सोशल नेटवर्किंग पर केंद्रित संजय द्विवेदी द्वारा संपादित एक नई किताब बाजार में आ गयी है। इसे दिल्ली के यश पब्लिकेशंस ने छापा है। …
Blog posts : "पुस्तक समीक्षा"
सोशल नेटवर्किंगः नए समय का संवाद
हृदय द्वार पर दस्तक देतीं कविताएं

एम. अफसर खान / ‘फूल, तितलियां, सपने और सीख’ एम. एन. सिन्हा ‘मुकुल’ की पहली कविता संग्रह है।
कुल छत्तीस कविताओं का यह संग्रह सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और पारिवारि…
भोगे हुए यथार्थ का प्रस्फुटन
एम. अफसर खां सागर / ‘शब्द की हिमशिला अब पिघलने लगी’ अमरनाथ राय की तीसरी कविता संग्रह है। यह संग्रह सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और पारिवारिक समेत अन्य तमाम विद्रुपताओं के सरोकारों को परिलक्षित करता है। वक्त के बदलते मिजाज के साथ सब कुछ रेत की मानिन्द हाथ से फिसल जाता है अगर कु…
प्रमुख चुनौतियां पर दृष्टिपात
रक्त बीज के वंशजः सच्ची घटनाओं का शिल्प
पुस्तक समीक्षा /एम. अफसर खां सागर /व्यंग्य विधा से कथा और उपन्यास के क्षेत्र में पदापर्ण करने वाले रामजी प्रसाद ‘भैरव’ अपनी पहली कृति ‘रक्त बीज के वंशज’ में औपन्यासिक मापदण्डों पर खरे उतरते हैं। उपन्यास की कथावस्तु पूर्वी उत्तर प्रदेश में चन्दौली …
आधुनिक कहानी : स्लोवाकिया
पुस्तक चर्चा / दो देशों के मध्य सांस्कृतिक तथा साहित्यिक सम्बन्ध सुदृढ़ बनाने की दिशा में वाणी प्रकाशन प्रतिबद्ध दिखता है। आधुनिक कहानी श्रृंखला के अन्तर्गत 'आधुनिक कहानी : आस्ट्रिया, आधुनिक कहानी : स्विट्ज़रलैंड', अफगानिस्तान-ईरान, चीन, रूस, अरबिस्तान, जर्मनी, इसी श्रृंखला क…
कांशीराम ''चमचा युग'' के आईने से
जयंती 15 मार्च पर विशेष
संजीव खुदशाह / दलित सिख परिवार में 15 मार्च को जन्मे मान्यवर कांशीराम ने भारत के बहुजन समाज को जो नेयमते बक्शी है वह काबिले गौर है. पूणे में सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होने महसूस किया कि दलित बहुजन बिखरा हुआ और शोषित …
नवीनतम ---
- ‘संस्मय सम्मान’ से सम्मानित हुए रचनाकार
- डब्ल्यूजेएआई के स्थापना दिवस समारोह पर वेब मीडिया समागम होगाआयोजित
- जो बिका नही वो बचा नही: हत्याओं के बन रहे नए रिकॉर्ड
- हे पत्रकारिता के भीष्म पितामह… नीतीश मदहोश हैं या आप?
- डिजिटल भारत समिट 2025: डब्ल्यूजेएआई का भव्य आयोजन
- डब्ल्यूजेएआई सही दिशा में अग्रसर: अश्विनी चौबे
- दिल्ली में सम्पन्न डब्ल्यूजेएआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कई अहम निर्णय
- मूल्य और संस्कृति की रक्षक है साहित्यिक पत्रकारिता: प्रो.द्विवेदी
- सांस्कृतिक निरक्षरता ने खड़े किए हैं समाज के सामने गंभीर संकट: प्रो.संजय द्विवेदी
- आत्मनिर्भर भारत से ही पूरा होगा जगद्गुरू बनने का सपना: मोहन मांझी
- लोकेन्द्र सिंह को राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान
- अड़ानी संबंधित वीडियो यूट्यूब और सोशल मीडिया से हटाने के आदेश
- प्रधानमंत्री का जन्मदिन इवेंट में तब्दील
- मीडिया उद्योग में सफलता के लिए अनुशासन और निरंतर अभ्यास आवश्यक
- फेक न्यूज का वाहक न बने मीडियाः हरिनारायणचारी
- रचना, सृजन और संघर्ष से बनी शख्सियत
- विज्ञापन क्षेत्र का ‘अ से ज्ञ’ सिखाती है- विज्ञापन का जादू
- ऐसी कहानियां लिखें जो मनोरंजन करें: विपुल के. रावल
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रवि अहिरवारJanuary 6, 2025
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पंकज चौधरीDecember 17, 2024
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना
























