खतरे में पत्रकारों की नौकरियां!
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ “माननीय प्रधानमंत्री जी हम आभारी हैं कि आप हमारे बीच आए। मेरी ऑन दी जॉब लर्निंग अब शुरू हो गई है और 2024 तक मैं देश की सबसे अच्छी जर्नलिस्ट होने की को…
खतरे में पत्रकारों की नौकरियां!
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ “माननीय प्रधानमंत्री जी हम आभारी हैं कि आप हमारे बीच आए। मेरी ऑन दी जॉब लर्निंग अब शुरू हो गई है और 2024 तक मैं देश की सबसे अच्छी जर्नलिस्ट होने की को…
तनवीर जाफ़री/ पिछले दिनों 30 मई को जब हमारे देश में पत्रकारिता दिवस की बधाइयों का सिलसिला चल रहा था उस के चंद रोज़ पहले पंजाब से यह ख़बर आई कि ज़ी मीडिया ग्रुप के सभी चैनल्स जिनमें हिंदी, अंग्रेज़ी के साथ पंजाबी जैसी क्षेत्रीय भाषा के चैनल्स भी शामिल हैं, को सरकार द्वारा ब्लैक आउट कर …
हिंदी पत्रकारिता दिवस (30 मई) पर विशेष
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाते समय हम सवालों से घिरे हैं और जवाब नदारद हैं। पं.जुगुलकिशोर शुकुल ने जब 30 मई ,1826 को कोलकाता से उदंत मार्तण्ड …
निर्मल रानी/ इस समय पूरा देश, शासन,प्रशासन तथा मीडिया लोकसभा चुनावों के वातावरण में डूबा हुआ है। सभी राजनैतिक दलों के स्टार प्रचारकों के निरर्थक आरोपों व प्रत्यारोपों को ज़बरदस्ती मुद्दा बनाकर जनता पर थोपा जा रहा है। आम लोगों की भावनाओं को झकझोर कर सत्ता में बने रहने के कुटिल प्रय…
तनवीर जाफ़री/ लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आख़िरकार भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड ख़रीद का विस्तृत डेटा अदालत को पेश कर ही दिया। साथ ही यह भी सार्वजनिक कर दिया कि इन इलेक्टोरल बांड के माध्यम से किस राजनैतिक दल को कितने पैसे प्राप्त हुये। जैसा कि पहले …
वरना आने वाले समय में विश्वसनीयता का संकट हो सकता है खड़ा, पूर्व जस्टिस कुरियन जोसफ की बातों पर गंभीरता से विचार करने की है जरूरत . . .…
पर्दे के पीछे इन ऐंकर्स को संचालित करने वाले इनके आक़ा व उनके चैनल्स भी प्रतिबंधित हों
तनवीर जाफ़री/ विपक्षी गठबंधन '"INDIA " ने आख़िरका…
इसे 'लघुशंका काल ' भी कह सकते !
निर्मल रानी/ देश इन दिनों बड़े ही अजीबो-ग़रीब दौर से गुज़र रहा है। मुख्यधारा का भारतीय मीडिया जो सत्ता के समक्ष 'षाष्टांग दंडवत ' हो चुका है। देश के लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पुकारा जाने वाला भारतीय मीडिया अ…
साल 2022 की मीडिया
मनोज कुमार/ तुम खेलो रंगों से, रंग बदलना तुम्हारी आदत में है, मेरा पसंदीदा रंग तो आज भी काला है और काले रंग में समा जाना तुम्हारी फितरत में नहीं क्योंकि तुम रंग बदलने में माहिर हो. साल 2022 मीडिया के ऐसे ही किस्से कहानियों का साल रहा है. …
तनवीर जाफ़री/ वर्तमान युग में कंप्यूटर -इंटरनेट के सबसे बड़े चमत्कार के रूप में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ार्म्स को देखा जा रहा है। इसके माध्यम से जहां दूरस्थ इलाक़ों की जो ख़बरें व सूचनायें कई कई दिनों बाद ज़िला व प्रदेश मुख्यालयों में पहुंचा करती थीं वे अब बिना समय गंवाये,तत्काल …
राजेश बादल/ संस्था के नाम पर भले ही एनडीटीवी मौजूद रहे, लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक सुनहरे अध्याय लिखने वाले इस संस्थान का विलोप हो रहा है । हम प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय की पीड़ा समझ सकते हैं । छोटे से प्रोडक्शन हाउस को जन्म देकर उसे चैनलों की भीड़ में नक्षत्र की तरह चमकाने…
निर्मल रानी/ क्रिकेट टी-20 विश्व कप का पिछले दिनों इंग्लैण्ड के 'विश्व विजयी ' होने के साथ समापन हुआ। फ़ाइनल मैच से पूर्व जब भारतीय टीम सेमीफ़ाइनल में पहुंची थी और फ़ाइनल में प्रवेश के लिये इंग्लैंड की ही टीम से संघर्ष कर रही थी उसी समय भारतीय टी वी चैनल्स ने क्रिकेट मैच की भविष्यवा…
मनोज कुमार/ सोशल मीडिया पर एक पीड़ादायक तस्वीर के साथ एक सूचना शेयर की जा रही है कि एक मजबूर पिता और एक मासूम बच्चा अपने भाई की लाश अपनी गोद में लिये कभी उसे दुलारता है तो कभी खुद रोने लगता है. पिता को बच्चे की लाश घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत है लेकिन व्यवस्था के पास यह सु…
तनवीर जाफ़री/ हमारे देश में चल रही सत्ता और मीडिया की जुगलबंदी, अनैतिकता की सभी हदें पार कर चुकी है। सत्ता की चाटुकारिता करना, झूठ पर झूठ प्रसारित करना और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना गोया इसका पेशा बन चुका है। आज देश में सांप्रदायिक वैमनस्य का जो वातावरण बना है उसके लिये जहां साम…
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
मनोज कुमार/ सवाल करती पत्रकारिता इन दिनों स्वयं सवालों के घेरे में है. पत्रकारिता का प्रथम पाठ यही पढ़ाया जाता है कि जिसके पास जितने अधिक सवाल होंगे, जितनी अधिक जिज्ञासा होगी, वह उतना कामयाब पत…
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ 30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी प…
पत्रकारिता की चाह रखने वाले पत्रकार अवसाद से घिरते जा रहे
रवीश कुमार। भारत में मीडिया समाप्त हो चुका है। ऐसी बाढ़ आई है कि अब टापू भी नहीं बचे हैं। हम सभी किसी ईंट पर तो किसी पेड़ पर …
झूठी खबरें भी सीना ठोंककर परोसने से बाज नहीं आ रहे
लिमटी खरे/ कहा जाता है कि किसी भी परंपरा में बदलाव अवश्यंभावी हैं, पर उसके मूल सिद्धांतों, मान्य परंपराओं को कभी भी तजना नहीं चाहिए। आज हम बात कर रहे …
देर आयद दुरुस्त आयद
निर्मल रानी/ भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गत दिनों टीवी चैनल्स के लिये एक चेतावनी रुपी ऐडवाइज़री जारी की है। मंत्रालय ने इस ऐडवाइज़री के माध्यम से रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध तथा पिछले दिनों राजधानी दिल्ली क…
सोशल मीडिया मंच, व नए पत्रकारिता स्वरूप के दिशा निर्देश तय करने होंगे केंद्र सरकार को
लिमटी खरे/ इस समय सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के सीधी जिल…
डॉ. लीना