Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे गणेशशंकर विद्यार्थी: प्रो.संजय द्विवेदी

हिंदुस्तानी अकादमी में संगोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज। "हिंदी पत्रकारिता में गणेशशंकर विद्यार्थी भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता की तरह सामने आते हैं। उनकी पत्रकारिता का सूत्र है राष्ट्र प्रथम। इन्हीं मूल्यों के लिए उन्होंने अपना जीवन भी बलिदान कर दिया।" ये विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने हिंदुस्तानी अकादमी द्वारा आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष की आसंदी से व्यक्त किए। कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डा.धनंजय चोपड़ा, वरिष्ठ पत्रकार शिवा अवस्थी, शिवशरण सिंह गहरवार, आचार्य श्रीकांत शास्त्री भी प्रमुख वक्ताओं में रहे। संचालन आलोक मालवीय ने किया।

'राष्ट्रीय एकता के निर्माण में गणेशशंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो.द्विवेदी ने कहा कि विद्यार्थी जी ने न सिर्फ प्रयागराज में जन्म लिया बल्कि यहीं से उन्होंने महावीर प्रसाद द्विवेदी और महामना मालवीय के सान्निध्य में पत्रकारिता की दीक्षा ली। यह नगर उनकी पुण्यभूमि है। प्रताप उनकी पत्रकारिता का उत्कर्ष है।  जहां जब्ती, जुर्माना और जेल यात्राएं भी उन्हें तोड़ नहीं सकीं। लोकमान्य तिलक के राष्ट्र दर्शन से प्रभावित होने के कारण विद्यार्थी जी की समूची पत्रकारिता में क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी विचार दिखते हैं। उनका मानना था कि पत्रकारिता का उद्देश्य समस्त मानव जाति का कल्याण है और शिक्षा, सुशासन तथा कुरीतियों के विरोध से ही यह संभव हो पाएगा। वे साफ कहते थे हम अपने जातीय गौरव की प्रशंसा करें किन्तु पत्रकारिता के माध्यम से अपने दोषों को भी प्रकट करें।

प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज के ही दिन 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल थोपकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया गया था। प्रेस की आजादी का दमन किया गया था, सेंसरशिप के नाम पर अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकार भी छीन लिए गए। इस काले अध्याय को न भूलें और ऐसी स्थितियों का निर्माण करें कि कोई भी लोकतांत्रिक अधिकारों का अतिक्रमण न कर सके। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी ही लोकतंत्र को सफल और सार्थक बनाती है।

कार्यक्रम में एकेडमी के सचिव देवेंद्र प्रताप सिंह, सरस्वती के संपादक रविनंदन सिंह, डा.अरूण कुमार त्रिपाठी, डा.विजय कुमार सिंह, संजय पुरूषार्थी उपस्थित रहे। आभार प्रदर्शन गोपाल जी पाण्डेय ने किया।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना