अम्बरीश कुमार। लॉक डाउन के कुछ ही दिन बाद एक पोस्ट लिखी कि प्रिंट मीडिया के बहुत खराब दिन आ गए हैं ।कई संस्करण बंद हो चुके हैं ।वेतन आधा रह गया है बहुत अखबारों में । स्टाफ कम किया जा चुका है ।पत्रकार संगठन अब बोलते नही सरकार की कैसे तारीफ की जाए इसमें जुटे हैं ।वेज बोर्ड निपट गया है इमरजेंसी पर लिखते लिखते ।
अब हालात और बिगड़ने वाले हैं ,युवा पत्रकारों पर बड़ा संकट आने वाला है ।हर राज्य में बड़े अखबारों के संस्करण बंद होने के बाद पत्रकारों की नौकरी जा चुकी है ।सरकार से इमरजेंसी पैकेज की मांग करनी चाहिए ।सब ठीक हो जाएगा कहकर इसे अब टाला तो संकट और गहरा जाएगा।