मीडिया का शून्य लागत सामग्री फॉर्मूला
विनीत कुमार। यूक्रेन-कीव में जो लोग मुश्किलों में फंसे हैं, वो बड़ी मुश्किल से विजुअल्स बनाकर अपने परिजनों से साझा कर रहे हैं. उनके परिजन भरी उम्मीद से उन्हें आगे बढ़ा रहे…
मीडिया का शून्य लागत सामग्री फॉर्मूला
विनीत कुमार। यूक्रेन-कीव में जो लोग मुश्किलों में फंसे हैं, वो बड़ी मुश्किल से विजुअल्स बनाकर अपने परिजनों से साझा कर रहे हैं. उनके परिजन भरी उम्मीद से उन्हें आगे बढ़ा रहे…
संजय कुमार सिंह / छह आठ महीने पहले एक अनजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने पूछा कि संजय जी आपका नंबर मेरे पास काफी समय से सेव है मैं पहचान नहीं पा रहा हूं कि आप कौन हैं। सभ्य और बुजुर्ग सी आवाज थी तो मैंने अपना परिचय बता दिया। उन्होंने भी अपना नाम और हाल-चाल सब बताया…
विनीत कुमार। एंकरिंग करते हुए दीपक चौरसिया का “बेउडा वीडियो” सामने आने के बाद लोग मुझे लिख रहे हैं कि आपको भले ही आश्चर्य हो रहा होगा, पूरी इन्डस्ट्री को पता है कि वो क्या करते हैं ?…
राम जी तिवारी/ किसी भी मुद्दे पर राय बनाते समय आप कौन सी तकनीक अपनाते हैं । एक तो यह होता है कि जो मुख्यधारा की मीडिया में बात प्रचारित की जा रही होती है, हम उसी के साथ अपना सुर भी मिलाने लगते है। दूसरे यह भी संभव है कि हम मुख्यधारा की मीडिया से इतना चिढ़े होते हैं कि वह जो भी क…
गिरीश मालवीय। मीडिया की छवि देश में तो गोदी में बैठे मीडिया की बन ही गयी है पर अब तो विदेश में भी भारत के पत्रकार बेहयाई ओर चाटुकारिता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर रहे हैं.जना ओम मोदी कल जबरदस्ती यूएन में तैनात स्नेहा दुबे नाम की अधिकारी जिन्होंने दो दिन पहले यूएन के सम्मेलन म…
गिरीश मालवीय। कल दैनिक भास्कर के बहुत से संस्करणों के फ्रंट पेज पर एक लेख छापा गया जिसका शीर्षक था 'अब आधार जैसा यूनिक हेल्थ कार्ड मिलेगा जिसमें आपका पूरा मेडिकल रिकार्ड होगा'........दरअसल इस लेख में जो भी जानकारी दी गयी वो लगभग साल भर पुरानी थी.…
विनीत कूमार/ पॉजेटिव और निगेटिव को लेकर हमारी समझ इतनी सपाट है कि कारोबारी मीडिया को सकारात्मक न्यूज के नाम पर नयी दूकान की संभावना दिखने लग जाती है.…
रवीश कुमार। पिताजी के पूछने पर कि शाम को देर से क्यों लौटे ,कहां थे तो बेटों के पास जवाब तैयार रहता है। पिताजी, ट्यूशन के बाद हम लोग अमित के घर पर ग्रुप स्टडी करने लगे थे। वही हाल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। दुनिया खोज रही है कि भारत के प्रधानमंत्री अफगानिस्तान संकट …
विनीत कुमार। अंजना ओम कश्यप को एहसास ही नहीं कि उनका संवाददाता जान पर खेलकर लाइव कर रहा है..
