बोधिसत्व अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की हुई शुरुआत
साकिब ज़िया/पटना/ ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की ओर से आयोजित आठ दिवसीय "बोधिसत्व अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव" 2017 का आज दीप प्रज्जवलन के साथ अधिवेशन भवन में शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर कला संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि हाल के समय में बिहार में क्षेत्रीय और पटना फिल्म फेस्टिवल का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों के लिए यह एक ऐसा अवसर है जब एक ही छत के नीचे अनेक भाषाओं की फिल्मों को देखने का मौका मिलेगा और विभिन्न देशों की भाषा,कला, सभ्यता और संस्कृति की पहचान हो सकेगी।
इस मौके पर बॉलीवुड अभिनेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भले ही वह राजनेता के तौर पर अधिक सक्रिय हैं लेकिन सिनेमा उनका पहला प्यार रहा है। उन्होंने कहा आज के समय में मैं जो कुछ भी हूँ वह सिनेमा की वजह से हूँ और सिनेमा के कारण ही लोग मुझे जानते हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा का मतलब केवल मनोरंजन करना नहीं है बल्कि सिनेमा में कई रस हैं जैसे श्रृंगार रस ,वीर रस ,भय रस आदि और दर्शकों को सभी तरह की फिल्में देखकर उसका आनंद उठाना चाहिये। बिहार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म महोत्सव किया जाना बहुत ही सराहानीय कदम है। फिल्म महोत्सव के आयोजन किये जाने का मुख्य उद्देश्य प्रमोशन ऑफ फिल्म और प्रोटेक्शन ऑफ फिल्म है।
श्री सिन्हा ने दिवंगत अभिनेता ओमपुरी को याद करते हुये कहा कि ओमपुरी एक महान अभिनेता और उनके पारिवारिक मित्र थे। उन्होंने कहा ओमपुरी आज हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी फिल्में आज भी हमारे लिये प्रेरणाश्रोत हैं और वह एक अद्वितीय कलाकार और संजीदा अभिनेता थे। उनके बारे में बस यही कहा जा सकता है कि “हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा”।
महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर स्वर कोकिला पदमश्री शारदा सिन्हा ने कहा कि मैं एक गायिका हूँ सिनेमा से बहुत अधिक जुड़ी हुई नहीं हूँ लेकिन जितनी भी जुड़ी हूँ मुझे काफी प्यार मिला है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पटना में फिल्म फेस्टीवल का आयोजन किया जाना बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि बिहार में फिल्म सिटी के निर्माण की जरूरत है और सिनेमाघरों में भी कमी आयी है ,सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
लोगों को संबोधित करते हुए जाने माने अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा ने कहा देश में कई राज्यों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाता रहा है। सिनेमा तमसो मां ज्योर्तिगमय की तरह अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और यह तकनीकी आस्पेक्ट है। उन्होंने कहा कि हमारे जैसे लोग जो अपने करियर के कारण बिहार से दूर हो गये हैं ,इस तरह के आयोजन से उन्हें फिर से यहां आने का अवसर मिलता है एवं प्रदेश की युवा पीढ़ी के लिये गर्व की बात है कि उन्हें राज्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महोत्सव का लुत्फ उठाने को मिल रहा है। अमेरीका ,फ्रांस और जापान में भी फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है लेकिन भारत में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हमारी परंपरा के साथ जुड़ा हुआ है। सिनेमा मनोरंजन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि विश्लेषण भी किये जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की अध्यक्ष और बीआईएफएफ आयोजक स्नेहा राउत्रे ने कहा पटना में फिल्म महोत्सव का आयोजन किये जाने से राज्य के लोगों को फिल्म से जुड़ी बातों को करीब से जानने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि फिल्म और कला के माध्यम से पूरे समाज को जोड़ा जा सकता है और समाज में हर मुद्दे पर आधारित फिल्म बनाने की जरूरत है। इस फिल्म महोत्सव के लिये 122 देशों की करीब 3500 फिल्मों ने इंट्री दी थी। इनमें भारत के अलावा ईरान, अमेरिका, फ्रांस, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, तुर्की, रूस, ब्राजील, जर्मनी, अर्जेटीना, बांग्लादेश, कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया और मैक्सिको समेत कई देशों की फिल्में शामिल हैं। इनमें अंतिम रूप से करीब 102 फिल्मों का चयन किया गया है और सभी फिल्म एक निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत ही चुनी गयी है। उन्होंने बताया कि दर्शकों को महोत्सव के दौरान अच्छी और गुणवत्तापूर्ण फिल्में देखने को मिलेगी।
इस अवसर पर गंगा कुमार, जानी मानी अभिनेत्री सोनल झा, फ़िल्मकार लीना यादव, फिल्म की ज्यूरी सदस्य पंकजा ठाकुर, गरिमा मिश्रा, पंकज श्रेयसकर ने भी अपने विचार व्यक्त किये। समारोह में फिल्मी कलाकारों, समीक्षकों सहित बड़ी संख्या में फिल्म और कलाप्रेमी मौजूद थे।