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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारिता जगत के लिए डेंजरस ट्रेंड साबित हो रही है सोशल मीडिया

लाला जगत ज्योति की स्मृति में “वर्तमान परिदृश्य में मीडिया का बदलता स्वरूप और मीडिया की स्वतंत्रता” विषय पर संगोष्ठी सह स्मृति सम्मान समारोह

अभिषेक कुमार सोनी, मुंगेर। कल की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता के दौर में बहुत अंतर है। सोशल मीडिया पत्रकारिता जगत में डेंजरस ट्रेंड साबित हो रही है। नौबत ये है कि कल की पत्रकारिता का दौर क्या होगा यह भी कह पाना मुश्किल है। पूर्व की पत्रकारिता एक जुनून थी, लोग निर्भिक होकर पत्रकारिता करते थे और अपनी बातों को अखबार के माध्यम से समाज के सामने सीधे तौर पर सामने लाते थे। एक मिशन के रूप में पत्रकार अपने कार्यों  को अंजाम देते थे, परन्तु आज का दौर बिल्कुल विपरीत हो चुका है। समाज का आईना कहा जाने वाला पत्रकारिता अब महज चाटुकारिता बन कर रह गयी है। यह वक्तव्य है द हिन्दु के ऐसोसिएट एडिटर अमरनाथ तिवारी का। वे लाला जगत ज्योति प्रसाद की 25वीं पुण्यतिथि पर 4 अप्रैल को स्थानीय दी टैम्पल ऑफ़ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के सभागार में आयोजित संगोष्ठी ‘‘वर्तमान परिदृश्य में मीडिया का बदलता स्वरूप और मीडिया की स्वतंत्रता‘‘ सह स्मृति सम्मान समारोह 2023 के मौके पर विषय प्रवेश कराते हुए कही।

इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बाल श्रम आयोग के अध्यक्ष डा.चक्रपाणी हिमांशु, पूर्व अपर निःशक्तता आयुक्त कुशेश्वर दास, पूर्व विधायक विजय कुमार विजय सहित अन्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन कर रहे थे। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवि तथा पत्रकार सहित अन्य उपस्थित थे। 

अमरनाथ तिवारी ने कहा कि 2045 तक देश से प्रिंट मीडिया का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। जिस प्रकार लोग आज तथ्यपरक खबरों को छोड़कर भ्रामक तथा दिग्भ्रमित होने वाले खबरों के पीछे भाग रहे हैं वह अत्यंत ही चिंता का विषय है। छोटे मोटे या छुटभैये राजनेता अपनी ओछी राजनीति के लिए चंद पैसों के दम पर सोशल मीडिया पर खुद को प्रचारित प्रसारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। ऐसे सोशल मीडिया द्वारा खबरों को उनके अनुरूप परोसा जाता है, ऐसे न्यूज और स्टोरी को जांचने, परखने वाला संबंधित मीडिया हाउस तक में कोई नहीं होता। बस आय बढ़ती रहे और खबर कोई भी हो उसे पोर्टल पर प्रसारित कर देना है। आज ऐसे बदलते पत्रकारिता के स्वरूप को देख काफी चिंता होती है। पूर्व में लोग पत्रकारिता करते हुए अपने हमउम्र तथा कलिग मित्रों को भी पत्रकारिता करने का मशवरा दिया करते थे, परन्तु अब तक अपने घर के बच्चों को भी इस ओर आने नहीं देने की इच्छा होती है। पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर तो अब सरकार का कंट्रोल चलने लगा है और मीडिया हाउस विज्ञापन, अपनी टीआरपी और आय के लिए कुछ भी करने को तैयार है। मीडिया की जो परिभाषा हुआ करती थी वो तो अब बिल्कुल ही बदल दी गयी है। आज के चाटुकार पत्रकारों की फौज के बीच ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले पत्रकार भी खुद को पत्रकार कहने में लज्जित महसूस करने लगे हैं। खबर को ऐसे पड़ोसा जाता है कि तथ्य सिरे से खारिज हो जाती है और भ्रामकता उस खबर को कौतूहल का रूप दे देती है। हमें इस ट्रेंड पर एक्शन लेने और पत्रकारिता की स्वतंत्रता की मर्यादा को बचाने की जरूरत है।

बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष डा.चक्रपाणी हिमांशु ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में मीडिया का बदलता स्वरूप और मीडिया की स्वतंत्रता की यदि बात करें तो आज पत्रकारिता की विविधता का विघटन हुआ है। निश्चित तौर पर मीडिया की स्वतंत्रता पर असड़ पड़ी है। सोशल मीडिया सहित अखबार के डिजिटलाइजेशन से अखबार का प्रसार भी प्रभावित हुआ है। क्षेत्रियता भी हावी हुई है और जिस ईमानदारी से पूर्व में पत्रकारिता की जाती थी वो तो अब कहीं दिखती ही नहीं। उन्होंने कहा कि आज के राजनेताओं को भी पत्रकारिता को पूर्व की तरह आजादी देनी चाहिए। अखबार अब पूंजीपतियों की होकर रह गयी है। लेखनी ऐसी प्रभावित हुई है की मीडिया की स्वतंत्रता साफ परिलक्षित होती है। पत्रकार नेताओं और प्रशासन की पत्रकारिता न कर समाज, देश हित और स्पष्टवादिता की पत्रकारिता करें। जो निर्भिकता पूर्व के पत्रकारिता में दिखती थी वो अब बिरले ही देखने को मिलती है। अच्छी, सच्ची, तथ्यपरक और समाज और देश को अच्छा संदेश तथा खोजी समाचारों को भी अखबार में जगह मिलनी चाहिए। व्यक्ति विशेष या पार्टी विशेष का महिमामंडन न कर पत्रकारिता को क्रांति के रूप में ही रहने देने की जरूरत है। भ्रष्टाचार और सरकार के खिलाफ भी अखबारों या इलेक्ट्रोनिक अथवा सोशल मीडिया को खबरें चलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रांति कभी रूकती नहीं और ईमानदारी कभी झूकती नहीं, इस आशय को ही अपने अंदर जिंदा रखें तभी आप निर्भिक पत्रकारिता कर सकते हैं। 