कंधार से आजतक के संवाददाता सिद्दिकी खां लाइव हैं. उनके चारों…
सिलसिला सा बनता दिख रहा
उर्मिलेश / ये लो जी, एक और मीडिया संस्थान पर छापेमारी! यह लखनऊ(यूपी) स्थित एक चर्चित चैनल है: भारत समाचार चैनल. इसके संपादक के घर और दफ़्तर पर छापेमारी की खबर आ रही है! यह क्षेत्रीय चैनल कोरोना की तबाही और सरकारी लापरवा…
विनीत कुमार। पेशे की बुनियादी बातें एकदम ठिकाने लगाकर इसकी या उसकी पक्ष लेने का सबसे ज़्यादा नुक़सान उन छात्रों और नए मीडियाकर्मियों को हुआ है जिनका सीखने-समझने और मेहनत करके इस पेशे में मक़ाम हासिल पर से तेजी से भरोसा उठने लगा है. उन्हें लगता है कि बिना विषय को समझे, ख़ूब मेहन…
सीटू तिवारी। सुबह वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारीजी को देखा कि वो अपने ही भोजपुरिया ठसक अंदाज़ में अपने पोर्टल 'न्यूज़ हाट' पर अखबारों में छपी खबरों की समीक्षा कर रहे थे। …
ओम थानवी। पिछले साल मैंने एक टिप्पणी लिखी थी कि जब टीका शब्द हिंदी में है, हिंदी मीडिया ने वैक्सीन प्रयोग क्यों ओढ़ लिया है? बहरहाल, अच्छा लगा कि कुछ अख़बार-टीवी टीका-टीकाकरण भी लिखने लगे। …
कैलाश दहिया/ महान आजीवक कबीर साहेब के नाम से लोग अभी भी गफलत में हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भी गलत कयास लगाए गए हैं। वैसे तो कबीर साहेब को ले कर सारी बहसें खत्म की जा चुकी हैं। जिस में अच्छे-अच्छे खेत रहे। बावजूद इस के, निहित स्वार्थवश अभी भी कबीर पर लोग मुंह उठाकर बोलने लगत…
अभी भी लेक्चर देने का काम चल रहा है और काम नहीं हो रहा है
रवीश कुमार/ प्रधानमंत्री धीरे धीरे पहले पन्ने की पहली हेडलाइन बनने लगे हैं। धीरे धीरे इसी तरह फिर से सब सामान्य होगा। इस खबर में जो उन्…
रामजी तिवारी । अखबार का पहला पन्ना बता रहा है कि कोरोना-समय में सरकार चुस्त दुरुस्त है. अस्पताल की व्यवस्था चाक-चौबंद है. आक्सीजन की कोई कमी नहीं. टेस्ट और वैक्सिनेशन जोर-शोर से चल रहा है. दवाएं और परीक्षण सब जनता के लिए सुलभ है. …
गिरीश मालवीय / यह खेल फिर से शुरू हो गया.... 38 साल के स्कूल टीचर देवेंद्र, अपने दोस्त रंजन अग्रवाल के लिए एक ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर झारखंड के बोकारो से लगभग 24 घंटों तक 1400 किलोमीटर गाड़ी चलाकर नोएडा दोस्त की मदद को पहुंचे। ...…
मरने वालों की दर सिर्फ 0.53 प्रतिशत
वीरेंद्र यादव/ पटना/ कोरोना बीमारी से ज्यादा बाजार बन गया है। अखबार में कोरोना, टीवी में कोरोना, मोबाइल में कोरोना। ऑफिस में कोरोना, चाय दुकान पर कोरोना, गाड़ी में कोरोना। जिदंगी…
रितिक चौधरी/ कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा, 'साहब माहौल खराब हो गया है। चारों तरफ कोरोना ही कोरोना है, ऐसे में आपको डिफेंड करना मुश्किल हो गया है। समझ नहीं आ रहा कि इस कोरोना को पॉजिटिव कैसे दिखाएं। चीन भी शांत पड़ा है। पाकिस्तान की तरफ से भी कोई बड़ी घटनाएं नहीं हो रही हैं और बंगाल …
बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर को जयंती पर नमन
“भारत में पत्रकारिता पहले एक पेशा (प्रफ़ेशन) थी। अब वह एक व्यापार बन गई है। अख़बार चलाने वालों को नैतिकता से उतना ही मतलब रहता है, जितना कि किसी साबुन बनाने वाले को। पत्रकारिता स…
डॉ. लीना