Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

सतर्क पत्रकारों की नई पीढ़ी जरूरी

"वोट की राजनीति मे मीडिया के प्रभाव" विषय पर संगोष्ठी

नई दिल्ली। वर्तमान परिवेश मे मीडिया का दायरा काफी बढ गया है साथ ही उसकी जिम्मेदारियो मे भी इजाफा हुआ है। इसलिए नयी पीढी को अत्यधिक संतुलित और सतर्क होकर अपने दायित्वो का निर्वहन करना है। “वोट की राजनीति मे मीडिया के प्रभाव” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन मासकोमीडिया ने किया। मासकोमीडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दिवेश नाथ ने कहा कि पत्रकारिता बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है और वर्तमान परिवेश मे प्रशिक्षण के माध्यम से पत्रकारो की पीढ़ी को सामने लाने की जरूरत है ।

वही, वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि पत्रकारो की नई पीढ़ी को व्यापक रूप से प्रशिक्षित किए जाने को जरूरत है। उन्होने कहा कि पत्रकारिता में सत्यता, प्रामाणिकता और तत्परता की जरूरत है। उन्होने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का प्राण है और चौथा स्तंभ चौबीस घंटे लोकतंत्र के लिए काम कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार क्यू डब्लू नकवी ने कहा कि पत्रकारिता पर मीडिया का दबाव है। उन्होने कहा कि मीडिया ओपीनियन मेकर नहीं बल्कि ओपीनियन सर्कुलर है। वह आपके विचार लेता है और सब तक पहुंचाता है लेकिन कई जगह मीडिया या कुछ अखबार भेदभावपूर्ण खबरे छापते है।

पत्रकार सुधांशु रंजन के अनुसार अब भी आम आदमी की अवधारणा मीडिया के प्रति पहले की तरह मजबूत है। पत्रकार शशि शेखर ने कहा कि आज पत्रकारिता पर पेड न्यूज का आरोप लग रहा है और यह वर्तमान दौर में अंतरराष्ट्रीय संकट बन गया है। बालेदु शर्मा दधीच ने कहा कि मीडिया का फलक बढ़ा है। फेसबुक और ट्वीटर के रूप मे नये अध्याय ने सनसनी फैला दी है। उन्होने कहा कि भारत मे आठ करोड लोग फेसबुक पर है जबकि 33 लाख लोग ट्वीटर से जुड चुके है।

व्यंग्यकार अशोक चक्रधर ने कहा कि मीडिया विचार है अैर वह समाज में बदलाव लाता है। उन्होने उम्मीद जताई कि पत्रकारिता कभी सद्भाव नहीं छोडेगी।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना