सुदर्शन व्यास/ ‘लोगों का काम है कहना...’ पुस्तक का आखिरी पन्ना पलटते समय संयोग से महात्मा गांधी का एक ध्येय वाक्य मन–मस्तिष्क में गूंज उठा – ‘कर्म ही पूजा है’। जब मैं इस किताब को पढ़ रहा था तो बार–बार महात्मा गांधी का ये वाक्य सहसा अंतर्गन में सफर कर रहा था। ये कहूँ तो कोई …
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तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन
कृपाशंकर चौबे/ हिंदी के तमाम मूर्धन्य संपादक पत्रकारिता के किसी संस्थान या विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित नहीं थे। किंतु वे अपने आप में प्रशिक्षण संस्थान थे। वे पूरे के पूरे पाठ्यक्रम थे और वे ही प्रयोगशाला थे। उनके भीतर अपने समाज को देखने और समझने की अचूक दृष्टि थी। इसलिए पत्रक…
लोकमंगल के संचारकर्ता हैं नारद
नारद जयंती(25 मई) पर विशेष
प्रो. संजय द्विवदी/ ब्रम्हर्षि नारद लोकमंगल के लिए संचार करने वाले देवता के रूप में हमारे सभी पौराणिक ग्रंथों में एक अनिवार्य उपस्थिति हैं। वे तीनों लोकों में भ्रमण करते हुए जो कुछ करते और कहते हैं, व…
Movies often show corrupt politicians
Portrayal of political campaigns and elections in Indian films
Abhishek Sharma/ Indian films often depict the dark side of political campaigns and elections through the representation of political corruption and manipulation. Characters in these films are frequently portrayed as embodying corrupt…
शिवाजी के किलों की कहानी बताती है ‘हिन्दवी स्वराज्य दर्शन’
प्रो. (डॉ) संजय द्विवेदी/ लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहाँ भी जाते हैं, उस स्थान के अपने अनुभवों के साथ ही उसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व स…
सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफ़रत एक सुनियोजित षड़यंत्र ?
तनवीर जाफ़री/ जिस भारत देश में स्कूली शिक्षा में प्राइमरी कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में सभी धर्मों के महापुरुषों की जीवन गाथा केवल इसी मक़सद से पढ़ाई जाती थी ताकि देश के कर्णधार बच्चों को न केवल उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चल सके बल्कि उनके प्रति आदर, सत्कार, सम्मान व स्…
लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
बी. एल. आच्छा/ कहते हैं कि आलोचकों की मूर्तियां नहीं बनती। पर दौलतपुर (रायबरेली) के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तो अपवाद हैं ही। और साहित्य में लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का व्यक्तित्व तो हिन्दी के हर पाठक में मूर्तिमान है। यह क्या कम है कि ग्राम अगौना जनपद बस्…
रामसिंह की ट्रेनिंग
मॉस कम्युनिकेशन में यह नहीं पढाया जाता ....
दिनेश चौधरी/ पिछले छः-सात दिनों से पड़ोस वाले घर से अजीब-सी आवाजें आती हैं। आवाज जानी-पहचानी सी लगती तो है, पर इतनी तीव्र होती है कि कुछ समझ में नहीं आता। कई बार जी में…
कुछ तो लोग कहेंगे...लोगों का काम है कहना
डॉ. विनीत उत्पल/ संजय द्विवेदी महज एक नाम है। वह नाम नहीं, जिसके आगे प्रोफेसर या डॉक्टर लगा हो। वह नाम नहीं, जिसके बाद महानिदेशक या कुलपति लगा हो। यह नाम है ऐसे शख्स का, जो समाज के एक तबके से लेकर किसी संस्थान या फिर राष्ट्र की तकदीर बदलनी की क्षमता रखता है। वह राख की एक छोटी…
अलविदा फोटो जर्नलिस्ट राजीव
कुमार कृष्णन/ राजीव नाम से चर्चित राजीवकांत बिहार के चर्चित फोटो जर्नलिस्ट रहे हैं। उनके जीवन में, उनकी नैतिकता में, उनके संस्कार में पैसे महत्वपूर्ण नहीं रहे। वे जीवन को संपूर्णता के साथ जीते-देखते रहे। राजीवकांत आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनसे जुड़ी अनेक यादें हैं।…
पत्रकारों की असमय मृत्यु का राज़ !
वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर का निधन
नवेद शिकोह/ राजनीतिक रिपोर्टिंग पर राज करने वाले लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर की मृत्यु के राज़ भी राज़ रह जाएंगे। ख़ुद्दारी की चादर में लिपटी ना जाने कितने ही पत्रकारों की देह एक राज…
एक पत्रकार जो रिपोर्ट लिखने और लोगों की जान बचाते शहीद हो गया
सीटू तिवारी/ गणेश शंकर विद्दार्थी को याद करना इस वक्त बहुत जरूरी है.
