बीते तीन दशकों की तुलना में सबसे ज्यादा
इस वर्ष दुनिया भर में सरकारों ने बड़ी संख्या में पत्रकारों को जेल भेजा। इनकी संख्या लगभग तीन दशकों में सबसे अधिक रही। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली न्यूयॉर्क की संस्था ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) के मुताबिक पत्रकारों को जेल भेजने के मामले खासकर इसलिए बढ़े हैं क्योंकि तुर्की में जुलाई में तख्तापलट की कोशिश विफल होने के बाद पत्रकारों पर कड़ी कार्रवाई की गई। वहां पहली दिसंबर तक 81 पत्रकारों को जेल में डाला गया। इन सभी पर देशद्रोह के आरोप हैं।
हर साल की तुलना में इस साल दुनिया भर में सबसे ज्यादा पत्रकारों को जेल में बंद किया गया है। सीपीजे की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दुनियभर की सरकारों द्वारा जेल भेजे गए पत्रकारों की संख्या बीते तीन दशकों की तुलना में सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में कुल 259 पत्रकार जेल में बंद हैं। इनमें से 199 पत्रकारों को इसी साल कैद किया गया है। समूह ने 1990 से इस संदर्भ में रिकॉर्ड रखना शुरू किया था और इस साल यह संख्या सबसे ज्यादा है। इस संख्या में लापता हुए या राज्येत्तर संगठनों द्वारा बंदी बनाए गए पत्रकारों की संख्या को शामिल नहीं किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजह जुलाई में तख्तापलट की कोशिश विफल होने के बाद तुर्की में की गई कार्रवाई है। इस गैर लाभकारी समूह ने कहा कि तुर्की में एक दिसंबर तक कम से कम 81 पत्रकारों को जेल में डाला जा चुका है। इन सभी पर राष्ट्र का विरोध करने के आरोप लगाए गए हैं।
समूह ने बंदी बनाए गए पत्रकारों की वार्षिक संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि तुर्की में साल 2016 की शुरुआत से ही मीडिया की स्वतंत्रता बंधक बन गई थी। अधिकारी पत्रकारों को गिरफ्तार कर रहे थे, प्रताड़ित कर रहे थे और उन्हें बर्खास्त कर रहे थे। वे खबर संगठनों को या तो बंद कर रहे थे या उनपर कब्जा कर रहे थे।
बीते 15 जुलाई को हुए तख्तापलट की कोशिश के बाद से तुर्की में अब भी आपातकाल की स्थिति है। सरकार की ओर से तख्तापलट के कथित समर्थक समूहों के खिलाफ की गई कार्रवाई में हजारों लोगों को जेल भेजा गया है। हजारों लोग अपनी नौकरी खो बैठे हैं। आलोचकों ने इसे दुर्भावना के साथ की जा रही कार्रवाई करार दिया है।
दो महीने के अंदर, तुर्की में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की सरकार ने 100 से ज्यादा पत्रकारों को हिरासत में लिया है और कम से कम 100 समाचार प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए हैं। समूह ने कहा कि साल 2016 में पत्रकारों की गिरफ्तारी के मामले में सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता तुर्की रहा। चीन दूसरे स्थान पर रहा। एक दिसंबर तक चीन ने 38 पत्रकारों को गिरफ्तार किया था। बीते दो साल में, चीन ने विश्वभर के सबसे अधिक पत्रकारों को जेल भेजा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के सप्ताहों में, बीजिंग ने उन पत्रकारों पर कार्रवाई को तेज किया, जो विरोध प्रदर्शनों और मानवाधिकार उल्लंघनों से जुड़ी खबरें दे रहे थे। इस सूची में मिस्र तीसरे नंबर पर था। उसने 25 पत्रकारों को बंदी बनाया है। साल 2008 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि ईरान शीर्ष पांच उल्लंघनकर्ताओं में नहीं है।