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मुंगेर। बिहार सरकार के मुख्य सचिव और अन्य के विरूद्ध अवमानना की अदालती कार्रवाई अलग से शुरू करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में मन्टू शर्मा के अधिवक्ता ने कीं। दैनिक हिन्दुस्तान सहित अन्य दैनिकों के जिलावार अवैध संस्करणों की अलग से जांच के लिए सी.बी.आई. जांच के आदेश जारी करने की मांग भी सुप्रीम कोर्ट से की गईं
सुप्रीम कोर्ट आगामी 11 अक्तूवर को मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, नई दिल्ली की चेयरपर्सन और ऐडिटोरियल डायरेक्टर शोभना भरतिया के सपेशल लीव पीटिशन (क्रिमिनल) - 1603। 2013 पर पुनः सुनवाई करेगा । इस पीटिशन में पीटिशनर शोभना भरतिया ने सुप्रीम कोर्ट से मुंगेर कोतवाली थाना कांड संख्या- 445 । 2011 , धारा 420। 471।476 भादिव और 8।बी।, 14, 15 प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आव बुक्स् एक्ट् 1867 को रद्द करने की प्रार्थना की है ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीटिशनर शोभना भरतिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व एटार्नी जेनरल आव्् इंडिया मुकुल रोहतगी बहस में हिस्सा लेंगें । दूसरी ओर, रेस्पोन्डेन्ट नं0-02 मन्टू शर्मा । मुंगेर कोतवाली कांड संख्या- 445 । 2011 के सूचक की ओर से बिहार के अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद, मुंगेर, बिहार बहस में हिस्सा लेगें । सुनवाई की इस तिथि पर रेस्पोन्डेन्ट नं0-02 मन्टू शर्मा की ओर से बिहार के 92 वर्षीय वरीय अधिवक्ता काशाी प्रसाद भी सुनवाई के दौरान न्यायालय में उपस्थित रहेगें ।
इस बीच, विगत 14 और 17 जुलाई, 2017 को रेस्पोन्डेन्ट नं0-02 मन्टू शर्मा, जो मुंगेर कोतवाली थाना कांड संख्या- 445 । 2011 में परिवादी हैं, की ओर से बिहार के अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में बहस में हिस्सा लिया ।
अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में पीटिशनर शोभना भरतिया के स्पेशल लीव पीटिशन को रद्द करने, मुंगेर कोतवाली कांड संख्या - 445 । 2011 में त्वरित पुलिस अनुसंधान पूरा करने और कंपनी के अवैध मुंगेर हिन्दुस्तान संस्करण के प्रकाशन को तत्काल बन्द करने की प्रार्थना न्यायालय से कीं ।
सुनवाई सप्रीम कोर्ट के कोर्ट नं0- 03 में मि0 जस्टिम जे0 चेलामेश्वर और मि0 जस्टिस एस0 अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष हुईं ।
अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने न्यायालय से बिहार सरकार के मुख्य सचिव एवं अन्य के विरूद्ध न्यायालय की अवमानना की अदालती काररवाई अलग से चलाने की मांग कीं । उन्होंने न्यायालय को बताया कि बिहार सरकार ने किस प्रकार काउन्टर एफिडविट में सुप्रीम कोर्ट के 05 मार्च 2013 के ‘इन्टरीम स्टे आर्डर‘ के आदेश की अवहेलना कर ‘ फ्रेश पुलिस इनवेस्टिगेशन ‘ के माध्यम से पीटिशनर शोभना भरितया को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी रूप में मदद करने की भरपूर कोशिश की है ।
अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने न्यायालय से अलग से बिहार सहित अनेक राज्यों में मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड (नई दिल्ली) और अन्य मीडिया हाउसों के द्वारा जिलबार अवैध संस्करणों के प्रकाशनों और उन संस्करणों में सरकारी विज्ञापनों के अवैध प्रकाशनों के जरिए करोड़ों के सरकारी खजाने को लूटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की मोनिटरिंग में सी0बी0आई. जांच का आदेश देने की मांग की।
पीटिशनर शोभना भरतिया की ओर से बहस में हिस्स लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता व पूर्व एटार्नी जेनरल आव् इंडिया मुकुल रोहतगी ने पीटिशनर को ‘ निर्दोश‘ बताया और मुकदमे में नाहक फंसाने की बात कहीं ।
बिहार सराकर के सुप्रीम कोर्ट में बहाल अधिवक्ता ने बहस में हिस्सा नहीं लिया।