यह कानून बनाने वालों की जिम्मेदारी
नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र मे हाल के चुनाव को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले दो विवादित मुद्दो जनमत सर्वेक्षण और पैसे देकर खबर छपवाने की बुराई रोकने के मामले मे चुनाव आयोग ने अपनी असमर्थता जाहिर की और इसे कानून बनाने वालो की जिम्मेदारी बताया।
लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी एस सम्पत ने जनमत सर्वेक्षणो पर पाबंदी के सवाल पर आयोग ने कहा कि इस मामले को एक बार फिर से कानून मंत्रालय के पास भेजा है। उन्होने कहा कि इन सर्वेक्षणो पर पाबंदी का मामला विधायिका के अधिकारों के तहत आता है।
आयोग ने वर्ष 2004 मे ही जनमत सर्वेक्षणो और मतदान के बाद होने वाले सर्वेक्षणो पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने सिर्फ एग्जिट पोल को ही प्रतिबंधित किया था। उन्होने कहा कि अब यह मामला फिर से आयोग ने कानून मंत्रालय को भेजा है।