संजीव खुदशाह का पत्र राजदीप सरदेसाई के नाम
मिस्टर राजदीप सरदेसाईजी, आईबीएन 18 नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ
आज आपका लेख दैनिक भास्कर में पढा, दुख हुआ यह जानकर कि आपने एक एडिटर होने के बावजूद, इतने बडे न्यूज्र पेपर में जाति आधार पर दलितो को कोसने की कोशिश किया। इतना ही नही आपने ज्ञानी जैल सिंह को दलित बता दिया। महोदय ज्ञानी जैल सिंह के बारे में थोडा तो जानकरी कर लिया होता। आपकी जानकरी के लिए बताना चाहूगां किवे गुरुग्रंथ साहब के ‘व्यावसायिक वाचक’ थे। इसी से ‘ज्ञानी’ की उपाधि मिली। ये अधिकार किसी भी दलित सिक्ख को नही है। आपने ज्ञानी जैल सिंह के कार्यो को कुकृत्य तो बताया ही साथ ही उसको दलित होने के नाते श्री संशील शिदे से भी जोडने का प्रयास किया। आप इस लेख में यह बताना चाह रहे है कि दलित कितना भी बडी पोस्ट में चला जाय असफल ही होता है। मुझे दुख है आपकी इस अधुरे ज्ञान एवे घटिया सोच पर तथा दैनिक भास्कर के संपादक पर भी खेद हे कि वे किस प्रकार गलत जानकरी वाले घटीया लेख को प्रकाशित किया।
राजदीप के लेख को पढने के लिए यहां क्लिक करे
http://www.bhaskar.com/article/ABH-home-minister-showing-4187560-NOR.html
ज्ञानी जैल सिंह के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें
http://hi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%88%E0%A4%B2_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9
भवदीय
संजीव खुदशाह
Sanjeev Khudshah
www.sanjeevkhudshah.blogspot.com