“सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के लिए संचार की आवश्यकता” पर आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑॅफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, अकादमिक आवश्यकता पर मंथन
पटना/ बदलाव तभी होता है जब समाज के भीतर व्यापक पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया संचालित हो। जब व्यवहार परिवर्तन होगा तभी समाज की किसी भी समस्या का निदान संभव हो सकता है। व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया और इसके प्रभाव के विषय में अकादमिक चर्चा बहुत जरूरी है। साथ ही व्यवहार परिवर्तन संबंधी पाठ्यक्रमों के जरिए नई पीढ़ी को कॅरियर के नए विकल्प भी दिए जा सकते हैं। बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के संकाय सदस्यों के लिए 'सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन के लिए संचार' (सीएसबीसी) पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला के दौरान यह चर्चा हुई।
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की ओर से आयोजित इस कार्यशाला को यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस दो दिवसीय कार्यशाला में सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी संवाद और रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है। कार्यशाला यूनिसेफ की एक बड़ी पहल का हिस्सा है, जो 2013 से चल रही है, जिसका उद्देश्य भारत में सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करके योग्यता-आधारित सीएसबीसी पाठ्यक्रम पेश करना है।
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ यूनिसेफ की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस, मार्गरेट ग्वाडा, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव रंजन, आर्यभटट् ज्ञान विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रमुख, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की प्रभारी और कार्यशाला की संयोजक डॉ. मनीषा प्रकाश, यूनिसेफ नई दिल्ली की सामाजिक व्यवहार संचार विशेषज्ञ अलका मलहोत्रा, लेडी इरविन कॉलेज, नई दिल्ली की प्रो० अपर्णा खन्ना, डान बास्को यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी की प्रो० रिजु शर्मा, यूनिसेफ बिहार की सामाजिक व्यवहार संचार विशेषज्ञ मोना सिन्हा, यूनिसेफ बिहार की सामाजिक व्यवहार संचार अधिकारी प्रियंका कुमारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो (डॉ.) शरद कुमार यादव ने ऑनलाईन माध्यम से संबोधन दिया। उन्होंने यूनिसेफ को धन्यवाद दिया और कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से विश्वविद्यालयों और छात्रों को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन के बिना समावेशी विकास संभव नहीं है। इसके लिए नीति परिवर्तन के साथ-साथ जागरूकता और मानसिकता में बदलाव आवश्यक है। उन्होंने नई शिक्षा नीति (2020) के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षा को समाज से जोड़ने का सार्थक प्रयास है, जिससे छात्र अनुसंधान और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से सामाजिक बदलाव ला सकते हैं।
यूनिसेफ बिहार की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस, मारग्रेट ग्वाडा ने यूनिसेफ और एकेयू के बीच साझेदारी से आयोजित इस कार्यशाला की सराहना की और सतत विकास के लिए इस कार्यक्रम को बहुत जरूरी बताया। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम को ‘लुब्रिकेंट’ की संज्ञा दी, जो समाज को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने में सहायक होता है। उन्होंने सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार को बतौर विषय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी जोर देते हुए कहा कि यूनिसेफ का कम्युनिकेशन फॉर सोशल एंड बिहेवियर चेंज एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जो व्यवहार परिवर्तन और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, लिंग समानता, स्वच्छता और बाल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाना है। नीति निर्माण, जनसंवाद और स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी के माध्यम से प्रभावी रूप से कार्य करता है।
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव रंजन ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से बिहार का अकादमिक जगत निश्चित तौर पर लाभांवित होगा।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. मनीषा प्रकाश ने अतिथियों का स्वागत करते हुए यूनिसेफ के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान में संचार एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है, चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा या कोई अन्य क्षेत्र हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कार्यशाला शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। यूनिसेफ और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के बीच इस साझेदारी से व्यवहार परिवर्तन संचार के शिक्षण के माध्यम से सतत विकास को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।
यूनिसेफ बिहार की सामाजिक व्यवहार परिवर्तन अधिकारी प्रियंका कुमारी ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कम्युनिकेशन फॉर सोशल एंड बिहेवियर चेंज की अवधारणा, महत्व और प्रभावी कार्यान्वयन पर विस्तार से चर्चा की। जिसमें पाठ्यक्रम एकीकरण प्रयासों को सूचित करने के लिए इसके नौ मॉड्यूल की सामग्री और संरचना पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके उपरांत लेडी इरविन कॉलेज, नई दिल्ली की प्रोफेसर अपर्णा खन्ना ने शैक्षणिक दृष्टिकोण से इस कार्यशाला के महत्व और इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावनाओं के बारे में बताया। कार्यशाला के प्रथम दिन के द्वितीय सत्र में डॉन बॉस्को यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी की प्रोफेसर रिजु शर्मा ने सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार के पाठ्यक्रम के निर्माण के बारे में जानकारी दी। इस दौरान कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए प्राध्यापकों ने विषय विशेषज्ञो से संबंधित विषय पर चर्चा की और अपने विचार साझा किए। कार्यशाला के दौरान बिहार स्थित तमाम विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्राध्यापक, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के प्राध्यापक, छात्र, कर्मचारी और यूनिसेफ के अधिकारी आदि मौजूद रहे। कार्यशाला की संयोजक डॉ. मनीषा प्रकाश ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे और अंतिम दिन सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार के पाठ्यक्रम के अन्य पहलुओं पर चर्चा होगी।