अम्बरीश कुमार/ राजस्थान पत्रिका ने छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ स्टोरी लिखने पर रायपुर के ब्यूरो चीफ राजकुमार सोनी को दक्षिण भारत के कोयम्बतूर में भेज दिया था .पर वे सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ लिखते रहे .चुनाव के दौरान 'चाउर वाले बाबा ... वाला मशहूर गीत लाखों लोगों ने सुना . फिर उन्हें नौकरी से हटा दिया गया .वे जनसत्ता में अपने सहयोगी रहे और तब अजीत जोगी सरकार के खिलाफ लिखते रहे .पर तब किसी ने उन्हें हटाया नहीं .अब वे नौकरी से बाहर कर दिए गए हैं .
पत्रकार संगठन अब ऐसे मुद्दों को कम उठाते हैं .पुरस्कार देने और लेने में ज्यादा उलझ गए हैं .इसपर भी ध्यान देना चाहिए .श्रम अदालत में उन्होंने चुनौती दी है .नई सरकार कम से कम इस मामले का जल्द निपटारा कराने की दिशा में तो पहल कर ही सकती है .अब तो मीडिया की भी आवाज खुलनी चाहिए .चलिए मीडिया बोले न बोले पत्रकार निजी हैसियत से तो इसका विरोध करें और नए मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस में इस सवाल को उठाएं .हम जब रायपुर में थे तो वरिष्ठ पत्रकार राजनारायण मिश्र पर हुए हमले का विरोध किया था .तब समूचा छतीसगढ़ खड़ा हुआ था .प्रेस क्लब से लेकर पत्रकार संगठन और सभी संपादक भी एकजुट थे .एकबार फिर वैसी ही एकजुटता की जरुरत है.