राहुल सिन्हा। खुर्शीद अनवर की आत्महत्या का एक प्रमुख कारण हम सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ चलाई गयी मुहिम को मानते हैं। अधिकतर का यही मानना है की सबको अपना निर्णय नही सुनाना था या खुर्शीद अनवर को दोषी नही करार देना था बल्कि सही या ग़लत के निर्णय के लिए क़ानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना चाहिए था। तबतक दोनो पक्षों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए था।
अब हम फिर एक बार फिर इसी अतिशय का शिकार हो रहें है। फिर एक मुहिम है, ज़्यादा भावनात्मक, ज़्यादा अधीर। अनवर साहब के उठाए गये कदम के बाद से उपज़ी नीतिपरायणता से ओतप्रोत हम सब फिर हम एक रौ में बह रहे हैं।
अब हम आरोप लगाने वाली महिला को सोशल मीडिया की सूली पर लटकाएँगे। उसके चरित्र को, उसके बयान को, उसके इतिहास को तार तार करेंगे। क्या ये तर्कसंगत, न्यायसंगत है...............