जगमोहन फुटेला/ आज चंडीगढ़ से चलने वाले एक टीवी चैनल 'डे एंड नाईट' पर लिखा आ रहा था कि Blow to Ramdev उसी ग्राफिक में नीचे था कि सरकार को (रामदेव के भवन का) ढांचा न गिराने का आदेश। मैं सोचता रहा कि ये कैसे हो सकता है? अगर हाईकोर्ट ने झटका दिया है तो रामदेव का संस्थान सरकार से बचाएगा कौन और अगर हाईकोर्ट से स्टे मिला है तो ये रामदेव को झटका कैसे है?
मैंने दूसरे चैनलों पे देखा। कहीं खबर ही नहीं थी। अब फेसबुक से पता चला कि रामदेव को स्टे के रूप में राहत दी है माननीय हाईकोर्ट ने। हो सकता है मेरी तरह 'डे एंड नाईट' को भी मुगालता रहा हो। उस ने सोचा होगा, दोनों चला दो। कोई एक जानकारी तो सही होगी। खबर भी हो जाएगी और खानापूर्ति भी।
मेरा मित्रों को सुझाव है कि वे जब भी समय मिले, 'डे एंड नाईट' चैनल ज़रूर देखा करें। मैं लिख, पढ़ के जब भी बहुत थका होता हूँ, ज़रूर देखता हूँ। मनोरंजन के लिए ये बहुत सही चैनल है। ये अकेला चैनल है दुनिया का जिस में बुलेटिन तो अंग्रेजी का होता है मगर स्टाफ रिपोर्टरों तक के साथ फ़ोनों हिंदी में किया जाता है। आप देखो, हंसो, मज़े लो। अपने को इस से क्या मतलब कि अंग्रेजी जब नहीं आती किसी को बुलेटिन अंग्रेजी में क्यों है?
वैसे बुलेटिन हिंदी में भी है। उसे देख कर पता चलता है कि ज़ुबान तो रिपोर्टरों की तंग हिंदी में भी है। वे लगातार 'यानी कि' को 'जणकी' और 'विशेष रूप से' को 'उचेचे तौर पे' बोलते देखे जा सकते हैं।
बुलेटिन पंजाबी में भी है। लेकिन उस में कोई दिक्कत नहीं है। उस में तो कान्फिडेंस इतना ज़बरदस्त है रिपोर्टरों और एंकरों का कि समझने के लिए बुलेटिन रिवाइंड और फारवर्ड कर कर के समझना पड़ता है कि ये कह क्या गए। बड़ी तेज़ स्पीड में बोलते हैं सब....माशा अल्ला !!
(सॉरी, उर्दू का बुलेटिन अभी नहीं है !)
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