हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
मनोज कुमार/ सवाल करती पत्रकारिता इन दिनों स्वयं सवालों के घेरे में है. पत्रकारिता का प्रथम पाठ यही पढ़ाया जाता है कि जिसके पास जितने अधिक सवाल होंगे, जितनी अधिक जिज्ञासा होगी, वह उतना कामयाब पत…
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
मनोज कुमार/ सवाल करती पत्रकारिता इन दिनों स्वयं सवालों के घेरे में है. पत्रकारिता का प्रथम पाठ यही पढ़ाया जाता है कि जिसके पास जितने अधिक सवाल होंगे, जितनी अधिक जिज्ञासा होगी, वह उतना कामयाब पत…
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ 30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी प…
पत्रकारिता की चाह रखने वाले पत्रकार अवसाद से घिरते जा रहे
रवीश कुमार। भारत में मीडिया समाप्त हो चुका है। ऐसी बाढ़ आई है कि अब टापू भी नहीं बचे हैं। हम सभी किसी ईंट पर तो किसी पेड़ पर …
झूठी खबरें भी सीना ठोंककर परोसने से बाज नहीं आ रहे
लिमटी खरे/ कहा जाता है कि किसी भी परंपरा में बदलाव अवश्यंभावी हैं, पर उसके मूल सिद्धांतों, मान्य परंपराओं को कभी भी तजना नहीं चाहिए। आज हम बात कर रहे …
देर आयद दुरुस्त आयद
निर्मल रानी/ भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गत दिनों टीवी चैनल्स के लिये एक चेतावनी रुपी ऐडवाइज़री जारी की है। मंत्रालय ने इस ऐडवाइज़री के माध्यम से रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध तथा पिछले दिनों राजधानी दिल्ली क…
सोशल मीडिया मंच, व नए पत्रकारिता स्वरूप के दिशा निर्देश तय करने होंगे केंद्र सरकार को
लिमटी खरे/ इस समय सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के सीधी जिल…
लिमटी खरे/ कोरोना कोविड 19 के चलते 2020 के बाद अखबारों पर संकट के बादल छाने आरंभ हुए थे, जो आभी बदस्तूर उतने ही घने और स्याह ही दिखाई दे रहे हैं। कोविड काल में अखबार की प्रोडक्शन कास्ट में जमकर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। बिजली की दरें, स्याही, मशीन के उपरकरण आदि तो महंगे हुए ही हैं, साथ…
निर्मल रानी/ हमारे देश में 'मीडिया' व पत्रकारिता का स्तर इतना गिर चुका है कि 'गोदी मीडिया ', 'दलाल मीडिया' व 'चाटुकार मीडिया' जैसे शब्द प्रचलन में आ गये हैं। दुर्भाग्यवश सत्ता प्रतिष्ठान को 'दंडवत ' करने तथा सत्ता के एजेंडे को प्रसारित करने वाले पत्रकारों को भी दलाल,चाटुकार व बिक…
रवीश कुमार। ट्रंप के बाद अब बाइडन के सामने भी गोदी मीडिया को लेकर अपमानित होना पड़ा मोदी को. "मुझे लगता है कि वे प्रेस को यहां लाने जा रहे हैं। भारतीय प्रेस अमरीकी प्रेस की तुलना में कहीं ज़्यादा शालीन है। मैं सोचता हूं, आपकी अनुमति से भी, हमें सवालों के जवाब नहीं देने चाहिए क्यो…
पत्रकारिता के नैतिक मापदंडों पर पश्चिमी मीडिया का दागदार चेहरा
डॉ अजय खेमरिया/ भारतीय जनसंचार संस्थान के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण एवं शोध के नतीजे बताते है कि भारत में अधिस…
संजीव खुदशाह/ मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ। लेकिन मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा कहलाने के लिए उसका लोकतांत्रिक, विविधता पूर्ण, सोशल बैलेंस से लैस होना चाहिए। लेकिन भारतीय मीडिया किसी राजतंत्र की तरह सिर्फ सवर्णों द्वारा संचालित …
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ 30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी पत्रक…
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
मनोज कुमार/ एक पत्रकार के लिए आत्मसम्मान सबसे बड़ी पूंजी होती है और जब किसी पत्रकार को अपनी यह पूंजी गंवानी पड़े या गिरवी रखना पड़े तो उसकी मन:स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता ह…
डॉ. पवन सिंह मलिक/ आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है, क्योंकि भारत ही विश्व को सही दिशा और दशा देने की क्षमता रखता है। ऐसे में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने के कारण मीडिया जगत की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है कि विश्व के समक्ष अपने राष्ट्र की कैसी तस्वीर प्रस…
नए समय में मीडिया शिक्षा की चुनौतियां
प्रो. संजय द्विवेदी/ एक समय था जब माना जाता है कि पत्रकार पैदा होते हैं और पत्रकारिता पढ़ा कर सिखाई नहीं जा सकती। अब वक्त बदल गया है। जनसंचार का क्षेत्र आज शिक्षा क…
अनिल सिंह / क्या यह प्रायोजित खबर नहीं है? क्या प्रेस को ऐसी स्वंतंत्रता मिलनी चाहिए?
अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भास्कर के अलग-अलग शहरों के 03 मई 2…
पूरी दुनिया में पत्रकार बेहाल हैं और प्रेस बंधक होता चला जा रहा है
मनोज कुमार/ तीन दशक पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने 3 मई को विश्व प्रेस फ्रीडम डे मनाने का ऐलान किया था. तब से…
निर्मल रानी/ हमारा देश इस समय संकट के किस भयानक दौर से गुज़र रहा है इसे दोहराने की ज़रुरत नहीं। संक्षेप में यही कि जब देश प्यास से मर रहा है उस समय सरकारें कुंवे खोदने में लगी हैं। और इन कुंओं को खोदते खोदते कितनी और जानें काल के मुंह में समा जाएंगी इसका कोई अंदाज़ा नहीं है। सत्ता…
जन मीडिया का अप्रैल अंक
डॉ लीना / जन मीडिया का अप्रैल (109 वां) अंक अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण इसलिए कि अप्रैल का जो महीना होता है वह अपने आप में महत्वपूर्ण होता है। सामाजिक क्रांति का बीज बोने वाले प्रबुद्ध राष्ट्र निर्माता एव…
श्रवण गर्ग /कोलकाता से निकलने वाले अंग्रेज़ी के चर्चित अख़बार ‘द टेलिग्राफ’ के सोमवार (29 मार्च,2021) के अंक में पहले पन्ने पर एक ख़ास ख़बर प्रकाशित हुई है. ख़बर गुवाहाटी की है और उसका सम्बन्ध 27 मार्च को असम में सम्पन्न हुए विधान सभा चुनावों के पहले चरण के मतदान से है. असम में मत…
डॉ. लीना