पूर्व निःशक्तता आयुक्त कुशेश्वर दास ने कहा कि पत्रकारिता का जो दौर मैंने देखा था अब तो वह कहीं परिलक्षित होता ही नहीं। प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक मीडिया तक तो ठीक था, परन्तु जब से सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता होने लगी है तब से पत्रकारिता को अब गोदी मीडिया भी कहा जाने लगा है, जो बेहद ही खेदजनक है। आप की लेखनी या खबर ऐसी हो कि उस खबर और लेखनी के साथ-साथ आप का नाम भी अमर हो जाए। टेबल रिपोर्टिंग छोड़ पत्रकारिता के महत्व को समझें और खोजी खबरों तथा समाज से जुड़ी समस्याओं को भी प्रकाशित करें। आप निर्भिक पत्रकारिता तभी कर सकते हैं जब आप ओरिजनल पत्रकार बनेंगे। पूंजीपतियों और राजनेताओं के लिए पत्रकारिता न करें, आप समाज का आईना हैं और इसे हमेशा अपने जेहन में रख कर ही पत्रकारिता करें। 

प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार सुबोध नंदन ने कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता अब कहां रह गयी है। अब तो स्थित ये है कि डिजीटल मीडिया पत्रकारिता को रसातल की ओर ले जा रही है। पत्रकारिता तो अब ओछी व तुच्छ हो गयी है। चंद पैसों के लिए अपनी ईमानदारी और निर्भिकता को गिरवी रख खामियों को उजागर नहीं करते और अपनी गरिमा तक को बेच रहे हैं। चंद तुच्चे पत्रकारों के बदौलत आज के निर्भिक पत्रकारों की पत्रकारिता भी दांव पर लग गयी है, जिसे बचाने की सख्त जरूरत है। इसके लिए ईमानदार और निर्भिक पत्रकारों को आगे आकर अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। 

मुंगेर प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख राणा गौरी शंकर ने कहा कि जो पत्रकार ईमानदार और निर्भिक हैं उनकी पत्रकारिता आज भी पूर्व की तरह स्वतंत्र है और रहेगी। कुछ पत्रकार इस निर्भिकता को समाप्त कर रहे हैं तो निश्चित रूप से वे पत्रकारिता जगत को कलंकित कर रहे हैं। मीडिया की स्वतंत्रता उनकी कलम की ताकत में है, अपनी लेखनी में वही ईमानदारी बरकरार रखें जो ईमानदारी आपके ईमान और मन मस्तिष्क में है।

मुंगेर के पूर्व विधायक विजय कुमार विजय ने कहा कि आज की पत्रकारिता पर निश्चित तौर पर राजनेताओं और पूंजीपतियों का हस्तक्षेप हो गया है। राजनेता यदि सुधर जाएंगे तो ब्यूरोक्रेटस खुद सुधर जाएगा। पत्रकारिता में समाज की सहभागिता भी जरूरी है, इस लिए समाज को भी चाहिए कि वे निर्भिक पत्रकार का सम्मान करें और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें। 

उक्त विषय पर शिक्षक नेता नवल किशोर सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश जैन, पत्रकार अवधेश कुंवर, प्रो.शब्बीर हसन सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने वक्तव्य रखे। इस मौके पर आयोजित स्मृति सम्मान समारोह में पत्रकारिता सहित विभिन्न क्षेत्र के आठ विभूतियों को सम्मानित किया गया। इसमें द हिन्दु के एसोसिएट एडिटर अमरनाथ तिवारी, प्रभात खबर पटना के वरिष्ठ पत्रकार सुबोध कुमार नंदन, उपनिदेशक पत्र सूचना कार्यालय के संजय कुमार, दैनिक जागरण मुंगेर के ब्यूरो प्रमुख रजनीश कुमार, हिन्दुस्तान अखबार मुंगेर के वरिष्ठ पत्रकार सुजीत कुमार मिश्रा, कवि शिवनंदन सलील, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, यदुनंदन झा द्विज शामिल हैं। इस मौके पर भव्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था, जिसमें ख्याति प्राप्त कवि एवं गजलकार अनिरूद्ध सिन्हा सहित कई जाने माने कवियों ने अपने काव्य पाठ से उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया।

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सम्पादक

डॉ. लीना