पटना/ इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट की बिहार इकाई द्वारा आज यहां नृत्य कला मंदिर में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने अपने संबोधन में कहा कि 6-7 दशक पहले की जो पत्रकारिता थी उसमें साहित्यिक मिजाज़ एवं तेवर हुआ करता था लेकिन वर्ष 74 के आंदोलन के बाद पत्रकारिता में काफ़ी बदलाव आया है, केवल समाचार ही नहीं खेल, व्यापारिक, विज्ञान एंव सिनेमा के लिये अखबार को प्रकाशित करना होता है। आजकल पोलिटिकल जर्नलिज़्म एवं खोजी पत्रकारिता को भी स्थान दिया जा रहा है साथ ही बदलते दौर में स्टिंग ऑपेरशन भी हो रहा है। अब खबर केवल बनाना नहीं उसे बेचना भी पड़ता है जो चिंता का विषय होना चाहिये, अब कलम की जगह कंप्यूटर का अधिक उपयोग हो रहा है कट-पेस्ट किया जा रहा है। अब एक नया दौर शुरू हो गया है वह है फेक न्यूज़, जो एक बड़ी समस्या है। आजकल ब्रेकिंग न्यूज़ का समय है, बहुत से ऐसे दृश्य समाचार में दिखाये जाते हैं कि टीवी बंद करना पड़ता है आप परिवार के साथ नहीं देख सकते।राजनीतिक दृष्टि से भी भाषाई अशिष्टता का दौर बढ़ा है। आज कई चैनल खुल गये हैं जिनके नाम भी हम और आप नहीं जानते हैं फिर भी प्रिंट मीडिया का दौर कभी समाप्त नहीं होने वाला है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर खबरें 2 घंटे में उतर जाती हैं पर प्रिंट मीडिया में उसे आप जब चाहे पढ़ सकते हैं।
इस अवसर पर इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० के विक्रम राव ने कहा कि फॉलो अप भारतीय पत्रकारिता के लिये सबसे बड़ा दोष हो गया है बोफोर्स घोटाले के मामले में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पत्रकारों को राजीव गांधी के बैंक खाते तक की जानकारी दे दी थी पत्रकारों ने फॉलो अप नहीं किया। डॉ के विक्रम राव ने मंत्री नंद किशोर यादव के सुझाव का समर्थन करते हुये कहा कि अखबार में सहित्यता वापिस आने चाहिये। उन्होंने फेक न्यूज़ को गंभीरता से लेते हुये इस पर अंकुश लगाने का समर्थन करते हुये कानून बनाने की मांग का समर्थन करते हुये डॉ राव ने खोजी पत्रकारिता का भरपूर समर्थन करते हुये इसे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये जरूरी बताया, साथ ही खोजी पत्रकारिता पर अंकुश लगाने से पत्रकारिता दम तोड़ देगी। सबसे बड़ा भ्रष्टाचार चुनाव में होता है चुनाव सुधार में पत्रकारों की भूमिका होनी चाहिये, प्रेस काउंसिल आज नपुंसक हो गयी है मीडिया काउंसिल बनना चाहिये जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी भागीदारी होनी चाहिये।सबसे बड़ी समस्या आतंक हो गयी है,आतंकियों के विरुद्ध रिपोर्टिंग कैसी होनी चाहिये इस के लिये पत्रकारों की ट्रेनिंग होनी चाहिये,अखबार की आज़ादी के लिये अलग से धारा बननी चाहिये ताकि पुनः 25 जून के आपातकाल को न दोहराया जासके। खबर उत्पाद नहीं है पब्लिक सर्विस है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहनवाज़ हसन ने कहा कि निश्चित तौर पर मुख्यधारा की पत्रकारिता में भाषाई स्तर की गिरावट इस बात का संकेत है कि आगामी दशक पत्रकारिता में हिंदी के अस्तित्व के लिहाज से बेहद चिंताजनक है। हालांकि हिंदी पत्रकारिता के भविष्य एवं वर्तमान पर सबसे ज्यादा विमर्श इसके विचार पक्ष को लेकर होता रहा है। लेकिन हिंदी पत्रकारिता के गिरते हिंदी के स्तर को लेकर बहस न के बराबर हुई है। इस लिहाज से यह अपने आप में चिंता जनक बात है, हिंदी पत्रकारिता की भाषा में गिरावट 90 के दशक के बाद से तेज़ी से बढ़ा जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उदय हुआ।सबसे तेज़ एंव सबसे पहले परोसने के चक्कर में भाषा की तिलांजलि दी जाती है, युवा पीढ़ी के पत्रकार अध्यन करें विशेषकर सुबह वे जब उठते हैं तो समाचारपत्र में संपादकीय पृष्ठ को अवश्य पढ़ा करें।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री संजय प्रसाद, सदस्य, बिहार विधान परिषद्, प्रो० डॉ० राम किशोर सिंह, सदस्य, बिहार लोक सेवा आयोग के अतिरिक्त इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय सचिव श्री मोहन कुमार, श्री प्रभाष चन्द्र शर्मा (प्रदेश सचिव), प्रदीप उपाध्याय, गंगा प्रसाद, मनीष प्रसाद उपस्थित थे |
कार्यक्रम का समापन श्री सुधीर मधुकर, महासचिव, इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट, बिहार के धन्यवाद् ज्ञापन से हुआ |
कार्यक्रम के उपरांत इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट , बिहार इकाई की आम सभा का आयोजन किया गया जिसमे प्रदेश भर से आये इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट , के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ० ध्रुव कुमार और इनके वर्तमान कार्यकारिणी को अगले कार्यकाल के लिए बने रहने की सहमति प्रदान की गई |