आज जब पत्रकार के एक्टीविस्ट हो जाने या अपनी रिपोर्ट से इतर जरा सा बोल देने या कोई हस्तक्षेप कर देने पर भवें तन जाती है, …
भीड़ में अकेले पुष्पेंद्र
मनोज कुमार/ कोई कहे पीपी सर, कोई कहे बाबा और जाने कितनों के लिए थे पीपी. एक व्यक्ति, अनेक संबोधन और सभी संबोधनों में प्यार और विश्वास. विद्यार्थियों के लिए वे संजीवनी थे तो मीडिया के वरिष्ठ और कनिष्ठ के लिए चलता-फिरता पीआर स्कूल. पहली बार जब उनसे 25 बरस पहले पहली बार पुष्पेन्द्रपाल…
जब सचमुच पत्रकारिता ही होती थी
जाना नैयर साहब का
दिनेश चौधरी/ सड़क के एक छोर पर कॉफी हाऊस था और दूसरी ओर नया-नया 'दैनिक भास्कर'। अखबार के दफ्तर में किसी ने बताया कि नैयर साहब कॉफी हाऊस में मिलेंगे। जोश और जुनून में मैंने जबरदस्ती एक अखबार में इस्तीफा दे दिया था और नई नौकरी की तलाश…
‘मीडिया को जो लोग चला रहे हैं, वे दरअसल मीडिया के लोग नहीं हैं’
संत समीर/ आजकल आमतौर पर जिस तरह के साक्षात्कार हमें पढ़ने को मिलते हैं, यदि उनके भीतर की परतों को पहचानने की कोशिश करें तो कम ही साक्षात्कार मिलेंगे जो सही मायने में सच का साक्षात् करा पाते हों। आत्मश्लाघा इस दौर के साक्षात्कारों की आम बात है। असुविधाजनक प्रश्नों से बचकर निकल लेना या ग…
वक्त के साथ बदलते मीडिया से साक्षात्कार
डॉ. विनीत उत्पल/ वक्त बदल रहा है, मीडिया बदल रहा है, मीडिया तकनीक बदल रही है, मीडिया के पाठक और दर्शक की रुचि, स्थिति और परिस्थिति भी बदल रही है। ऐसे में मीडिया अध्ययन, अध्यापन और कार्य करने वालों को खुद में बदलाव लाना आवश्यक है। इसके लिए मीडिया के मिजाज को समझना और समझाना आव…
पत्रकार और पत्रकारिता से जुड़े सवालों के उत्तरों की तलाश
अजय बोकिल/ पुस्तक ‘जो कहूंगा सच कहूंगा’ भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली (आईआईएमसी) के महानिदेशक, पत्रकार, शिक्षाविद प्रो. (डाॅ.) संजय द्विवेदी के साक्षात्कारों का ऐसा संकलन है, जो उनकी ‘मन की बात’ का परत दर परत खुलासा करता है। यह मीडिया का एक मीडिया विशेषज्ञ के साथ सार्थक संवाद है…
खेल पत्रकारिता की बारीकियां सिखाती एक पुस्तक
लोकेन्द्र सिंह/ “खेल में दुनिया को बदलने की शक्ति है, प्रेरणा देने की शक्ति है, यह लोगों को एकजुट रखने की शक्ति रखता है, जो बहुत कम लोग करते हैं। यह युवाओं के लिए एक ऐसी भाषा में बात करता है, जिसे वे समझते हैं। खेल वहाँ भी आशा पैदा कर सकता है, जहाँ सिर्फ निराशा हो। यह नस्ल…
इतनी जल्दी क्या थी दोस्त इस दुनिया को छोड़कर जाने की
वरिष्ठ पत्रकार संजीव प्रताप सिंह का निधन, स्मृति शेष
लिमटी खरे/ सुबह साढ़े सात बजे के लगभग जब अखबार बांच रहे थे, उसी दौरान मोबाईल पर घंटी बजी, मित्र संजीव प्रताप सिंह का फोन था। छूटते ही बोले ‘भैय…
पत्रकारिता से साहित्य में चली आई ‘न हन्यते’
इंदिरा दांगी/ आचार्य संजय द्विवेदी की नई किताब 'न हन्यते' को खोलने से पहले मन पर एक छाप थी कि पत्रकारिता के आचार्य की पुस्तक है और दिवंगत प्रख्यातों के नाम लिखे स्मृति-लेख हैं, जैसे समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ करते ही हैं; लेकिन पुस्तक का पहला ही शब्द-चित्र…
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- मीडिया, विज्ञान और समाज के बीच सेतु का कार्य करता है
- स्पीकर ने मीडिया से सकारात्मक सहयोग की अपील की
- प्रसार भारती का अपना ओटीटी प्लेटफॉर्म “वेव्स” शुरू
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- मूल्यबोध है हिंदी पत्रकारिता का दार्शनिक आधार : प्रो.संजय द्विवेदी
- सरदार पटेल ने आजाद भारत में आजाद मीडिया की रखी थी नींव
- डा. मुरुगन ने भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता में 'मीडिया विमर्श' के योगदान को सराहा
- पत्रकारों की नई पीढ़ी उभरी
- औरंगाबाद में पत्रकारिता का इतिहास
- विस्मयकारी है संजय द्विवेदी की सृजन सक्रियता: प्रो.चौबे
- पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का दस्तावेज है – ‘...लोगों का काम है कहना’
- 'मीडिया गुरु सम्मान' से अलंकृत हुए प्रो. द्विवेदी
- दो दिवसीय युवा उत्सव सम्पन्न
- सकारात्मक खबरों को बढ़ावा देने से ही समाज स्वस्थ और सुखी होगा: डॉ. मुरुगन
- हासा-भासा की लूट की राजनीति से प्रेरित है विमर्श का विषय
- राष्ट्रीय मीडिया गुरु सम्मान से अलंकृत किए जाएंगे प्रो.संजय द्विवेदी
- तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन
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टिप्पणी--
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
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AnonymousJune 6, 2023
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AnonymousApril 5, 2023
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AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना