतीश पेडणेकरः स्मृति शेष
निरंजन परिहार/ आईएसआईएस की कुत्सित कामवृत्ति, दुर्दांत दानवी दीवानगी और बर्बर बंदिशों की बखिया उधेड़ता इस्लामिक स्टेट की असलियत से अंतर्मन को उद्वेलित कर देने वाला लेखा-जोखा दुनिया के सामने रखनेवाले पत्रका…
प्रो. संजय द्विवेदी/ वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज उनसे कभी बिसराया नहीं गया। वे अपनी हनक, आवाज की ठसक, भरपूर दोस्ताने अंदाज और प्रेम को बांटकर राजपुत्रो…
दविंदर कौर उप्पल होने के मायने
प्रो. संजय द्विवेदी / माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिस…
प्रो. संजय द्विवेदी (महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली)/ मेरे गुरू, मेरे अध्यापक प्रो. कमल दीक्षित के बिना मेरी और मेरे जैसे तमाम विद्यार्थियों और सहकर्मियों की दुनिया कितनी सूनी हो ज…
हकदार के संस्थापक व जुझारू पत्रकार पन्नालाल प्रेमी का 22 अक्तूबर को निधन
ताराराम गौतम/ देश भर में दलित पत्रकारिता में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले साप्ताहिक अख…
पं. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती (4 अप्रैल,1889) पर विशेष
प्रो. संजय द्विवेदी/ पं.माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम हैं, जिसे छोड़कर हम पूरे नहीं हो सकते…
नहीं रहे पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार पं. श्यामलाल चतुर्वेदी
प्रो. संजय द्विवेदी/ भरोसा नहीं होता कि पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार- साहित्यकार प…
मनोज कुमार/ मन आज व्याकुल है। ऐसा लग रहा है कि एक बुर्जुग का साया मेरे सिर से उठ गया है। मेरे जीवन में दो लोग हैं। एक दादा बैरागी और एक मेरे घर से जिनका नाम इस वक्त नहीं लेना चाहूंगा।…
एक था अखबार ( खण्ड-दो)
दिनेश चौधरी/ जिस अखबार के दफ़्तर में चौबीसों घण्टे कर्फ्यू लगा रहता था और जहाँ घड़ी की टिक-टिक साफ सुनाई पड़ती थी, मुझे बतौर प्रशिक्षु 'पाठकों के पत्र' एडिट करने का जिम्मा दिया गया। साथ में सम्पादकीय पृष्ठ की कुछ सामग्री और कुछ…
जरा घड़ी भर ठहरकर यह सोच लें कि जब आपकी दिमागी खुराक सेठ प्रजाति के लोग तय करें तो उस खुराक में जहरीले तत्वों की मात्रा कितनी होगी?…
13 फरवरी की रात हुआ है वरिष्ठ पत्रकार – स्तंभकार श्री हुसैन का निधन
संजय द्विवेदी/ मुंबई की सुबह और शामें बस ऐसे ही गुजर रही थीं। एक अखबार की नौकरी, लोकल ट्रेन के धक्के,…
हरीश बर्नवाल। 10 दिसंबर 2005 की घटना है। उन दिनों मैं स्टार न्यूज में कार्यरत था। मुंबई के जुहू तारा रोड स्थित रोटरी सेंटर में एक कार्यक्रम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। इस कार्यक्रम के दो हीरो थे। एक निदा फाजली, जिनकी किताब का विमोचन था और दूसरा मैं, जिसे अखिल भारतीय अमृ…
मनोज कुमार/ सुधीर तुम तो कमजोर निकले यार.. इत्ती जल्दी डर गए.. अरे भई कीकू के साथ जो हुआ.. वह तुम्हारे साथ नहीं हो सकता था.. ये बात ठीक है कि…
तारकेश कुमार ओझा / साधारण डाक और इंटरनेट में एक बड़ा फर्क यही है कि डाक से आई चिट्ठियों की प्राप्ति स्वीकृति या आभार व्यक्त करने के लिए भी आपको खत लिखना और उसे डाक के बक्से में डालना पड़ता है। लेकिन इंटरनेट से मिलने वाले संदेशों में इसका जवाब देने या अग्रसारित करने क…
9 अगस्त पुण्यतिथि पर
राजेन्द्र अग्रवाल/ मिशन से प्रोफेशन में बदलने वाली पत्रकारिता का जब जब उल्लेख होता है तब तब कस्तूरचंद गुप्त का स्मरण सहज ही हो जाता है। अपने समय के प्रतिबद्ध पत्रकार श्री गुप्त पूरे जीवनकाल पत्रकारिता को समाजसेवा…
(रायपुर के दैनिक अखबार ‘आज की जनधारा’ के संपादक-प्रकाशक देवेंद्र कर का रविवार एक सड़क दुर्धटना में निधन हो गया, यह लेख उनकी स्मृति में)…
वरिष्ठ पत्रकार दीनानाथ मिश्र जी की मृत्यु, नवभारत टाइम्स, पटना संस्करण के प्रथम स्थानीय संपादक रहे थे वो
नवेन्दु…
विजयदान देथा का निधन एक बड़ा आघात
कौशल किशोर / कथाक्रम के कार्यक्रम से लौटा ही था कि राजस्थानी भाषा के रचनाकार विजयदान देथा के निधन की खबर मिली। धक्का सा लगा। एक दुख से हम उबर भी नहीं पा रहे हैं कि दूसरा दुख चोट करने को तैय…
संजय द्विवेदी/ छत्तीसगढ़ के जाने-माने पत्रकार और ‘देशबंधु’ के पूर्व संपादक बसंत कुमार तिवारी का न होना जो शून्य रच है उसे लंबे समय तक भरना कठिन है। वे एक ऐसे साधक पत्रकार रहे हैं, जिन्होंने निरंतर चलते हुए, लिखते हुए, धैर्य न खोते हुए,परिस्थितियों के आगे घुटने न टेकते हुए न…
मशहूर लेखक और व्यंग्यकार केपी सक्सेना की 79 साल की उम्र में आज मृत्यु हो गयी। वे एक साल से जीभ के कैंसर से जूझ रहे थे और दो बार उनकी सर्जरी भी हो चुकी थी। …
डॉ. लीना