दीपक चौबे। तबाही पहाड़ों पर है और न्यूज़ चैनलों को लग रहा है कि सबसे ज्यादा ख़तरा दिल्ली को है जहां सड़कों पर सोने वाला एक आवारा कुत्ता भी नहीं बहेगा, इसकी गारंटी है। लेकिन बिना लागत की रिपोर्टिंग में जिसमें सिर्फ कैमरा लेकर रिंग रोड किनारे चले जाना हो और ग्राफिक्स पर दस ठो मोहल्ला गिनाना हो उसके जरिए सारोकार समझाया जा रहा है, लानत है ऐसी मूर्खता पर। तटबंधों से घिरी यमुना में खतरा सिर्फ उन्हों को है जो अवैध झुग्गी लगाकर उसके पेट में डेरा जमाते है और बेशक वो हमारे चैनलों के रिपोर्टर, एडिटर और सरकार के आपदा प्रबंधन से ज्यादा काबिल,समझदार और फुर्तीले हैं। चैनलों का बस चले तो उत्तर काशी के डूबने पर ये कुतुबमीनार से लाइव करवा दें.