इससे कहीं ज़्यादा विज्ञापन में सूचनाएं, रेप्लिका तैयार करना ही अब चैनल की पत्रकारिता !
विनीत कुमार/ G20 को लेकर CII (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इन्डस्ट्री) ने दि इंडियन एक्सप्रेस ने कुल 04 आचार पन्ने का फुल पेज विज्ञापन दिया है, इसका एक पन्ना आपसे साझा कर रहा हूं. संभव है ऐसे विज्ञापन और समाचारपत्रों में भी हो. इस एक पन्ने को ध्यानपूर्वक पढ़िए और फिर ठहरकर सोचिए कि हमारे न्यूज चैनल क्या G20 के लेकर जो कवरेज आप तक पहुंचा रहे हैं, उनमें इन बिन्दुओं को लेकर उनके पास कोई अध्ययन या समझ है ? इस पूरे आयोजन को लेकर आपके अपने विचार हो सकते हैं, सहमति-असहमति हो सकती है लेकिन इन सबको होने के क्या आधार होंगे ? जाहिर है ज़्यादा से ज़्यादा सूचनाएं. चैनल क्या आपको सूचना के स्तर पर इस तरह से समृद्ध कर रहा है कि आप सही तरीके से सहमत-असहमत हो सकें ?
आप न्यूज चैनलों के रवैये पर ग़ौर करेंगे तो पाएंगे कि वो बड़ी से बड़ी ख़बर को एक इवेंट में तब्दील करने में लगा होता है. वो ख़ुद को उस इंवेंट का सबसे बड़ा दादा समझने में पूरी ताक़त झोंक देता है. हर बड़े कार्यक्रम को लेकर ऐसा स्टूडियो सेट बनाता है कि दर्शकों को लगे कि ये तो असल कार्यक्रम और कार्यस्थल के दर्शन हो रहे हैं. चैनल के लिए हर चीज़ की रेप्लिका तैयार करना ही पत्रकारिता हो गयी है.
आपमें से बहुत से लोग अलग-अलग प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल होंगे. आप सोचकर देखिए कि यदि चैनल के भरोसे आप कुछ तैयारी करनी चाहें तो ऐसा कुछ भी होगा जिसका उत्तर G20 को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में दे सकें ? ढंग से यह भी नहीं कि जिन 19 देशों के प्रमुख या उनके प्रतिनिधि आए हैं, वो कौन हैं ? किन मुद्दों को लेकर बात होगी और भारत विश्व पटल पर क्या बातें रखने जा रहा है ?
आमतौर पर हम विज्ञापन को झूठ या अतिशयोक्ति का पर्याय मान लेते हैं लेकिन इस पन्ने से गुज़रते हुए आप महसूस कर सकेंगे कि जो काम इस विज्ञापन ने किया, हमारे चैनल हो-हो करने की होड में असल बात से कोसों दूर हैं.
तस्वीरः दि इंडियन एक्सप्रेस 09 सितंबर 2023